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शिक्षा में गुणात्मक सुधार की दिशा में आगे बढ़ रही सरकार ने एक और सख्त फैसला लिया है। राज्य सरकार ने प्रदेश में 100 शून्य दाखिले वाले स्कूलों को बंद (डी नोटिफाई) कर दिया है। इनमें 72 प्राइमरी व 28 मिडल स्कूल शामिल हैं। इसके अलावा 120 स्कूलों को मर्ज किया गया है। इन स्कूलों में पांच से कम दाखिले थे।
सचिव शिक्षा विभाग राकेश कंवर की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। विभाग ने दो अलग-अलग अधिसूचना जारी की हैं। पहली अधिसूचना में 100 स्कूलों को बंद किया गया है। आदेश में बताया गया है कि इन स्कूलों में इस साल किसी भी विद्यार्थी ने दाखिला नहीं लिया था।
दूसरी अधिसूचना स्कूल मर्ज करने की जारी की गई है। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक से इसे पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। कैबिनेट ने इस तरह के निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को अधिकृत किया है। शिक्षा विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव मुख्यमंत्री को मंजूरी के लिए भेजा था। मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिलने के बाद अब इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं।
किस जिला में कितने स्कूल किए बंद
जिला, प्राइमरी, मिडिल
बिलासपुर, 2, 0
चंबा, 7, 1
मंडी, 13, 0
शिमला, 12, 14
सोलन, 7, 1
किन्नौर, 3, 4
कुल्लू, 5, 2
लाहुल स्पीति 4, 2
सिरमौर 5, 2
ऊना 2, 1
हमीरपुर, 1, 0
कांगड़ा, 11, 1
कुल, 72, 28
किस जिला में कितने स्कूल किए मर्ज
जिला, मर्ज स्कूलों की संख्या
बिलासपुर, 15
हमीरपुर, 4
कांगड़ा, 52
कुल्लू, 1
मंडी, 25
शिमला, 9
सिरमौर, 5
ऊना, 3
सोलन, 6
कुल, 120
सरकारी स्कूलों से हर साल 50 हजार विद्यार्थी हो रहे कम
हिमाचल के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है। विभाग के अनुसार हर साल 50 हजार विद्यार्थी कम हो रहे हैं। स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने पिछले सप्ताह सभी शिक्षक यूनियनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में भी शिक्षकों को निर्देश दिए थे कि पंजीकरण बढ़ाने पर ध्यान दें। जब बच्चे होंगे तभी स्कूल रहेंगे। अन्यथा स्कूल बंद हो जाएंगे।
पहली से आठवीं तक चार लाख विद्यार्थी
हिमाचल के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है। वर्ष 2003-04 में कक्षा 1 से 8 तक सरकारी स्कूलों में 9,71,303 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इस साल कक्षा 1 से 12वीं तक केवल साढ़े सात लाख बच्चों ने ही दाखिला लिया है, जबकि कक्षा पहली से आठवीं तक मौजूदा वर्ष 4,29,070 ही विद्यार्थी हैं। हालत यह है कि स्कूलों को मर्ज करना पड़ रहा है।