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हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सुनियोजित शहरीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके दृष्टिगत अनेक कदम उठाए हैं। दिसंबर 2024 में सरकार ने 14 नई नगर पंचायतों का गठन करने के अतिरिक्त तीन नगर पंचायतों को नगर परिषद में और हमीरपुर, ऊना तथा बद्दी को नगर निगम में स्तरोन्नत किया है। शिमला, धर्मशाला, सोलन, पालमपुर और मंडी पहले से ही नगर निगम के रूप मंे लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं। प्रदेश में अब नगर निगमों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है।
हिमाचल में शहरी स्थानीय निकायों की संख्या 60 से बढ़कर 74 हो गई है, जिनमें 29 नगर परिषद और 37 नगर पंचायत शामिल हैं। शहरी स्थानीय निकाय मंे यह विस्तार राज्य सरकार की समावेशी, योजनाबद्ध शहरी विकास की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित कर रहा है। इन नवगठित और स्तरोन्नत शहरी निकायों के बुनियादी अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में 10.75 करोड़ रुपये की विकास अनुदान राशि प्रस्तावित की गई है। इस धनराशि का उपयोग सड़कों की मरम्मत, स्ट्रीट लाइट्स, सीवरेज, स्वच्छता, पार्कों और पार्किंग जैसी नागरिक सुविधाओं के लिए किया जाएगा। हमीरपुर, ऊना और बद्दी नगर निगमों को प्रति नगर निगम एक करोड़ रुपये की धनराशि दी जाएगी। नादौन, बैजनाथ-पपरोला और सुन्नी नगर परिषदों को प्रति नगर परिषद 25 लाख रुपये और 14 नई नगर पंचायतों को प्रति नगर पंचायत 50 लाख रुपये दिए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र में शामिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरकार ने तीन वर्ष तक संपत्ति कर से छूट और वर्तमान जल दरों को यथावत रखने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार ‘मुख्यमंत्री लघु दुकानदार कल्याण योजना’ का विस्तार कर रही है। इस योजना के तहत सालाना 10 लाख रुपये से कम का कारोबार करने वाले छोटे दुकानदारों को एक लाख रुपये तक का बैंक ऋण एकमुश्त सहायता के रूप में दिया जाएगा, जिसका ब्याज राज्य सरकार वहन करेगी। इससे फल-सब्जी विक्रेता, चायवाले, मोची, नाई और अन्य छोटे व्यापारी अपने कारोबार को बढ़ा सकेंगे और उनकी आजीविका में सुधार होगा। यह योजना शहरी अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगी।
राज्य सरकार ने ‘वन स्टेट, वन पोर्टल – सिटीजन सेवा’ की भी शुरुआत की है, जो राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन के तहत शुरू की गई है। यह प्लेटफॉर्म शहरी मामलों के मंत्रालय और राष्ट्रीय शहरी मामले संस्थान की साझेदारी में तैयार किया गया है और ऑनलाइन प्रशासन प्रदान करने के लिए शहरी मंच (यूपीवाईओजी) फ्रेमवर्क पर आधारित है। इसका उद्देेश्य प्रदेश के सभी शहरी निकायों में नागरिकों को पारदर्शी, सरल और डिजिटल सेवाएं प्रदान करना है। अब तक इस पोर्टल पर 9 सेवाएं शुरू हो चुकी हैं और कुल 45 सेवाओं को चरणबद्ध रूप से जोड़ा जा रहा है।
राज्य सरकार ने नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों जैसे महापौर, उप-महापौर, पार्षद, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के मानदेय में वृद्धि करने का निर्णय भी लिया है, जिससे स्थानीय लोकतंत्र को और अधिक मजबूती मिलेगी और जनप्रतिनिधियों को अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार अब सभी जिलों में म्युनिसिपल कॉमन सर्विस सेंटर स्थापित करने की योजना बना रही है। यह केंद्र प्रदेश में उन्नत शहरी योजना, स्वच्छता, ठोस कचरा प्रबंधन और वित्तीय स्थायित्व प्रदान करने में सहायता करेंगे। इसके लिए 49.98 करोड़ रुपये की योजना केंद्र सरकार को भेजी गई है। साथ ही ‘अर्बन चैलेंज फंड’ के तहत रचनात्मक शहरी पुनर्विकास, जल और स्वच्छता सुधार तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी जैसे नवाचार आधारित वित्तीय मॉडलों को शामिल करते हुए योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं।
शहरी विकास विभाग द्वारा केंद्र सरकार की सभी प्रमुख योजनाएं जैसे स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0, अमृत 2.0, प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन और स्मार्ट सिटी मिशन का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। ये योजनाएं 90ः10 के अनुपात में केंद्र और राज्य के सहयोग से चलाई जा रही हैं और शहरी बुनियादी ढांचे, स्वच्छता, आवास और रोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला रही हैं।
हिमाचल प्रदेश अब एक ऐसे आधुनिक शहरी विकास की ओर अग्रसर है जो जनहितकारी, तकनीक-आधारित और समावेशी है। योजनाबद्ध विकास, वित्तीय सहायता और डिजिटल नवाचारों के माध्यम से सरकार राज्य के शहरों और कस्बों को सशक्त, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार कर रही है। यह परिवर्तन हिमाचल को एक प्रगतिशील और विकसित शहरी राज्य के रूप में स्थापित करेगा।