(नीना गौतम ) जिला कुल्लू के भुंतर में स्थित हिमबुनकर के कार्यालय में तैनात एक अपंग व विधवा महिला की सहकारी सभा ने सैलरी ही रोकदी है। करीब नौ माह से सोसायटी के मुख्य कार्यालय में कार्यरत चतुर्थश्रेणी की महिला को आचरण ठीक न होने के नाम पर प्रताडि़त किया जा रहा है तो हैरानीजनक तौर पर इसका वेतन ही रोक दिया गया है। लिहाजा, महिला ने उसके साथ हो रहे भेदभाव पर सोसायटी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उक्त महिला कई माह से हकों के लिए दर-दर भटक रही है और विभिन्न संगठनों द्वार पहुंच रही है तो अब महिला ने सोसायटी की पोल भी खोली है।
सरकार द्वारा विभिन्न सरकार और संबंिधत कार्यालयों में दिव्यांगों व विधवाओं को नौकरी के विशेष प्रावधान तो किए जाते हैं लेकिन दफ्तरों में इनके साथ कैसा व्यवहार होता है यह सामने आ रहा है। हिमबुनकर में तैनात करीब 59 वर्ष की वर्षा शर्मा ने बताया कि पिछले अप्रैल माह से उसे वेतन नही दिया जा रहा है और उसे अब अपना गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा है। महिला ने बताया वेतन को लेकर सभी अधिकारी पहले तो बहाने लगाते रहे लेकिन बाद में उसे बताया गया कि सोसायटी के चेयरमैन ने उसका वेतन रोकी है। और तो और सहकारीसभा के कई कर्मचारियों के व्यवहार से तंग आकर महिला को दफ्तर में अपनी ही अलग कुर्सी और हीटर लगाने को मजबूर कर दिया गया है।
महिला करीब दो साल पहले सेवानिवृत होने वाली थी लेकिन उस दौरान उसकर दो साल का अतिरिक्त सेवाकाल बढ़ाया गया था। महिला ने सहकारी सभा के निदेशकों को भी इस संदर्भ में पत्र लिखा है और न्याय मांगा है। दूसरी ओर सभा के ही कुछ निदेशकों ने भी महिला के साथ हो रहे व्यवहार को गलत करार दिया है और कहा है कि चेयरमैन या किसी भी अधिकारी के पास किसी कर्मचारी का वेतन रोकने का अधिकार नही है और इनके अनुसार चपड़ासी के पद पर तैनात किसी व्यक्ति को चैकीदार नहीं बनाया जा सकता है। इस बारे में हिमबुनकर के चेयरमैन शिव शरण चैहान से पूछने पर उन्होने महिला द्वारा कार्यालय में अन्य कर्मियों से सही व्यवहार न करने की बात कही। हालांकि उन्होने बात को स्वीकारते हुए कहा कि बोर्ड की सहमति से इस संदर्भ में फैसला लिया गया है और वेतन को रोका गया है और निर्णय लेकर इसे जारी कर दिया जाएगा।












