हिमाचल पुलिस में घमासान, एसपी शिमला को सस्पेंड करने की सिफारिश, डीजीपी ने सुक्खू सरकार को लिखा पत्र

हिमाचल के डीजीपी अतुल वर्मा और शिमला एसपी संजीव गांधी में तकरार बढ़ गया है. शनिवार दोपहर को एसपी संजीव ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए डीजीपी पर गंभीर आरोप लगाए थे. अब डीजीपी अतुल वर्मा ने एसपी को सस्पेंड करने की सिफारिश सरकार से की है. उन्होंने इस मामले में सुक्खू सरकार को पत्र लिखा है. अहम बात है कि देर शाम 4 बजे तक डीजीपी शिमला में ही मौजूद थे, लेकिन अचानक वह दिल्ली रवाना हुए जहां वह सीएम सुक्खू से मुलाकात करेंगे.

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बहुचर्चित विमल नेगी की संदिग्ध मौत के मामले में अब जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने संभाल ली है. शुक्रवार को सीबीआई की एक विशेष टीम शिमला पहुंची और सीधे एसपी ऑफिस पहुंचकर केस से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की. यह कार्रवाई हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद हुई है जिसमें मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है. सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने मामले की गहन जांच के लिए दो विशेष टीमें गठित की हैं. इनमें एक टीम की अगुवाई उप अधीक्षक राजेश कुमार झा कर रहे हैं, जबकि दूसरी टीम आईपीएस अधिकारी जब्बार (डीआईजी, जम्मू-कश्मीर कैडर) के नेतृत्व में काम करेगी. वही मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में हाई कोर्ट में रिव्यू पिटीशन डबल बेंच में दाखिल की गई है

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इन टीमों को केस से जुड़ी सभी जरूरी फोरेंसिक, तकनीकी और घटनास्थल से जुड़ी जानकारी जुटाने का काम सौंपा गया है. इस बीच हिमाचल प्रदेश के डीजीपी मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं. माना जा रहा है कि वे मुख्यमंत्री को मामले की गंभीरता और अब तक की पुलिस कार्रवाई से अवगत कराएंगे. साथ ही पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में लापरवाही के आरोपों के चलते एसएसपी संजीव गांधी को निलंबित करने की सिफारिश सरकार को भेज दी है.

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विमल नेगी की रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत ने राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल पैदा कर दी है. परिवार और स्थानीय लोगों ने पहले ही मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी. अब सीबीआई के सक्रिय होने के साथ उम्मीद की जा रही है कि इस हाई-प्रोफाइल केस की परतें जल्द खुलेंगी और सच्चाई सामने आएगी.

इन दिनों शिमला जिला के पुलिस प्रमुख संजीव गांधी ने अपने ही डीजीपी पर गंभीर आरोप लगाने के चलते सुर्खियों में हैं. संजीव गांधी 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी है और कांगड़ा और ऊना में बतौर एसपी सेवाएं दे चुके हैं. 2017 में कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सरकार में कांगड़ा में एसपी रहते हुए उन्होंने अवैध खनन और ऊना में नशा तस्करों के खिलाफ सराहनीय काम किया था. 2017 में कांगड़ा के एसपी रहते हुए उन्होंने ड्रग माफिया ओर खनन माफिया के खिलाफ मुहिम चलाई. जिसकी वजह से संजीव गांधी काफी सुर्खियों में आए और उसके बाद उनका 15 दिन में तीन बार तबादला भी किया गया.

संजीव गांधी ने कांगड़ा में ड्रग तस्करों के नाक में दम कर रखा था. कई ड्रग तस्करों को जेल पहुंचाया. खनन माफिया पर उन्होंने काफी सख्ती दिखाई थी. हालांकि, उस समय काफी लोग उनके पक्ष में आए और तबादला रद्द करने की मांग उठाई. कुछ नेता भी उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से भी मिले थे. उसके कुछ दिन बाद उनका ऊना ट्रांसफर किया गया. वहां पर भी खनन माफिया और ड्रग माफिया के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की.

संजीव गांधी सोलन जिला के अर्की भुघार गांव के रहने वाले हैं. हिमाचल प्रदेश में ड्रग माफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए 2022 में उनको डीजीपी डिस्क और सर्वश्रेष्ठ प्रशासक पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. यही नहीं 2021 और 22 में हिमाचल में हुई पुलिस भर्तियों में धांधली की शिकायत भी, उन्होंने की थी. जिसके बाद भर्ती की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी.

कैसे शुरू हुआ डीजीपी और एसपी के बीच विवाद?

शिमला एसपी संजीव गांधी और डीजीपी के बीच विवाद कोई नया नहीं है, बल्कि 2021-22 में जब पुलिस भर्तियां हुई थी, उस समय संजीव गांधी भी कमेटी के सदस्य थे और उन्होंने भर्ती में धांधली के आरोप लगाए थे और इसकी शिकायत भी की थी. हालांकि, उसके बाद भर्ती की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. उसके बाद हिमाचल प्रदेश में समोसा कांड के दौरान जांच रिपोर्ट वायरल होने को लेकर भी सवाल उठे थे और एसपी शिमला ने डीजीपी के ही पर्सनल स्टाफ पर इस रिपोर्ट को वायरल करने के आरोप लगाए थे. वहीं, अब विमल नेगी मौत मामले में भी एसपी और डीजीपी के बीच विवाद तब बढ़ गया, जब डीजीपी ने हाईकोर्ट में अपनी ओर से शपथ पत्र जारी कर जांच पर ही सवाल खड़े किए ओर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए.

हलफनामे में डीजीपी ने इन विषयों को लेकर सवाल उठाए

हिमाचल कोर्ट में दायर हलफनामे में डीजीपी अतुल वर्मा ने पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर कई सवाल खड़े किए थे. हलफनामे में पेन ड्राइव को क्यों फॉर्मेट किया गया, कितने लोगों को पता था कि विमल नेगी से पेन ड्राइव बरामद हुई है? विमल नेगी की जेब से पेन ड्राइव मिलने पर एएसआई पंकज इसे लेकर फोन पर किससे बात कर रहे हैं? फोरेंसिक उपकरणों की मदद से फॉर्मेट पेन ड्राइव से दस्तावेज रिकवर किए गए हैं, तो कुछ खराब कैसे हो गए? इन सबको लेकर सवाल खड़े किए गए थे.

पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा ने रिपोर्ट में पुलिस पर कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं. इसमें एक मोबाइल फोन से निकाली गई 20 मार्च की चैट का हवाला दिया गया है. इसमें पांच पुलिस कर्मचारियों के बीच पेन ड्राइव की हैश वैल्यू, पेन ड्राइव की जब्ती, पेन ड्राइव के यूनिक नंबर सहित अन्य विषयों के बारे में बातचीत है. इस दौरान एक अधूरी चैट में पेन ड्राइव बदला जा सकता है. मटेरियल कॉपी करने के बाद का जिक्र किया गया है.

एक अन्य चैट का हवाला देते हुए डीजीपी ने बताया कि इसमें इस बात की चर्चा की गई है कि पेन ड्राइव बदलनी चाहिए या नहीं? यह बातचीत पेन ड्राइव को फॉर्मेट करने के एक दिन पहले की है. उन्होंने एसपी शिमला से विमल नेगी मामले का रिकॉर्ड मांगा तो एसपी ने हर एक कोशिश की कि रिकॉर्ड डीजीपी तक न पहुंचे. वहीं, हाईकोर्ट ने एसपी शिमला को फटकार भी लगाई थी.

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