पहले प्रशासन ने इंजेक्शन नहीं दिया बाद में परिजनों पर ही घटिया आरोप लगाना अमानवीयता ऐसा व्यवस्था परिवर्तन नहीं चाहिए जो मृत्यु के तीन दिन बाद बाद दे इंजेक्शन,

शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इंजेक्शन न मिलने से हुईं देवराज शर्मा की मौत मामले में जिन भी अधिकारियों ने घटिया साजिश रचकर पीड़ित परिवार पर उंगली उठाई और उन्हें अपमानित करने का प्रयास किया, उनके खिलाफ मुख्यमंत्री सख्त से सख्त कार्रवाई करें। ऐसे लोग असंवेदनहीनता की हद पार कर चुके हैं और इस लायक नहीं हैं कि ऐसे महत्वपूर्ण पदों पर रहें। ऐसे लोग अपनी साख बचाने के लिए अपने पिता को खो चुके बच्चों के साथ अपराधिक साजिश रच रहे हैं। अपने मातहतों से झूठ बुलवाकर एक ऐसे परिवार को बदनाम कर रहे हैं जिसने सरकार और उन अधिकारियों की नाकामी के चलते एक महीनें पहले अपने परिवार का अभिभावक खो दिया है। समय पर दवा न देकर सरकार ने एक घोर पाप किया ही था लेकिन परिजनों पर उंगली उठाकर सरकार ने और भी जघन्य काम किया है। पीड़ित परिवार का पक्ष सरकार ने भी अखबारों में पढ़ लिया है, इलेक्ट्रॉनिक युग में किसी भी तथ्य को आसानी से बदला नहीं जा सकता है। सरकार अगर चाहेगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ऐसे में न्याय का तकाजा यही है कि इस मामले की निष्पक्षता से जांच हो और पीड़ित परिवार के खिलाफ साजिश करने वाले लोगों पर कठोर कार्रवाई हो। अगर इस मामले की जांच में मुख्यमंत्री ने तत्परता नहीं दिखाई तो प्रदेश के लोगों के सवालों के घेरे में वह खुद भी आएंगे।
सरकार जो इस बात का एहसान जाता रही है कि उन्होंने मरीज को एक लाख 79 हजार रुपए का इलाज करवाया तो यह सरकार ने कोई एहसान नहीं किया। उस परिवार ने हिम केयर का प्रीमियम भरा था और उस प्रीमियम के बदले हिमाचल प्रदेश सरकार ने उससे एक साल की समयावधि में पूरे परिवार को पांच लाख के निःशुल्क इलाज की गारंटी दी थी। यह एक ‘स्टेट’ की उसके नागरिक को दी गई गारंटी है। दुःख इस बात का है कि सुक्खू सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार की गारंटी को कांग्रेस की झूठी गारंटियों की तरह समझ लिया है। सरकार स्व देवराज शर्मा के एक लाख 79 हजार की दुहाई देने के बजाय 3 लाख 21 हजार की लिमिट होने के बाद भी इंजेक्शन न देने के लिए शर्म करे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार इस पूरे प्रकरण को आंख खोलने और आईना दिखाने वाली घटना की तरह लेती। जिससे इस तरह की घटना को रोकने की दिशा में प्रयास किए जा सकते लेकिन सरकार ने इसे अपनी साख का सवाल बनाया और अपनी झूठी शान को बचाने के लिए परिवार पर आरोप मढ़ दिए। जिस भावना के साथ मृतक के परिजनों ने इस मुद्दे को उठाया था सरकार को उनका सम्मान करना चाहिए था। मृतक परिवार से माफी मांगकर आगे से ऐसी स्थिति न आने देने की व्यवस्था करके सरकार इसका प्रायश्चित कर सकती थी। यह कोई इकलौता और आखिरी मामला नहीं है। आईजीएमसी तक में भी यह हर दिन की बात हो गई है। कभी दवा नहीं मिलती तो कभी ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। इस घटना के बाद न जाने कितने लोगों ने सोशल मीडिया पर कमेंट्स और संदेश भेजकर अपनी पीड़ा हमें बताई कि उन्हें किस तरह से इलाज और दवाएं नहीं मिल।रही हैं। प्रदेश की बर्बाद हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था अब प्रदेश के लाखों लोगों का भुगता हुआ यथार्थ है। इसे सरकार के चंद अधिकारी अपनी साजिशों से मिटा नहीं सकते हैं, उल्टा खुद भी बेनकाब होंगे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसे व्यवस्था परिवर्तन को सरकार अपने पास रखें जो किसी मरीज को महीनों तक इंजेक्शन के लिए इंतजार करवाए और जब उसकी मृत्यु हो जाए तो उसके तीन दिन बाद इंजेक्शन लगवाने के लिए बुलाए। इंजेक्शन महंगा था और बाहर से आता है यह तर्क भी सरकार की बेशर्मी के और निम्न स्तर पर जाने की बानगी है। इंजेक्शन क्या विदेश से आते हैं? इंजेक्शन चंडीगढ़ से ही तो आता है जो शिमला से मात्र तीन घंटे की दूरी पर हैं। सवाल चुनौतियों का नहीं सरकार की नीयत का है। इंजेक्शन न उपलब्ध करवाने की सच्चाई स्वीकारने में सरकार को क्या कठिनाई थी लेकिन सरकार ने मृतक के परिवार पर ही इंजेक्शन न ले जाने का आरोप मढ़ना आसान समझा।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला स्थित अपने आधिकारिक आवास पर आज जाह्नवी शर्मा से मुलाकात कर अपनी संवेदना व्यक्ति की।  उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार की लापरवाही की वजह से जाह्नवी के पिता की जान गई है और अब सरकार अपनी नाकामी स्वीकार करने की बजाय पीड़ित परिवार पर ही आरोप लगाकर और भी बड़ा पाप कर रही है। एक बेटी के सर से पिता का साया उठ गया है और सरकार उस पर भी घटिया राजनीति कर रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल्य जी कह रहे हैं कि इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था आगे से ऐसा न हो इसके लिए इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। सरकार दूसरी तरफ विभाग से बयान जारी करवा कर साबित करना चाह रही है कि पीड़िता इंजेक्शन लेने ही नहीं आई और सरकार द्वारा इलाज पर पैसा खर्च किया गया। सरकार द्वारा पैसा खर्च करके कोई एहसान नहीं किया गया। पीड़ित परिवार द्वारा हिम केयर का प्रीमियम भरा गया है। इसलिए सरकार एहसान जताना बंद करें और प्रदेश में ऐसा फिर किसी के साथ ना हो इसका प्रबंध करें।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मृतक की बेटी कह रही है कि वह अस्पताल के कई चक्कर लगा चुकी लेकिन उसे इंजेक्शन नहीं मिला। डॉक्टर ने उससे कहा कि अगर आपको बहुत जरूरी लगता है तो आप इंजेक्शन अपने पैसे से खरीद लीजिए। अगर सरकार को परिवार का भरोसा नहीं है तो वह अस्पताल में जहां दवा मिलती है वहां की सीसीटीवी फुटेज भी चेक कर सकती है और संबंधित अधिकारियों के कॉल रिकॉर्ड भी खंगाल सकती है। एक बेटी के सर से उसके पिता का साया उठ गया। लेकिन सरकार जो अब कर रही है वह  और भी घटिया है। सरकार वही कर रही जिसका पहले से अंदेशा था। अब सरकार सारी गलती पीड़ित परिवार और विपक्ष पर थोप रही है। सरकार कह रही है कि परिजन इंजेक्शन लेने ही नहीं आए। जाह्नवी ने बात चीत में स्पष्ट किया कि उसने आवाज उठाने का फैसला सिर्फ़ इसलिए किया कि किसी और के परिवार के साथ इस तरह का दु:खद हादसा न हो।

जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश का अभिभावक होता है, इसीलिए मैंने जाह्नवी का वीडियो भी जब मुझे मिला तो सबसे पहले उसे मुख्यमंत्री को भेजकर उन्हें बताया कि जो हुआ वह बहुत गलत है साथ ही उनसे अनुरोध किया ऐसा ना हो इसके लिए वह जरूरी और प्रभावी कदम उठाएं। लेकिन अब सरकार जो कर रही है वह पीड़ित परिवार के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार करने जैसा है।मेरा मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वह अपनी अंतरात्मा की आवाज सुने और पीड़ित के साथ नाइंसाफी की जो साजिशें रच रहे हैं उसे बंद कर पीड़ित परिवार से माफी मांगे।

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शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इंजेक्शन न मिलने से हुईं देवराज शर्मा की मौत मामले में जिन भी अधिकारियों ने घटिया साजिश रचकर पीड़ित परिवार पर उंगली उठाई और उन्हें अपमानित करने का प्रयास किया, उनके खिलाफ मुख्यमंत्री सख्त से सख्त कार्रवाई करें। ऐसे लोग असंवेदनहीनता की हद पार कर चुके हैं और इस लायक नहीं हैं कि ऐसे महत्वपूर्ण पदों पर रहें। ऐसे लोग अपनी साख बचाने के लिए अपने पिता को खो चुके बच्चों के साथ अपराधिक साजिश रच रहे हैं। अपने मातहतों से झूठ बुलवाकर एक ऐसे परिवार को बदनाम कर रहे हैं जिसने सरकार और उन अधिकारियों की नाकामी के चलते एक महीनें पहले अपने परिवार का अभिभावक खो दिया है। समय पर दवा न देकर सरकार ने एक घोर पाप किया ही था लेकिन परिजनों पर उंगली उठाकर सरकार ने और भी जघन्य काम किया है। पीड़ित परिवार का पक्ष सरकार ने भी अखबारों में पढ़ लिया है, इलेक्ट्रॉनिक युग में किसी भी तथ्य को आसानी से बदला नहीं जा सकता है। सरकार अगर चाहेगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ऐसे में न्याय का तकाजा यही है कि इस मामले की निष्पक्षता से जांच हो और पीड़ित परिवार के खिलाफ साजिश करने वाले लोगों पर कठोर कार्रवाई हो। अगर इस मामले की जांच में मुख्यमंत्री ने तत्परता नहीं दिखाई तो प्रदेश के लोगों के सवालों के घेरे में वह खुद भी आएंगे।
सरकार जो इस बात का एहसान जाता रही है कि उन्होंने मरीज को एक लाख 79 हजार रुपए का इलाज करवाया तो यह सरकार ने कोई एहसान नहीं किया। उस परिवार ने हिम केयर का प्रीमियम भरा था और उस प्रीमियम के बदले हिमाचल प्रदेश सरकार ने उससे एक साल की समयावधि में पूरे परिवार को पांच लाख के निःशुल्क इलाज की गारंटी दी थी। यह एक ‘स्टेट’ की उसके नागरिक को दी गई गारंटी है। दुःख इस बात का है कि सुक्खू सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार की गारंटी को कांग्रेस की झूठी गारंटियों की तरह समझ लिया है। सरकार स्व देवराज शर्मा के एक लाख 79 हजार की दुहाई देने के बजाय 3 लाख 21 हजार की लिमिट होने के बाद भी इंजेक्शन न देने के लिए शर्म करे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार इस पूरे प्रकरण को आंख खोलने और आईना दिखाने वाली घटना की तरह लेती। जिससे इस तरह की घटना को रोकने की दिशा में प्रयास किए जा सकते लेकिन सरकार ने इसे अपनी साख का सवाल बनाया और अपनी झूठी शान को बचाने के लिए परिवार पर आरोप मढ़ दिए। जिस भावना के साथ मृतक के परिजनों ने इस मुद्दे को उठाया था सरकार को उनका सम्मान करना चाहिए था। मृतक परिवार से माफी मांगकर आगे से ऐसी स्थिति न आने देने की व्यवस्था करके सरकार इसका प्रायश्चित कर सकती थी। यह कोई इकलौता और आखिरी मामला नहीं है। आईजीएमसी तक में भी यह हर दिन की बात हो गई है। कभी दवा नहीं मिलती तो कभी ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। इस घटना के बाद न जाने कितने लोगों ने सोशल मीडिया पर कमेंट्स और संदेश भेजकर अपनी पीड़ा हमें बताई कि उन्हें किस तरह से इलाज और दवाएं नहीं मिल।रही हैं। प्रदेश की बर्बाद हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था अब प्रदेश के लाखों लोगों का भुगता हुआ यथार्थ है। इसे सरकार के चंद अधिकारी अपनी साजिशों से मिटा नहीं सकते हैं, उल्टा खुद भी बेनकाब होंगे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसे व्यवस्था परिवर्तन को सरकार अपने पास रखें जो किसी मरीज को महीनों तक इंजेक्शन के लिए इंतजार करवाए और जब उसकी मृत्यु हो जाए तो उसके तीन दिन बाद इंजेक्शन लगवाने के लिए बुलाए। इंजेक्शन महंगा था और बाहर से आता है यह तर्क भी सरकार की बेशर्मी के और निम्न स्तर पर जाने की बानगी है। इंजेक्शन क्या विदेश से आते हैं? इंजेक्शन चंडीगढ़ से ही तो आता है जो शिमला से मात्र तीन घंटे की दूरी पर हैं। सवाल चुनौतियों का नहीं सरकार की नीयत का है। इंजेक्शन न उपलब्ध करवाने की सच्चाई स्वीकारने में सरकार को क्या कठिनाई थी लेकिन सरकार ने मृतक के परिवार पर ही इंजेक्शन न ले जाने का आरोप मढ़ना आसान समझा।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला स्थित अपने आधिकारिक आवास पर आज जाह्नवी शर्मा से मुलाकात कर अपनी संवेदना व्यक्ति की।  उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार की लापरवाही की वजह से जाह्नवी के पिता की जान गई है और अब सरकार अपनी नाकामी स्वीकार करने की बजाय पीड़ित परिवार पर ही आरोप लगाकर और भी बड़ा पाप कर रही है। एक बेटी के सर से पिता का साया उठ गया है और सरकार उस पर भी घटिया राजनीति कर रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल्य जी कह रहे हैं कि इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था आगे से ऐसा न हो इसके लिए इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। सरकार दूसरी तरफ विभाग से बयान जारी करवा कर साबित करना चाह रही है कि पीड़िता इंजेक्शन लेने ही नहीं आई और सरकार द्वारा इलाज पर पैसा खर्च किया गया। सरकार द्वारा पैसा खर्च करके कोई एहसान नहीं किया गया। पीड़ित परिवार द्वारा हिम केयर का प्रीमियम भरा गया है। इसलिए सरकार एहसान जताना बंद करें और प्रदेश में ऐसा फिर किसी के साथ ना हो इसका प्रबंध करें।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मृतक की बेटी कह रही है कि वह अस्पताल के कई चक्कर लगा चुकी लेकिन उसे इंजेक्शन नहीं मिला। डॉक्टर ने उससे कहा कि अगर आपको बहुत जरूरी लगता है तो आप इंजेक्शन अपने पैसे से खरीद लीजिए। अगर सरकार को परिवार का भरोसा नहीं है तो वह अस्पताल में जहां दवा मिलती है वहां की सीसीटीवी फुटेज भी चेक कर सकती है और संबंधित अधिकारियों के कॉल रिकॉर्ड भी खंगाल सकती है। एक बेटी के सर से उसके पिता का साया उठ गया। लेकिन सरकार जो अब कर रही है वह  और भी घटिया है। सरकार वही कर रही जिसका पहले से अंदेशा था। अब सरकार सारी गलती पीड़ित परिवार और विपक्ष पर थोप रही है। सरकार कह रही है कि परिजन इंजेक्शन लेने ही नहीं आए। जाह्नवी ने बात चीत में स्पष्ट किया कि उसने आवाज उठाने का फैसला सिर्फ़ इसलिए किया कि किसी और के परिवार के साथ इस तरह का दु:खद हादसा न हो।

जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश का अभिभावक होता है, इसीलिए मैंने जाह्नवी का वीडियो भी जब मुझे मिला तो सबसे पहले उसे मुख्यमंत्री को भेजकर उन्हें बताया कि जो हुआ वह बहुत गलत है साथ ही उनसे अनुरोध किया ऐसा ना हो इसके लिए वह जरूरी और प्रभावी कदम उठाएं। लेकिन अब सरकार जो कर रही है वह पीड़ित परिवार के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार करने जैसा है।मेरा मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वह अपनी अंतरात्मा की आवाज सुने और पीड़ित के साथ नाइंसाफी की जो साजिशें रच रहे हैं उसे बंद कर पीड़ित परिवार से माफी मांगे।

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