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कहते हैं कि, अपराधी कितने भी शातिर क्यों न हो फिर भी क़ानून के शिकंजे से कभी बच नहीं सकते हैं। इसी बात को सही साबित करते हुए प्रदेश की जिला ऊना की अदालत ने ह्त्या के आरोप में दोषी पाए जाने वाले पिता-पुत्र सहित कुल चार लोगों को उम्र कैद व हजारों रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
ITBP जवान की छाती पर मारी थी गोली
जानकारी के अनुसार, जिला ऊना में जमीन विवाद से जुड़े एक सनसनीखेज़ हत्याकांड पर शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजिंद्र कुमार की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। यह घटना 1 अप्रैल 2021 की है। नंगड़ा गांव का रहने वाला आईटीबीपी जवान विपिन कुमार उस दिन अपने खेत में प्रवासी मजदूरों से गेहूं की कटाई करवा रहा था। उसी दौरान गांव के ही चार लोग- जसवंत सिंह, उसका बेटा दिलप्रीत सिंह, अमरीक सिंह और गुरप्रीत सिंह एक जिप्सी में सवार होकर खेत में आ पहुंचे।
जिप्सी जैसे ही रुकी, जसवंत सिंह गाड़ी से कूदा और हाथ में 12 बोर की बंदूक निकालकर विपिन को धमकाने लगा। इसी बीच उसके साथ आए तीनों आरोपियों ने जसवंत को उकसाया- कहा कि “गोली मार दो, यह हमारी जमीन पर कब्जा कर रहा है।” इसके बाद जसवंत ने जवान विपिन कुमार की छाती में गोली दाग दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
शिकायत और जांच
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। मामले की शिकायत गांव के ही गुरदयाल सिंह ने दर्ज करवाई। जिसके बाद थाना ऊना के प्रभारी गौरव भारद्वाज ने विस्तृत जांच शुरू की। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर चार्जशीट अदालत में पेश की। मुकदमे के दौरान 30 गवाहों के बयान, मेडिकल सबूत और घटनास्थल की रिपोर्ट अहम साबित हुई।
अदालत का फैसला
विशेष लोक अभियोजक ठाकुर भीषम चंद, जो शिमला से विशेष तौर पर इस मामले की पैरवी के लिए आते थे, ने अदालत में मजबूत पक्ष रखा। सभी साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद अदालत ने चारों आरोपियों को निम्नानुसार दोषी करार दिया-
जसवंत सिंह- मुख्य आरोपी
धारा 302– उम्रकैद + ₹50,000 जुर्माना
जुर्माना न देने पर 6 माह अतिरिक्त जेल
धारा 120B (साजिश) – 7 वर्ष कारावास + ₹20,000 जुर्माना
जुर्माना न देने पर 3 माह अतिरिक्त जेल
आर्म्स एक्ट 30– 6 माह कैद + ₹2,000 जुर्माना
जुर्माना न देने पर 1 माह अतिरिक्त जेल
दिलप्रीत, अमरीक और गुरप्रीत सिंह
धारा 302– उम्रकैद + ₹50,000 जुर्माना
धारा 120B – 7 वर्ष कैद + जुर्माना
अदालत ने आदेश दिया कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी, यानी concurrent होंगी।
न्याय की लंबी लड़ाई का अंत
करीब तीन सालों से चल रहा यह मामला आखिर मुकाम पर पहुंचा। अदालत का फैसला न केवल पीड़ित परिवार के लिए न्याय की उम्मीद लेकर आया है, बल्कि गांव में लंबे समय से चल रहे इस विवाद पर भी कानूनी मुहर लगा दी है।











