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जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा व सदस्य आरती सूद की अदालत ने आयोग में पहुंचे एक मामले के तहत एक सेवा केंद्र द्वारा जमाबंदी की नकल के रूप में उपभोक्ता से अतिरिक्त शुल्क वसूलने के मामले में केंद्र को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी ठहराते हुए आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों के तहत सेवा केंद्र को उपभोक्ता को 9 फीसदी ब्याज सहित 44 रुपए लौटाने का फैसला सुनाया है। इसके साथ ही सेवा केंद्र को उपभोक्ता को मानसिक प्रताड़ना और उत्पीड़न के लिए 10,000 रुपए का मुआवजा देना होगा जबकि मुकद्दमेबाजी के तौर पर 7500 रुपए लौटाने के भी आदेश जारी किए गए हैं। आयोग से मिली जानकारी के तहत शिकायतकर्त्ता ने शिकायत में बताया था कि उन्होंने 7 अक्तूबर 2023 को एक सेवा केंद्र से जमाबंदी की नकल प्राप्त करने के लिए संपर्क किया था।
इसके बदले सेवा केंद्र ने उपभोक्ता से 315 रुपए वसूल किए जबकि सरकार द्वारा निर्धारित दर के अनुसार केवल 271 रुपए लिए जाने थे। शिकायतकर्त्ता उपभोक्ता के अनुसार जब उन्होंने रसीद की मांग की और अधिक वसूली पर आपत्ति जताई तब भी सेवा केंद्र के दुकानदार द्वारा कोई उचित उत्तर नहीं दिया गया। बाद में उन्होंने विधिक नोटिस भी भेजा, लेकिन फिर भी जवाब नहीं मिला। आयोग के समक्ष यह मामला पहुंचने पर पाया गया कि सरकार द्वारा निर्धारित दर के अनुसार प्रति पृष्ठ 10 रुपए और प्रति खेवट 1 रुपया शुल्क निर्धारित है। ऐसे में सेवा केंद्र द्वारा कुल 26 प्रतियों पर 315 रुपए शुल्क लिया गया है जाेकि तय दर से 44 रुपए अधिक है। आयोग के अनुसार यह मामला सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है जिसे आधार मानते हुए आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में उपरोक्त फैसला सुनाया।