( जसवीर सिंह हंस ) क्रेशर रिश्वतखोरी मामले में आरोपी एच ए एस अधिकारी व दो को को आज हमीरपुर की स्पेशल कोर्ट (सेशन कोर्ट ) से आरोपियों को मिल गयी है | तथा क्रेशर रिश्वतखोरी मामले में एच ए एस अधिकारी व दलालो को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में चल रहे थे |
मामले में पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल और हिमाचल हाई कोर्ट शिमला के एडवोकेट विनय शर्मा का कहना है कि कोर्ट में पक्ष रखा गया था की अभी तक आरोप साबित नहीं हुए है तथा आरोपियों को हिरासत में रखना उचित नहीं है वही कोर्ट में कुछ शर्तो के साथ तीनो लोगो को जमानत दी है |
वही पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल और हिमाचल हाई कोर्ट शिमला के एडवोकेट विनय शर्मा का कहना है कि एचएएस अधिकारी एचएस राणा को किस जुर्म में पकड़ा गया है | किसी गैर सरकारी व्यक्ति को रंगे हाथ पकड़ा है न कि इस अधिकारी को । फिर यह अधिकारी भरष्ट कैसे हुआ ओर इन्हें किस अपराध में पकड़ा गया ? किसी की इज़्ज़त की मिट्टी पलीद करने में कोई टाइम नहीं लगता।इस अधिकारी की फैमिली भी है उनपर क्या बीतेगी । कल को अगर यह अधिकारी निर्दोष पाया जाता है तो उस इमेज की भरपाई कोन करेगा।
क्योंकि विजिलेंस ने इसे पकड़ा है तो क्या यह दोषी हो गया ? पैसा तो किसी ओर के पास से पकड़ा गया है और पैसे जिसने उस व्यक्ति को दिए उसका तो कोई काम भी इस अधिकारी द्वारा नहीं किया गया था।फिर इस अधिकारी पर जुर्म कैसे साबित होगा ? कोई मुझे समझाए कि इस अधिकारी का क्या जुर्म है और उसे कैसे अपराधी ठहरा सकते हो ? क्या इस अधिकारी को सिर्फ शक की बिनाह पर पकड़ा गया है य फिर सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए।इस अधिकारी को अरेस्ट क्या अपनी इमेज चमकाने के लिए विजिलेंस ने किया है ? पुलिस द्वारा गिरफ्तार होते ही किसी को भी हम दोषी मान लेते हैं और यह कटु सत्य है कि पकड़े गए मामलों में सिर्फ 5% लोगों को सजा मिलती है 95% किसी भी बजह से निर्दोष पाए जाते हैं ।
उनका कहना है कि उनकी नजर में यह एक कमजोर केस है और भ्र्ष्टाचार तो किसी भी एंगल से साबित नहीं होता क्योंकि इन्होंने प्रत्यक्ष रूप से कोई रिश्वत नहीं ली है।मैं इन्हें नहीं जानता पर पहली नज़र में मुझे इन पर लगाये गए इल्जाम फ़र्ज़ी नज़र आ रहे हैं।इन्होंने किसी स्टोन क्रशर वाले कि फ़ाइल चंडीगढ़ में क्लियर की ओर विजिलेंस ने किसी गैर सरकारी व्यक्ति को पावंटा साहब में पकड़ा।अगर इन्हें रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाता तब तो यह सीधे तौर पर अपराधी थे।क्या नम्बर बनाने के चक्कर मे विजिलेंस ने एक बड़े अधिकारी को बलि का बकरा बनाया है । अब आप यह मत समझना मैं किसी अपराधी को बचा रहा हूँ । ( जैसा पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल और हिमाचल हाई कोर्ट शिमला के एडवोकेट विनय शर्मा ने फ़ोन पर बताया )