सिरमौर में जनमंच कार्यक्रम में पेड़ के पत्तें से तैयार डोने व पत्तलों पर लोगों को परोसी गई धाम

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प्लास्टिक व थर्मोकोल से बनी वस्तुओं्र को तिलांजलि देकर जिला प्रशासन सिरमौर द्वारा बेचड़ का बाग में आयोजित जनमंच कार्यक्रम के दौरान लोगों को पत्तों से तैयार किए गए डोने व पत्तलों पर भोजन परोसा गया जोकि जनमंच में आए लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बना रहा  ।
जनमंच की  अध्यक्षता कर रहे कृषि एवं जनजातीय विकास मंत्री डॉ0 रामलाल मारकंडा द्वारा इस अनूठी पहल की सराहना करते हुए कहा कि थर्मोकॉल का विकल्प तैयार करने वाला सिरमौर जिला प्रदेश में अग्रणी जिला बन गया है और इस के शीघ्र ही सार्थक परिणाम आने लगेगें ।
उल्लेखनीय है कि सिरमौर ने मालझन, सॉल और सागवान के काफी वन विद्यमान है तथा इन वृक्षों के पत्तों से डोने व पत्तलें तैयार करनी की अपार संभावनाऐं मौजूद है । जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा  महिला मण्डलों व स्वयं सहायता समूहों को इस व्यवसाय से जोड़ा जा रहा  है । जिला के कुछ महिला मण्डलों व स्वयं सहायता समूह द्वारा  डोने और पत्तलों बनाने का काम भी आरंभ कर दिया है।  इस व्यवसाय के पूर्ण रूप से सफल होने पर  जिला सिरमौर  पूरे प्रदेश में पत्तल और डोने की मांग को पूरा करने की क्षमता रखता है ।
उपायुक्त सिरमौर  ने  कहा कि धारटीधार के दो महिला मण्डलों  थाना कसोगा और बिरला की महिलाओं को पत्तल डोने बनाने का प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया हे और अब इन महिला मण्डलों द्वारा मशीन के द्वारा गुणवतापूर्ण डोने व पत्तलें तैयार की जा रही है ताकि लोग स्वेच्छा से इन पत्तलों को खरीदना पसंद करें ।
प्रदेश सरकार द्वारा प्लास्टिक एवं थर्मोकॉल से बनी वस्तुओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है और लोगों द्वारा  विवाह एवं अन्य सार्वजनिक समारोह में प्रायः प्लास्टिक एवं थर्मोकॉल से बने पत्तले ंएवं डुने इस्तेमाल किए जा रहे  है जोकि स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है । उपायुक्त पे  कहा कि सिरमौर जिला के पच्छाद क्षेत्र और नाहन के धारटीधार क्षेत्र में मालझन, सॉल और सागवान के काफी वृक्ष है और इनके पतों से तैयार की जाने वाली पत्तलें एवं डोने तैयार करने की काफी संभावनाऐं विद्यमान  है । उन्होने कहा कि अतीत में भी विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह इत्यादि समारोह में हाथ से बनी पत्तले इस्तेमाल की जाती थी ।
उन्होने कहा कि इस व्यवसाय को पुर्नजीवित करने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे है ताकि ग्रामीण परिवेश की महिलाऐं आर्थिक रूप से सशक्त बन सके और  थर्मोकॉल का विकल्प तैयार किया जा सके ।  उन्होने कहा कि इस कार्य में  जिला ग्रामीण विकास  अभिकरण द्वारा जिला के सभी महिला मण्डलों एवं स्वयं सहायता समूहों इस व्यवसाय के साथ जोड़ा जा रहा हैं और स्वयं सहायता समूहों को बैंकों के साथ जोड़कर उन्हें डोने -पत्तल बनाने की मशीनें भी प्रदान की जा रही  है । इससे अतिरिक्त कि जिला के सभी विकास खण्डों पर  महिला मण्डलों और स्वयं सहायता समूहों को पत्तलों एवं डोने बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा हैं ।
उपायुक्त ने कहा कि पत्तलों की मार्किट का भी उचित प्रबन्ध किया जाएगा और पत्तलों की मार्केटिग जैम पोर्टल के माध्यम से भी की जाएगी ताकि स्वयं सहायता समूहों को उचित दाम मिल सके । उन्होने कहा कि पायलट के आधार पर जिला के पच्छाद एवं धारटीधार क्षेत्र की महिलाओं को इस व्यवसाय में जोड़ा जाएगा और इस कार्यक्रम के सफल होने पर इसे जिला के अन्य विकास खण्डों में भी आरंभ किया जाएगा और इसकी सप्लाई पूरे प्रदेश में की जाएगी ।
उन्होने कहा कि जिला सिरमौर को पोलीथीन और थर्मोकॉल मुक्त बनाने के लिए प्रयास जारी है तथा इस अभियान को भी जनसहभागिता से कार्यान्वित किया जा रहा है और लोगों को विवाह इत्यादि समारोह में थर्मोकॉल की बजाए पत्तों से तैयार किए गए पत्तल डोने के इस्तेमाल बारे जागरूक भी किया जा रहा है ।  जन मंच में आरंभ किए गए इस अभियान से सिरमौर जिला थर्मोकॉल की वस्तुओं को तिलांजलि देने वाला प्रदेश में प्रथम जिला बनेगा  ।

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