कब्जाधारियों के हौसले बुलंद आम रास्ता भी किया बंद ,मोनाल कैफे के पीछे होटल मालिक ने आम रास्ते के गेट में जड़ा ताला

(धनेश गौतम ) देवभूमि कुल्लू में अबैध कब्जाधारियों के हौसले बुलंद है। कारण स्पष्ट है कि हाई कोर्ट के निर्देश के बाद प्रशासन ने गरीब लोगों के कब्जों पर तो वुल्डोजर चलाया लेकिन धन्नासेठों के कब्जे यथावत रखे। अब धन्नासेठों के हौसले बुलंद है और आम रास्ते भी बंद किए जा रहे हैं। ढालपुर स्थित पर्यटन निगम के कैफे के पीछे एक होटल मालिक ने आम रास्ते को ही बंद कर दिया। होटल मालिक ने आम रास्ते पर लोहे के गेट का निर्माण कर गेट में ताला जड़ दिया है और पट्टिका लगाकर स्पष्ट कर दिया है कि यह आम रास्ता नहीं है। अब स्थानीय लोगों का कहना है कि मोनाल कैफे होकर ग्रीनपीस कालोनी,बाला बेहड़, चामुंडा नगर व वार्ड नंबर-8 की कई गलियों को रास्ता जाता है और यह रास्ता पुराना है लेकिन एक धन्नासेठ ने रास्ता ही बंद कर दिया है।

कुछ लोगों का कहना है कि राजस्व रिकार्ड में भी यह पुराना रास्ता है लेकिन बहुत सारे लोग असमंजस की स्थिति में हैं कि राजस्व रिकार्ड में यह रास्ता है भी या नहीं। उधर स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि भाषा विभाग ने भी अटल सदन के निर्माण के दौरान इस रास्ते को जगह छोड़ी है लेकिन होटल मालिक ने रास्ता ही बंद कर दिया है। वहीं वार्ड नंबर-8 के पार्षद तरुण विमल का कहना है कि उन्हें राजस्व रिकार्ड के बारे में जानकारी नहीं है कि यह रास्ता है या नहीं। हैरानी इस बात की है कि पर्यटन निगम के मोनाल कैफे के चारों तरफ कब्जाधारियों का बोलबाला है। एक तरफ सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार लगाकर व नुक्कड़ नाटक करवा कर लाखों रुपए खर्च कर रही है ताकि प्रदेश के पर्यटन को पटरी पर लाया जा सके तो दूसरी तरफ करोड़ों की संपति पर बड़े लोगों का कब्जा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। हैरानी इस बात की है कि पर्यटन को पंख लगाने की हर दिन घोषणा करने बाली सरकार के नाक तले पर्यटन निगम की संपति लावारिस बनती जा रही है।

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कुल्लू-मनाली प्रदेश के पर्यटन का हब है और ढालपुर मैदान में पर्यटन निगम का सोने का अंडा देने बाले कैफे को जाने बाला रास्ता अब दोनों तरफ से ही बंद कर दिया है। यही नहीं जिला में पर्यटन निगम का मार्केटिंग कार्यालय व इंफॉर्मेशन सेंटर भी इसी कैफे में है और यहां कैफे के चारों ओर नगर परिषद का कब्जा है और कैफे को जाने का रास्ता ढूंढे नहीं मिलता। सबसे बड़ी हैरानी इस बात की है कि किसी ने वाहनों की रेलमपेल के बीच कैफे जाने का रास्ता तलाश कर भी लिया तो 15 रुपए की चाय पीने के लिए पहले गाड़ी पार्क करने के 50 रुपए अदा करने पड़ते हैं। दरअसल कैफे के बाहर ढालपुर मैदान है जो रफाये आम है और नगर परिषद के ठेकेदार ने यहां अपना कब्जा कर रखा है तथा यहां पार्किंग स्थल बनाया है। पहले पर्यटन निगम ने अपने कैफे व मार्केटिंग कार्यालय के बाहर यलो लाइन दे रखी थी जिसके अंदर यहां आने बाले लोग कुछ समय के लिए अपनी गाड़ी पार्क करते थे और अपना काम निपटा कर चले जाते थे। लेकिन वर्तमान में पर्यटन निगम ने भी खड़े हाथ कर दिए हैं और यहां गाड़ियां अंदर तक इस कद्र पार्क करवाई जाती है कि कैफे में जाने के लिए रास्ता तक नहीं रखा गया है और अब दूसरी तरफ से भी एक निजी होटल मालिक ने रास्ता बंद कर दिया है।

ऐसी स्थिति में पर्यटन निगम को लाखों का चूना लग रहा है और दूसरी तरफ पार्किंग का ठेकेदार लाखों रुपए नगर परिषद व प्रशासन के आशीर्वाद से कमा रहा है। यहां पर्यटकों को मार्केटिंग कार्यालय व कैफे में चाय पीने के लिए गाड़ियों के बीच से गुजरना पड़ता है। उधर अब कुल्लू स्थित पर्यटन निगम का होटल सिल्वर मून भी ऊंची पहुंच बाले लोगों के वाहनों का अड्डा बन गया है। बताया जा रहा है कि होटल के पूरे रास्ते व होटल की पार्किंग में पहुंच बाले लोगों की गाड़ियों की भरमार होती है। यदि बाहर से कोई गेस्ट आ भी गया तो उसे सबसे पहले होटल जाने के लिए रास्ता ही नहीं मिलता। यदि किसी तरीके से होटल तक वाहन पहुंचा भी दिया तो वहां गाड़ी पार्क करने के लिए जगह तक नहीं मिल पाती। कियूंकि पहुंच बाले लोग पूरे परिसर में अपना वाहन पार्क करके गहरी नींद सो जाते हैं। यदि पर्यटन नगरी कुल्लू-मनाली में ही ऐसे हाल हो तो अन्य जगह के पर्यटन का आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं। यदि निगम,विभाग व प्रशासन इन रमणीय स्थलों की ही रक्षा नहीं कर सकते हैं तो पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगाए जा रहे उन शिविरों का क्या औचित्य रह गया है जिन पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं।

सनद रहे कि ढालपुर मैदान कुल्लू शहर का दिल माना जाता है और यहीं पर पर्यटन निगम का यह कैफे भी हैं। प्राइम लुकेशन पर पर्यटन निगम की यह संपति पर्यटन को पंख लगा सकती है। यही नहीं सभी सरकारी,गैर सरकारी लोग,अधिकारी व नेता भी इसी कैफे में ब्रेकफास्ट, लंच,डिन्नर व चाय-पान के लिए अक्सर जाते हैं और यहां की इस स्थिति से भली भांति परिचित है लेकिन किसी ने भी यहां की दशा सुधारने की जहमत नहीं उठाई। हैरानी इस बात की भी है कि नगर परिषद के उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत इससे पहले पर्यटन निगम के निदेशक पद पर रहे हैं। उन्हें भी इस समय ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की चिंता है न कि पर्यटन निगम की। यही कारण है कि जब भी उनसे इस बारे पूछा जाता है तो उनका एक ही जवाब रहता है कि यह पार्किंग लाखों में ठेके पर दी है तो अब ठेकेदार ने भी अपने पैसे पूरे करने है। उधर स्थानीय लोगों ने उपायुक्त ऋचा वर्मा से अपील की है कि इस पर कड़ी करवाई करें और पर्यटन निगम के कैफे व आम रास्ते से अवैध कब्जों से छुटकारा दिलवाएं।

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