सिरमौर के काला आम्ब में स्थित हिमालयन ग्रुप ऑफ़ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट के मालिको पर लटकी गिरफ़्तारी की तलवार

सिरमौर के काला आम्ब  में स्थित हिमालयन ग्रुप ऑफ़ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट के मालिको पर लटकी  गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है सिरमौर जिले के काला आम्ब  में स्थित हिमालय ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में सीबीआई ने दबिश दी बताया जा रहा है कि इस संस्थान से छात्रों भी से जुड़े दस्तावेज व कंप्यूटर सहित हार्ड डिस्क को सीबीआई टीम ने कब्जे में लिया शिमला में चंडीगढ़ से पहुंची सीबीआई की टीम ने हिमाचल ग्रुप ऑफ़ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में 2 दिन तक जांच की तथा बैंक खातो की भी जाँच की |

इस संस्थान  पर आरोप है कि इसने इसके मालिको ने  गरीब छात्रों के वजीफे डकार लिए तथा संस्थान में दाखिले के दौरान फर्जी दस्तावेज छात्रों के आधार नंबर किसी अन्य छात्रों के नाम सबसे अधिक बैंक खाते अन्य राज्यों के थे इसके साथ ही बैंक खाते में मोबाइल नंबर ही एक व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है जांच के दौरान यह भी पाया गया कि ऐडमिशन फॉर्म में भी अन्य छात्रों के फोटो लगा दिए गए थे बताया जा रहा है कि संस्थान ने हिमाचल छात्रों की स्कॉलरशिप डकारने  में कोई कसर नहीं छोड़ी वहीं सूत्रों के अनुसार इंस्टीट्यूट के मालिकों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है |

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प्रदेश सरकार से दो बार पूरा ब्यौरा मांगने के बाद कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार ने सोमवार को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया और बुधवार को शिमला स्थित सीबीआई थाने में मामला दर्ज किया गया।  प्रदेश सहित अन्य राज्यों में संचालित निजी शिक्षण संस्थानों के मालिको को गिरफ़्तारी का को खौफ सताने लगा है। इस मामले में कई बड़े शिक्षण संस्थान जांच के दायरे में हैं। शिमला पुलिस ने शिक्षा विभाग की शिकायत के आधार पर जो एफआईआर दर्ज की थी, उसमें भी कुछ निजी शिक्षण संस्थानों के नामों का उल्लेख किया गया था। इसके बाद कुछ संस्थानों के प्रतिनिधि सचिवालय भी पहुंचे थे। स्कॉलरशिप घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। बताया जा रहा है कि कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं।

शिक्षा विभाग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया है। 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ  निजी संस्थानों में बांटा गया, जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला। चार साल में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19 हजार 915 को चार मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई। इसी तरह 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति चार ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। 5729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है।

ऐसे हुआ खुलासा : राज्य सरकार को शिकायत मिली थी कि जनजातीय क्षेत्र लाहुल-स्पीति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति राशि नहीं मिल रही। ऐसे में शिकायतों को संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग ने मामले की जांच करवाने का निर्णय लिया। इस दौरान फर्जी एडमिशन से छात्रवृत्ति राशि के नाम पर घोटाले होने के तथ्य सामने आए। घोटाले की राशि 250 करोड़ बताई जा रही है।

इन बिंदुओं पर चल रही है जांच : -क्या बैंक अकाउंट छात्रों सहमति से खुले हैं।-उन्हें स्कॉलरशिप का कितना पैसा आया है। -छात्रवृत्ति योजनाओं का व्यापक प्रचार हुआ या नहीं, लाभार्थी इनके प्रति जागरूक थे।-योजनाओं का लाभ उठाने वाले पात्र हैं या नहीं।

 

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