हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात की और उनसे हिमाचल प्रदेश में जलवायुगत परिवर्तनों के मद्देनजर यहां के मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रखने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा तैयार की गई दो बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि केंद्र हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा वनों व पारिस्थितिकीय संतुलन को बरकरार रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों को मजबूती प्रदान करने में पूरी मदद प्रदान करेगा और प्रदेश सरकार द्वारा इस उद्देश्य से जो भी परियोजनाएं तैयार करके केंद्र को भिजवाई जाएंगी, उनका विस्तृत अध्ययन करके तकनीकी एवं वित्तीय स्वीकृति शीघ्र प्रदान करने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि प्रदेश के पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से 1644 करोड़32 लाख की अनुमानित लागत के 2 परियोजनाएं केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजी गई हैं। इनमें 1125.32 करोड़ की महत्वाकांक्षी परियोजना जल संरक्षण एवं प्राकृतिक जल संसाधनों के सामुदायिक प्रबंधन को लेकर है और दूसरी 492 करोड़ की परियोजना हिमाचल प्रदेश में जलवायुगत वन प्रबंधन पर आधारित है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (National Adaptation Fund for Climate Change) के तहत प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र को भेजी गई 57 करोड़ की तीन अन्य परियोजनाओं को भी मंजूरी प्रदान करने का आग्रह किया। इनमें प्रदेश के कुल्लू जिला में स्थित पार्वती घाटी में ग्लेशियरों के निरंतर सिकुड़ने और इससे बाढ़ के संभावित खतरे से निपटने के लिए 20.49 करोड़ की परियोजना, कुल्लू जिला के बंजार घाटी में जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत कृषि व बागवानी को बढ़ावा देने के लिए 19.92 करोड़ की परियोजना व कुल्लू जिला में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देकर वनों पर दबाव कम करके पारिस्थितिकी संतुलन को बरकरार रखने के लिए तैयार की गई 17.34 करोड़ की परियोजना शामिल है।