पांवटा साहिब : पतंग का पीछा कर रहा गरीब प्रवासी मजदूर का बच्चा दीवार से गिरा , गंभीर हालत में रेफर

मामला देर शाम का है जब पांवटा साहिब उपमंडल कार्यालय के नजदीक रह रहे प्रवासी मजदूर जो गत दिनों से यहीं पर झुग्गी झोपड़ी में पड़े हुए हैं तथा होली के मेले के दौरान यहां पर आए थे वह लॉकडाउन के कारण कर्फ्यू के बीच फंसे हुए हैं आज इन प्रवासी मजदूर का बच्चा पतंग लूटने के चक्कर में एक दीवार से गिर गया तथा घायल हो गया जिसे पांवटा साहिब सिविल अस्पताल लाया गया वहीं पांवटा साहिब सिविल अस्पताल में बच्चे का सिटी स्कैन करवाने के लिए पहले पैसे जमा करवाए गए इन गरीब मजदूरों के पास पैसे ना होने के बावजूद कहीं से पैसे इकट्ठे कर इन्होंने सिटी स्कैन की फीस जमा करवाई वही दवाई के लिए भी परिजन मेडिकल स्टोर के चक्कर लगाते रहे

वहीं कुछ अन्य प्रबुद्ध नागरिकों ने आला अधिकारियों को सूचना दी कि बच्चे का ट्रीटमेंट सही तरीके से नहीं किया जा रहा है परंतु कोई कार्रवाई ना होते देख उन्होंने खबरोंवाला के संपादक को रात करीब 10:00 बजे फोन किया वह जानकारी दी कि गरीबों के पास इलाज के लिए भी पैसे नहीं वह बच्चे का इलाज सही तरीके से नहीं हो रहा जिसके बाद आला अधिकारी एस एम ओ डॉक्टर सहगल से संपर्क किया गया तो उन्होंने डॉक्टर को तुरंत कार्रवाई के लिए कहा जिसके बाद खबरोंवाला की तरफ से जिम्मेदारी समझते हुए जब मौके पर जाकर सिविल हॉस्पिटल में परिवार से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि पहले सीटी स्कैन के पैसे वापस करने की बात हो रही थी परंतु पैसे वापस नहीं किए गए जिसके बाद मीडिया को मौके पर देख कुछ देर बाद पांवटा साहिब अस्पताल से घायल को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया तथा बताया जा रहा है कि बच्चे को नाहन रेफर किया गया है

जहां पर प्रदेश सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है कि यहां पर फ्री इलाज किया जा रहा है वहीं अगर गरीब तबके के परिवारों से पैसे लिए जा रहे हैं तो कैसे निशुल्क सेवा।वहीं पांवटा साहिब में रोगी कल्याण समिति भी बनाई गई है जहां पर इस तरह के गरीब लोगों के लिए यह समिति अपनी तरफ से कुछ मदद कर सकती है। वही जब इस विषय पर डॉक्टर संजीव सागर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि रोगी कल्याण समिति से किसी तरह भी वह सहायता नहीं कर सकते ऐसे में सवाल यही उठता है कि रोगी कल्याण समिति क्या डॉक्टरों की महंगी कुर्सियां खरीदने वह अस्पताल में एसी लगाने के लिए ही आम आदमी से पैसे इकट्ठे करती है वह जब किराए व पार्किंग की इनकम के रूप में भी लाखों रुपया जब इकट्ठा होता है तो क्या एक गरीब की सहायता के लिए इन पैसों को नहीं खर्चा जा सकता

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