राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज सोलन जिले के डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में कृषि विभाग द्वारा ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’ के अंतर्गत शून्य लागत प्राकृतिक खेती पर तीन दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर के तृतीय चरण का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती एक स्थापित वैज्ञानिक प्रचलन है और इसे मुख्य धारा में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुणा करने के लक्ष्य को हासिल करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, किसानों तथा वैज्ञानिकों के सामूहिक प्रयासों से इस प्रचलन के पैकेज को विकसित किया जाएगा ताकि प्राकृतिक खेती में राज्य दूसरों के लिये भी मार्गदर्शक बने।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि ‘हमें अपनी पक्षपातपूर्ण मानसिकता तथा धारणा को बदलना चाहिए क्योंकि यूरिया तथा डीएपी अथवा कीटनाशकों का प्रयोग कर जिस जैविक खेती को हम कर रहे हैं इससे अपरोक्ष तौर पर विदेशी अर्थव्यवस्था को मदद करना है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने भारत की पारम्परिक प्राकृतिक खेती को इतना मंहगा बना दिया है।
उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि इस कृषि प्रचलन के जनक माने जाने वाले पदमश्री डॉ. सुभाष पालेकर के चिन्तन का प्रचार करें। उन्होंने लगभग 10 वर्षों के व्यापक अनुसंधान के उपरान्त इस प्रचलन को दीर्घकालीन पाया। उन्होंने कहा कि राज्य के किसान प्रगतिशील हैं और हमें किसान समुदाय को दिशा देनी चाहिए क्योंकि वे प्राकृतिक खेती के प्रति गंभीर हैं।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में नवीनतम शोध में पाया गया है कि स्थानीय नस्ल की गायों से प्राप्त किया गया गौमूत्र तथा गोबर लगभग 30 एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान कर सकता है। इस मिश्रण का निरन्तर उपयोग मिट्टी की उर्वरकता में भी सुधार करेगा।
उन्होंने इस मिशन को गंभीरता से लेने तथा किसान समुदाय के कल्याण के लिए 25 करोड़ रुपये का बजट प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, ग्लोबल वार्मिंग, प्राकृतिक असंतुलन, प्रदूषण इत्यादि से जुड़ी अधिकांश समस्याएं रासायनिक खेती का प्रतिफल है।
इसके विपरीत, शून्य लागत प्राकृतिक खेती मिट्टी में कार्बन तत्वों में वृद्धि करती है, पर्यावरण बचाती है तथा इसमें पानी का कम प्रयोग होता है। उन्होंने प्राकृतिक खेती के अन्य लाभों पर भी चर्चा की। उन्होंने किसानों से प्रशिक्षण शिविर में सक्रियतापूर्ण भागीदारी सुनिश्चित बनाने तथा विशेषज्ञों से पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने का आग्रह किया।
कुलपति डॉ. एच.सी. शर्मा ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि उनके दिशा-निर्देशानुसार विश्वविद्यालय ने शून्य लागत प्राकृतिक खेती के लिए 25 एकड़ से अधिक भूमि चिन्हित करने के साथ-साथ विद्यार्थियों को प्राकृतिक खेती पर अनुसंधान गतिविधियों के साथ जोड़ा है।
प्रधान सचिव कृषि आंेकार शर्मा ने इस अवसर पर राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने राज्यपाल के प्राकृतिक खेती में व्यापक अनुभव के चलते उनके मार्गदर्शन में ‘प्राकृतिक कृषि, खुशहाल किसान योजना’ आरम्भ की है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक तथा प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
मास्टर प्रशिक्षक डॉ. वजीर सिंह ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखें तथा प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। शून्य लागत प्राकृतिक खेती के परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने धन्यवाद किया और कहा कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जायेंगे, क्योंकि यह किसानों की आर्थिकी से जुड़ा है। उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को इस मिशन से जुड़ने का आग्रह किया ताकि राज्यपाल के विजन को राज्य में कार्यान्वित किया जा सके।
विधायक डॉ. कर्नल धनीराम शांडिल, उपायुक्त विनोद कुमार, पुलिस अधीक्षक मुधसूदन शर्मा, कृषि निदेशक डॉ. देसराज शर्मा, शून्य लागत प्राकृतिक खेती के सह-निदेशक डॉ. राजेश्वर चन्देल, अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा प्रगतिशील किसान भी इस अवसर पर उपस्थित थे।