कुल्लू : ग्लेशियर बेस में मिला 50 साल पहले लापता विमान के अवशेष व्यक्ति के शरीर के अवशेष भी बर्फ में दफन

( धनेश गौतम )हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल स्पीति की चन्द्रभागा पीक पर गई एक टीम को वायुसेना के विमान के टुकड़े मिले है। वही, विमान के टुकड़ों के साथ एक मानव अवशेष भी मिला है। मनाली से चन्द्रभागा पीक पर गई टीम ने इस बारे भारतीय रक्षा मंत्रालय को भी अवगत करवा दिया है। मिली जानकारी के अनुसार जुलाई माह के शुरुआती दिनों में मनाली से इंडियन माउंटनियरिंग फाउंडेशन व ओनजीसी की सयुंक्त टीम ने चन्द्रभागा की पहाड़ियों पर क्लीन अप अभियान चलाया था। जब वो पहाड़ियों पर सफाई अभियान कर रहे थे तो चन्द्रभागा 13 व 14 के हिस्से में उन्हें यह टुकड़े नजर आए। वही, साथ ही उन्हें एक मानव का अवशेष भी नजर आया।

उन्होंने उसकी फोटो ली और इस घटना के बारे में भारतीय रक्षा मंत्रालय को भी अवगत करवाया गया। रक्षा मंत्रालय की टीम द्वारा उनसे इस लोकेशन की पूरी जानकारी ली। बताया जा रहा है कि यह विमान वायुसेना का एएन -12 विमान है जो 1968 में हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी में चंडीगढ़ से लेह तक उड़ान भरने के दौरान 102 कर्मियों के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान के यह अवशेष ढाका ग्लेशियर बेस शिविर में समुद्र तल से 6,200 मीटर ऊपर पाए गए है। क्लीन अप अभियान में शामिल माउंट एवरेस्ट को 20 साल की उम्र में पार कर चुके पर्वतारोही खिमी राम ने बताया कि हमने पहले विमान के कुछ हिस्सों को पाया। इसके बाद हमारे टीम के सदस्यों ने स्पॉट से कुछ मीटर दूर एक व्यक्ति के शरीर के अवशेष को देखा। उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने शरीर और विमान मलबे की तस्वीरें ली और 16 जुलाई को सेना के पर्वतारोहण संस्थान को भी सूचित कर दिया है।

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बताया जा रहा है कि यह विमान  7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए रवाना हुआ था। विमान जब रोहतांग पास पर पहुंचा तो मौसम खराब हो गया। खराब मौसम के कारण पायलट ने वापस लौटने का फैसला किया था। इसके बाद 98 यात्रियों और चार चालक दल के सदस्यों के साथ सोवियत संघ निर्मित विमान 7 फरवरी, 1 9 68 को गायब हो गया था। यह विमान रोहतंग पास पर था जब उसने अपना अंतिम रेडियो संपर्क बनाया था। वही, उसके बाद भी  साल 2003 में दक्षिणी ढाका ग्लेशियर में हवाई जहाज़ के मलबे की खोज एबीवी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड अलाइड स्पोर्ट्स मनाली के अभियान द्वारा की गई थी। उस दौरान भी पर्वतारोहियों को एक शरीर के अवशेष भी मिलते हैं। जिन्हें बाद में विमान में उड़ान भरने वाले सिपाही बेली राम के रूप में पहचाना गया था।

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