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जिला कांगड़ा में आज सुबह लैंडस्लाइड हुआ. सोमवार सुबह भारी बारिश के कारण सिविल अस्पताल ज्वाली के पास लैंडस्लाइड हुआ. इस हादसे में एक प्रवासी परिवार के चार लोग मलबे में दब गए. ये परिवार अस्पताल में ही भवन निर्माण कार्य में मजदूरी का काम करता है. लैंडस्लाइड आज सुबह करीब 3 बजकर 10 मिनट पर कांगड़ा के ज्वाली अस्पताल के पुराने भवन के पास हुआ. वहीं, इस मलबे की चपेट में प्रवासी मजदूर का परिवार आ गया, जो कि पास ही झुग्गी बनाकर रह रहा था. हालांकि स्थानीय लोगों और अस्पताल स्टाफ की मदद से चारों प्रवासी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है.
दो लोगों की हालत गंभीर
सिविल अस्पताल ज्वाली के एसएमओ डॉ. ईशान मुहम्मद ने बताया कि सिविल अस्पताल के पुराने भवन के पास हुए लैंडस्लाइड के मलबे में चार प्रवासी मजदूर दब गए थे. जिनकी पहचान संजय कुमार (उम्र 33 साल), पत्नी राधा देवी (उम्र 25 साल), बेटी रागिनी (उम्र 7 साल) और बेटा अनुराग (उम्र 5 साल) के तौर पर हुई है. अस्पताल स्टाफ, प्रवासी मजदूरों के रिश्तेदार और स्थानीय लोगों ने मिलकर कड़ी मशक्कत के बाद चारों लोगों को मलबे से बाहर निकाला. जिसके बाद सभी घायलों को फौरन सिविल अस्पताल ज्वाली में भर्ती करवाया गया. जहां अब उनका इलाज जारी है. डॉक्टरों के मुताबिक दो लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है.
लैंडस्लाइड में दबे चार लोगों को समय रहते बाहर निकाल लिया गया. सभी का अस्पताल में इलाज चल रहा है. दो घायलों को ज्यादा चोटें आई हैं और उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है. वहीं, इस हादसे में अस्पताल के पास बन रही करोड़ों रुपयों की नई बिल्डिंग को भी खतरा पैदा हो गया है. पुराने भवन के पास हुए लैंडस्लाइड के बाद एहतियातन अस्पताल प्रशासन ने पुरानी बिल्डिंग खाली कर दी है और मरीजों को नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है.” – डॉ. ईशान मुहम्मद, एसएमओ, सिविल अस्पताल ज्वाली
55 लोगों की मौत, 2 लापता
कांगड़ा जिले में इस साल मानसून सीजन में भारी बारिश ने जमकर कहर बरपाया है. जिले में 20 जून को मानसून की शुरुआत से लेकर 14 सितंबर तक 1482.31 करोड़ का नुकसान हो चुका है. जिले में अब तक इस बरसात में 55 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 4 लोग घायल हुए हैं और 2 लोग लापता हैं. अब तक जिलेभर में 27 पक्के और 180 कच्चे मकान पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं. जबकि 126 पक्के और 1076 कच्चे घरों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है. वहीं, 33 दुकानें/फैक्ट्रियां क्षतिग्रस्त हुई हैं और 1388 गौशालाएं ध्वस्त हो गई हैं.












