(नीना गौतम ) कुल्लू जिला की सराज घाटी के आराध्य देवता एवं सृष्टि रचयिता देव श्रीबड़ा छमाहूं मंडी की अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि में भाग लेने जा रहे हैं। देवता कुछ वर्षों बाद मंडी शिवरात्रि जाने का आदेश हारियानों को देते हैं। इस वर्ष देवता लावलश्कर के साथ इस महापर्व में पहुंचेंगे और छोटी काशी में देव माधोराय के अलावा अठारह करडू देवी-देवताओं से मिलन करेंगें। इस दौरान देवता राजा की प्रोल में भी अपनी हाजरी भरेंगें। देव श्रीबड़ा छमाहूं का छोटी काशी मंडी से
युगों-युगों का संबध है और मंडी व सुकेत रियासत के भी पूर्व में आराध्य देव रहे हैं।
मंडी रियासत के इतिहास के मुताविक देव श्रीबड़ा छमाहूं के प्रमुख मोहरे ने तत्कालीन मंडी रियासत के राजा विजय सेन से प्रत्यक्ष रूप से बात की थी और राजा ने देवता से कई बातें पूछी थी। फिर राजा विजय सेन ने खुश होकर देवता को सोने का चौऊंर मुठ व एक जमीन का विशाल टुकड़ा अपनी रियासत में भेंट करवाया था। उस समय राजा देवता को समय.समय पर मंडी आने का निमंत्रण देते थे। यही कारण है कि आज भी देवता समय-समय पर मंडी जाने के इच्छुक रहते हैं। देव श्रीबड़ा छमाहूं विकास कमेटी के अध्यक्ष नोक सिंह, सचिव शेर सिंह, पुजारी महेंद्र शर्मा व पालसरा दीपक ने बताया कि इस वर्ष देवता कई वर्षों के बाद मंडी महाशिवरात्रि में भाग लेने जा रहे हैं।
हारियानों ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है और 21 फरवरी को देवता अपने निवास
स्थान कोटला से लावलश्कर के साथ प्रस्थान करेंगें और 22 फरवरी को मंडी पहुंचेंगे। यहां पर श्रद्धालु सात दिनों तक देव श्रीबड़ा छमाहूं के दर्शन कर पाएंगे। सनद रहे कि देव श्रीबड़ा छमाहूं सृष्टि के रचनाकार हैं। छमाहूं का अर्थ है छह देवों की सामूहिक शक्ति। यानिकि एक ही देव रथ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, आदी, शक्ति व शेष विराजमान है। छमाहूं का अवतरण महाप्रलय के बाद सृष्टि की पुन: रचना के लिए हुआ था। मंडी में देव श्रीबड़ा छमाहूं का मिलन अपने छोटे भाई खणी के छमाहूं से भी होगा।