कहा जाता है कि झूठ के पांव नहीं होते, ऐसा ही एक मामला पांवटा साहिब में सामने आया। पांवटा साहिब की कथित महिला पत्रकार द्वारा एक व्यक्ति पर छेड़छाड़ का झूठा मामला दर्ज करवाया गया । अब पुलिस की जांच में मामला पूरी तरह से बेबुनियाद पाया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार पांवटा साहिब पुलिस थाना में दिसंबर माह, वर्ष 24, में पुलिस थाना पांवटा साहिब की कथित महिला पत्रकार ने छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कराया। महिला पत्रकार ने झूठे और गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस को शिकायत सौंपी, जिसके बाद थाना प्रभारी देवी सिंह ने पहले मामला दर्ज किया और उसके बाद न्यायालय के समक्ष महिला पत्रकार के ब्यान दर्ज करवाए।
कथित महिला पत्रकार ने अपने बयान में न्यायाधीश के सामने बताया कि वर्ष 2024 दिसंबर माह में वह एक कार से लिफ्ट लेकर मिशन स्कूल से थोड़ा सा आगे और हैवेंस बार के पहले वो गाड़ी से उतर गई, इतनी ही देर में अचानक आरोपी व्यक्ति स्कूटी पर आया और उसने अपनी स्कूटी बिल्कुल मेरे मुंह के सामने लगा दी उसके बाद आरोपी व्यक्ति ने उसे गंदी-गंदी गालियां दी और उसके प्राइवेट पार्ट को टच किया, अपने बयान में महिला पत्रकार ने बताया कि जब-जब भी वह किसी प्रोग्राम में जाती थी आरोपी व्यक्ति उसका पीछा करता था। हालांकि अब तक महिला पत्रकार पुलिस को यह नहीं बता पाई है कि कब-कब कहां-कहां कौन-कौन से प्रोग्राम में आरोपी व्यक्ति ने उसका पीछा किया और किसके समक्ष उसके साथ बदसलूकी या छेड़छाड़ की, अभी तक कोई भी चश्मदीद गवाह सामने नहीं आया है। न्यायाधीश महोदय के सामने महिला पत्रकार ने अपना बयान दर्ज करवाया।
उसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की पुलिस ने महिला पत्रकार और आरोपी युवक की जिस दिन छेड़छाड़ हुई उस दिन और उस समय की CDR निकलवाई, CDR (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) में छेड़छाड़ की जगह पर ना तो आरोपी व्यक्ति की फोन लोकेशन आई और न ही आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार की मोबाइल लोकेशन मौके की ट्रेस हो पाई है, यानी जिस वक्त छेड़छाड़ और प्राइवेट पार्ट टच करने के आरोप लगाए जा रहे हैं उस वक्त दोनों ही अलग-अलग जगह पर मौजूद थे। इसके बाद पुलिस ने और भी कई तरह से जांच की है। जिसमें सामने आया है उक्त महिला पत्रकार के साथ छेड़छाड़ और प्राइवेट पार्ट को टच करने की बात झूठी है और उन सभी धाराओं को फिलहाल पुलिस ने रिमूव कर दिया है। हालांकि पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया है जिसमें महिला पत्रकार का पीछा करने और प्रोग्राम्स के दौरान छेड़छाड़ की बाद न्यायाधीश के समक्ष रखी गई है, पुलिस की माने तो पीछा करना और प्रोग्राम में छेड़छाड़ के आरोप फिलहाल साबित नहीं हो पा रहे हैं।
दर असल पुलिस जिस जगह पर वारदात हुई है उस जगह की सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकलवा सकती है और मौके पर मौजूद फोन लोकेशंस से पता चल सकता है कि कौन-कौन उस समय वारदात की जगह पर मौजूद थे। कोर्ट में भी ये बेहद सटीक सबूत माना जाता है।
वही जब आरोपी व्यक्ति से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनको ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई, उनसे पैसों की डिमांड भी की गई और जब पैसे नहीं दिए तो उन पर कथित महिला पत्रकार ने छेड़छाड़ का झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया। लेकिन पुलिस द्वारा की गई जांच में उन पर लगे गंभीर आरोप झूठे पाए गए। जिस दिन और जिस जगह की महिला पत्रकार ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं वह उसे दिन वहां पर मौजूद ही नहीं थे। उन्होंने कहा कि उन पर कथित महिला पत्रकार द्वारा झूठा मुकदमा दर्ज करवाने को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और महिला पत्रकार पर मुकदमा भी दर्ज करवाया जाएगा ताकि भविष्य में कोई और व्यक्ति कथित महिला पत्रकार का शिकार न बन पाए।
वह इस बारे में जब डीएसपी मानवेंद्र ठाकुर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था और जांच में पाया गया कि महिला के साथ बताई गई जगह पर कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है क्योंकि सीडीआर में आरोपी और कथित पीड़ित महिला के मोबाइल लोकेशन अलग-अलग जगह पर आ रहे हैं । न्यायालय में रिपोर्ट सबमिट कर दी गई है। यह मामला न्यायालय में है और इससे ज्यादा वह कुछ नहीं बता सकते। वही बताया जा रहा है कि जो कोर्ट में रिपोर्ट पुलिस द्वारा पेश की गई है वह भी झूठे तथ्यों पर की गई है क्योंकि पुलिस द्वारा सही जांच नहीं की गई है पुलिस अधीक्षक सिरमौर निश्चित सिंह नेगी को शिकायत देने के बावजूद निष्पक्ष जांच नहीं हुई है पुलिस स्टेशन के भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा गलत रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में पेश की गई है इस विषय में हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि मामले को हाईकोर्ट में चैलेंज किया जाएगा तथा रद्द करवाया जाएगा
(फिलहाल यह है मामला न्यायालय में पहुंच गया है इसलिए पीड़ित और आरोपी दोनों केही नाम गुप्त रखे गए हैं)