माजरा दंगों ने हिमाचल सहित पूरे भारत में गंदी सियासत और नेताओं और प्रशासन के बीच लड़ाई को लेकर चर्चा का विषय बना दिया था पर आखिरकार गलती किसकी थी इस पर अभी तक ना तो कोई हाई लेवल जांच हुई है ना ही मुख्य आरोपी गिरफ्तार हो सके हैं पर मुद्दा भटका दिया गया इस मुद्दे के बीच में सियासत आ गई और मुद्दा भटक गया
असल कहानी शुरू होती है 4 जून से जहां पर एक मुस्लिम युवक हिंदू युवती को लेकर गायब हो जाता है युवती के परिजन कई दिन तक पुलिस स्टेशन और अधिकारियों के चक्कर लगाते रहते हैं परंतु कोई कार्रवाई नहीं होती इस पर सिरमौर के पुलिस से अधीक्षक को शिकायत दी जाती है जिनके दखल के बाद माजरा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की जाती है परंतु इतने दिन तक कड़ी कार्रवाई न करने को किसी पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती
इसके बाद 12 जून को माजरा में इकट्ठा होकर हिंदू संगठन के लोग एक वीडियो फेसबुक पर डालते हैं मानव शर्मा नाम की फेसबुक आईडी से वीडियो डालते हैं कि कल 10:00 बजे माजरा बायपास चौक पर इकट्ठा हुआ जाएगा और रोड जाम किया जाएगा पुलिस प्रशासन तक यह वीडियो पहुंचती है 13 जून सुबह 10:00 तक भी युवती और युवक को ढूंढने में पुलिस असफल साबित होती हैं पुलिस प्रशासन के अधिकारियों एसडीएम गुंजित सिंह चीमा और डीएसपी मानवेंद्र ठाकुर द्वारा 5:00 बजे तक का समय दे दिया जाता है परंतु कोई कड़ी कार्रवाई न होता देख और युवती के ना बरामद होने के कारण 5:00 भीड़ उग्र हो जाती है और दंगई मुस्लिम युवक के गांव की तरफ लोग बढ़ जाते हैं जब पुलिस को 1 दिन पहले ही मालूम था कि मामला पर गंभीर हो रहा है ना तो पुलिस फोर्स मंगाई जाती है ना बीएनएस की धारा 163 लागू की जाती है
भीड़ किरतपुर गांव की तरफ बढ़ती है चंद पुलिस कर्मचारी सैकड़ो लोगों की भीड़ को रोकने के लिए लगाए जाते हैं ऐसे में पुलिसकर्मियों पर भी हमला होता है पुलिसकर्मी घायल होते हैं इसके बाद कुछ निहत्थे पर लाठीचार्ज भी किया जाता है वीडियो में स्पष्ट दिखता है की एक व्यक्ति साइड में खड़ा है जिस पर दो बिना वर्दी पुलिसकर्मी डंडे बरसते हैं इसके बाद एक पुलिसकर्मी वर्दी में आकर इस युवक के मुंह और पेट में लात मारता है सबसे बड़ी बात इन दंगों के बीच पुलिसकर्मियों के पास कोई भी सुरक्षा उपकरण नहीं थे बिना हेलमेट के पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया था वरना पुलिसकर्मी घायल ना होते ऐसे में क्या इसके लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी रही बात प्रशासन की प्रशासन की तरफ से मौके पर नायब तहसीलदार पहले से मौजूद थे बात बिगड़ देख एसडीएम भी मौके पर पहुंचे गाली देने और डंडा लेकर चलने पर काफी विवाद होता है
इसके बाद होती है जिले में हेड क्वार्टर में तैनात डीएसपी और सिरमौर के पुलिस अधीक्षक निश्चिंत सिंह नेगी की अंत में मामला शांत करने के लिए मौके पर पहुंचते हैं वह घर पुलिसकर्मियों का हालचाल पूछने अस्पताल भी जाते हैं मामला शांत होता दिखा है देर रात बीएनएस की धारा 169 लगा दी जाती है अगले दिन सुबह भाजपा नेता राजीव इंदल सुखराम चौधरी स्टेशन की तरफ बढ़ते है उनके साथ लगभग 50 लोगों की भीड़ होती है भाजपा नेताओं का आरोप है कि जिस एरिया में वह इकट्ठे हुए थे उसे एरिया में धारा 163 नहीं लगी थी क्योंकि माजरा और जिन पंचायत में भीड़ इकट्ठा होने पर रोक थी वह इसी इलाके में नहीं गए थे ऐसे में उनके ऊपर और उनके समर्थकों के ऊपर मुकदमा दर्ज करना गलत है
सुबह भाजपा नेता और एसडीएम की तीखी बहस होती है सोशल मीडिया पर खूब वीडियो वायरल हुई राजीव बिंदल एसडीएम पर डंडा लेकर चलने और माहौल खराब करने के आरोप लगाते हैं वहीं एसडीएम कहते हैं कि दंगा करने वाले लाठी पत्थर लेकर आए थे तो उन्होंने मजबूरी में डंडा उठाया मामले दर्ज होने के बाद भाजपा नेता सहित कई अन्य लोग हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल कर देते हैं जिनमें से एक आरोपी की जमानत याचिका गत दिवस खारिज होती है तथा आरोपी रमन को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है वहीं पांच आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार करती है जो इस समय जेल की सलाखों में है वहीं कुछ हिंदू समर्थित संगठन आरोपियों को खुलकर समर्थन दे रहे हैं तथा गिरफ्तार आरोपियों की जमानत याचिका भी हाईकोर्ट में लगाई गई है जिसको लेकर पुलिस से जवाब भी मांगा गया है इसमें यह भी बात सामने आई है कि कर आरोपी जो पहले गिरफ्तार किए गए थे पुलिस उनका रिमांड लेने में भी असफल साबित हुई है क्योंकि पुलिस उनके खिलाफ कोई भी ठोस सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर पाई है
ऐसे में सवाल उठता है कि खुफिया तंत्र और पुलिस प्रशासन यदि 12 जून को ही सतर्क हो जाता तो इतना बड़ा मामला ना होता इलाके का शांत माहौल भयंकर हो गया वह इतना सब कुछ घटित हो गया आखिर इस सब में दोषी कौन है नेताओं का माहौल बिगड़ने में हाथ है परंतु इस माहौल को खराब होने से पहले ही रोका जा सकता था परंतु बाद में जब युवती ही कोर्ट में बोल देती है कि मैं अपनी मर्जी से घूमने गई थी हिंदू संगठन और भाजपा बैक फुट पर आ जाते हैं और पुलिस प्रशासन पूर्व मंत्री विधानसभा अध्यक्ष जैसे भाजपा नेताओं पर भारी हो जाता है कुल मिलाकर क्षेत्र का माहौल खराब होने के अलावा कुछ नहीं हुआ नेता दोबारा चुनाव आएंगे दोबारा लड़ेंगे पुलिस प्रशासन के अधिकारी ट्रांसफर हो जाएंगे नए आ जाएंगे आम जनता को इसका खामियाजा भुगताना पड़ा असल बात यह है कि जिस दिन पुलिसकर्मियों के ऊपर हमला होता है अगले दिन सुबह ही पुलिस युवक की युवती को बरामद कर लेती है ऐसे में पुलिस पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं कि आखिर इतने दिनों तक वह क्या कर रहे थे या फिर माहौल बिगड़ने का इंतजार कर रहे थे या माहौल बिगड़ने में पुलिस प्रशासन की लापरवाही है