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हिमाचल प्रदेश में आए दिन ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप व उन पर कार्रवाई के मामले सामने आ रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामलों में अब महिला पंचायत प्रधान भी पीछे नहीं रह रही हैं। ऐसे में एक अन्य ताजा मामला प्रदेश के जिला चंबा से सामने आया है, पंचायत में हुए विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आने के बाद महिला पंचायत प्रधान को पद से निलंबित कर दिया गया है।
जांच में मिली अनियमितताएं
प्राप्त जानकारी के अनुसार, खंड विकास अधिकारी (BDO) मेहला की ओर से की गई जांच में पाया गया कि राधा देवी ने पंचायत के विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितताएं कीं। महिला प्रधान पर आरोप था कि मनरेगा योजना के तहत एक हार्डवेयर दुकान से इंटरलॉक टाइल्स खरीदी गईं और बिना नियमानुसार प्रक्रिया पूरी किए लगभग 42 लाख 48 हजार 300 रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया गया।
डीसी चंबा की ओर से 16 जुलाई को राधा देवी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसके जवाब में उन्होंने 12 अगस्त को लिखित उत्तर दाखिल किया। लेकिन जांच समिति ने उनके जवाब को असंतोषजनक मानते हुए मामले को आगे बढ़ाया।
जिला पंचायत अधिकारी का आदेश
जिला पंचायत अधिकारी तिलक राज ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए राधा देवी का पद पर बने रहना जांच को प्रभावित कर सकता है।
आशंका जताई गई कि वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकती हैं। इसी आधार पर उन्हें हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 (संशोधित) की धारा 145(1)(ग) और सामान्य नियम 1997 के नियम 142(1)(क) के तहत पद से निलंबित कर दिया गया है।
आगे की कार्रवाई
पंचायत कार्यों की जिम्मेदारी अब पंचायत सचिव को सौंप दी गई है। प्रशासन का कहना है कि भ्रष्टाचार और नियम उल्लंघन से जुड़े मामलों में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। यह फैसला आने के बाद क्षेत्र में पंचायत स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही की बहस फिर से तेज हो गई है।