(विजय ठाकुर) जयराम ठाकुर सहित 12 ने आज पद व गोपनीयता की शपथ ली। सबसे पहले जयराम ठाकुर को रिज पर आयोजित भव्य समारोह में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके साथ 11 मंत्रियों ने शपथ ली है। इसके साथ ही हिमाचल बीजेपी शासित 19 वां राज्य बन गया है। जयराम के बाद दूसरे नंबर पर महेंद्र सिंह को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई गई तीसरे नंबर पर किशन कपूर व चौथे पर सुरेश भारद्वाज को शपथ दिलाई गई। इसके बाद पांचवें नंबर पर अनिल शर्मा, छठे पर सरवीण चौधरी, सातवें नंबर पर राम लाल मार्कंडेय ने शपथ ली। आठवें नंबर पर विपिन सिंह परमार, नवें पर वीरेंद्र कंवर, 10वे पर विक्रम सिंह व 11 वें नंबर पर गोविंद सिंह ठाकुर तथा 12वें नंबर पर डॉ राजीव सहजल ने शपथ ली। सभी मंत्रियों ने हिंदी व सुरेश भारद्वाज व गोविंद सिंह ठाकुर ने संस्कृत में शपथ ली। जयराम मंत्रिमंडल में एक मात्र महिला सरवीण चौधरी को जगह दी गई है।
मंत्रिमंडल में कांगड़ा को सर्वाधिक 4 मंत्री मिले हैं। शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर पीएम मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, राजनाथ सिंह कैलाश विजय वर्गीय, मनोहर लाल खट्टर, देवेंद्र फड़नवीस, आदित्यनाथ योगी के सीएम के अलावा हिमाचल के सभी सांसद भी मौजूद रहे। प्रदेश के कोने-कोने दूर से पहुंचे लोग इस पल के गवाह बने।
आइये जानते हैं कौन कौन है जयराम की टीम में शामिल ।
महेंद्र सिंह ठाकुर (65) इंटर पास हैं। महेंद्र ठाकुर सातवीं बार विधायक चुनकर आए हैं और दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने इस बार कांग्रेस के चंद्रशेखर को 11964 मतों के अंतर से हराया है। एक साधारण परिवार से राजनीति में आकर उन्होंने कई कीर्तिमान स्थापित किए है, जिससे आज भी उनका एक बड़ा वर्ग मुरीद है। उन्होंने दल तो बदले,लेकिन चुनाव नहीं हारे।
किशन कपूर( 66) 12 वीं पास है। किशन कपूर धर्मशाला से जीत हासिल कर पांचवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। किशन कपूर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में हैं। 1990 में पहली बार चुनाव जीतने वाले कपूर धूमल मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री रह चुके हैं। कपूर ने 1990, 1993,1998, 2007 व 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी। इस बार उन्होंने वीरभद्र सरकार में मंत्री सुधीर शर्मा को हराया।
सुरेश भारद्वाज ( 65) लॉ ग्रेजुएट है। छात्र काल में एबीवीपी से जुड़े रहे व बाद में सक्रिय राजनीति में आए। 1982 में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रहे। उसके बाद 2003 से लेकर 2006 तक फिर बीजेपी की कमान उन्होंने संभाली। 1990 में पहली बार विधायक चुने गये। सुरेश भारद्वाज ने इस बार निर्दलीय प्रत्याशी हरीश जनार्था को 1903 मतों के अंतर से हराया है। वे चौथी बार विधानसभा पहुंचे हैं।
अनिल शर्मा ( 62) पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री पंडित सुख राम के बेटे हैं। मंडी चुनाव क्षेत्र में इस परिवार का अपना जनाधार है। चुनावों से ठीक पहले अनिल शर्मा ने कांग्रेस को अलविदा कहकर बीजेपी ज्वॉइन की और कांग्रेस की उम्मीदवार चंपा ठाकुर को हरा कर मंडी सीट से जीत हासिल की। अनिल शर्मा चौथी बार विधानसभा में पहुंचे है। वीरभद्र सिंह की सरकार में अनिल शर्मा पंचायती राज मंत्री रहे।
सरवीण (51 ) ने क्लासिकल डांस में एम.ए व योगा, पेंटिंग और कुकरी में डिप्लोमा ले रखा है। उन्होंने लोकनृत्य में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्टीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। वह पांच साल तक पंजाब यूनिवर्सिटी में बेस्ट लोकनर्तकी रहीं। 1992 में राजनीति में प्रवेश के बाद सरवीण शाहपुर से चौथी बार जीत कर विधानसभा पहुंची है। इस बार उन्होंने निर्दलीय विजय सिंह मानकोटिया को हराया।
रामलाल मार्कंडेय ( 52) पीएचडी हैं। मार्कंडेय पत्तन घाटी से आते हैं। रामलाल मार्कंडेय लाहुल के रहने वाले हैं और यहां पर उनकी मजबूत पकड़ है। वह धूमल सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने पहली बार हिमाचल विकास कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वह तीसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं। लाहुल-स्पीति विधानसभा सीट से वह 1478 मतों से जीते उन्होंने कांग्रेस के रवि ठाकुर को हराया है।
विपिन सिंह परमार ( 54) स्नातक है। कॉलेज के दिनों में ही विद्यार्थी परिषद का दामन थामा था। वे 1980 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे हैं। परमार दो बार राज्य बीजेपी के महासचिव भी रहे हैं। वर्तमान में वे हिमाचल प्रदेश बीजेपी कांगड़ा चंबा युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं। वह 1999 से 2003 तक हिमाचल प्रदेश के खादी बोर्ड के चेयरमैन रहे हैं। विपिन सिंह परमार कांग्रेस के प्रत्याशी जगजीवन पॉल को 10291 मतों के अंतर से हरा कर तीसरी बार विधानसभा पहुंचे है।
वीरेंद्र कंवर (53) लॉ ग्रेजुएट हैं। उन्होंने फार्मेसी में डिप्लोमा कोर्स भी किया है। 1981 में हमीरपुर से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। बाद में वे1993 में ऊना में भाजयुमो के जिला अध्यक्ष बने। 2000 में जिला परिषद में चुने गये। पहली बार 2003 के चुनावों में विधायक चुने गये। वे चौधी बार कांग्रेस प्रत्याशी विवेक शर्मा को हरा कर विधानसभा पहुंचे है।
विक्रम सिंह ठाकुर (53) स्नातक शिक्षित है। विक्रम ठाकुर को राजनीति विरासत में नहीं मिली। विक्रम ठाकुर ने पहली बार वह 2003 में जसवां जो अब जसवां परागपुर के नाम से जाना जाता है, से जीत हासिल की। वह प्रदेश भाजयुमो के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। वह खादी बोर्ड और प्रदेश वन निगम के उपाध्यक्ष पद पर भी रहे हैं। 2017 के चुनाव में विक्रम ने कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह मनकोटिया को 1862 मतों के अंतर से हराया।
गोविंद ठाकुर (49) स्नातक तक शिक्षित है और वे पूर्व मंत्री कुंज लाल ठाकुर के पुत्र हैं। आरएसएस से जुड़ाव के चलते राजनीति में कदम जमाने वाले गोविंद भाजयुमो में अपनी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। तीसरी बार जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे गोविंद ने इन चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार हरिचंद को 3005 मतों से शिकस्त दी।
डॉ राजीव सहजल ( 41) बीएएमएस है। वे तीसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं। सहजल ने इस सीट पर कांग्रेस के विनोद सुलतानपुरी को 442 मतों के अंतर से हराया।