सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि कोठों स्थित मानव-मंदिर वास्तविक अर्थों में मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी जैसे गंभीर रोग से पीडि़त व्यक्तियों के लिए विश्वास और संबल का प्रतीक बनकर उभरा है। डॉ. सैजल आज सोलन जिला के कोठों स्थित मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी केंद्र, मानव-मंदिर में हाईड्रोथेरेपी पूल के शुभारंभ के अवसर पर उपस्थित ज4नसमूह को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. सैजल ने कहा कि सामाजिक कार्य ही मानवता की वास्तविक सेवा हैं और सामाजिक कार्यों के माध्यम से हमें सही अर्थों में सुख की अनुभूति प्राप्त होती है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि मानव मंदिर जैसी संस्था को समयदान दें ताकि पीडि़त मानवता की सेवा के प्रयासों को संबल मिल सके। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि ऐसे प्रयासों के लिए अंशदान भी करें।सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी से पीडि़त रोगियों को यदि समय पर फिजियोथेरेपी की बेहतर सेवाएं प्राप्त हों तो उनके दैनिक जीवन में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी पुनर्वास केंद्र कोठों विशेष रूप से सहायक सिद्ध हो रहा है।
डॉ. सैजल ने लोगों से आग्रह किया कि वे ऐसे पुनीत कार्य के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि मानव-मंदिर सही मायनों में मंदिर है और पीडि़त मानवता की सेवा करने वाले सच्चे फरिश्ते। उन्होंने मानव-मंदिर के निर्माण एवं इस कार्य में समयदान देन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भविष्य में भी संस्था को पूर्ण सहयोग प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने सोलन में इस गंभीर बीमारी से पीडि़त व्यक्तियों की सेवा के लिए केंद्र स्थापित करने में इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी (आईएएमडी) की संरक्षक उमा बाल्दी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उमा बाल्दी सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।सहकारिता मंत्री ने मानव-मंदिर परिसर में सभी उपकरणों की जानकारी प्राप्त की और मस्क्युलर डिस्ट्रोफी के रोगियों से बातचीत की।
शिमला लोकसभा क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि अनेक चुनौतियों का सामना कर मानव-मंदिर से जुड़े व्यक्तियों ने इस परिकल्पना को पूरा किया है। उन्होंने संस्थान द्वारा पीडि़त मानवता की सेवा में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने अपनी ऐच्छिक निधि से मानव-मंदिर को पांच लाख रुपए प्रदान करने की घोषणा की।
एसजेवीएन की निदेशक कार्मिक गीता कपूर ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी (आईएएमडी) की अध्यक्ष संजना गोयल ने सभी का स्वागत किया और मानव मंदिर की कार्यप्रणाली की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि हाईड्रोथेरेपी में जल के प्रयोग के माध्यम से उपचार किया जाता है। यह प्रणाली मांसपेशियों को समाप्त करने वाले रोगों में अत्यधिक प्रभावी है। उन्होंने कहा कि अध्ययनों ने यह सिद्ध किया है कि यदि मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी अथवा न्यूरो मस्क्युलर बीमारी से पीडि़त रोगी फिजियोथेरेपी के साथ हाईड्रोथेरेपी का प्रयोग करते हैं तो उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों से पीडि़त व्यक्तियों को विश्वसनीय एवं सुलभ हाईड्रोथेरेपी सुविधा प्रदान करने के लिए मानव मंदिर में यह कार्य आरंभ किया गया है।
आईएएमडी में आने वाले मस्क्युलर डिस्ट्रोफी के रोगियों की डीएनए सैंपलिंग भी करवाई जाती है।
उन्होंने एसजेवीएन का विशेष आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर मस्क्युलर डिस्ट्रोफी के रोगियों ने भी अपने अनुभव साझा किए।नगर परिषद सोलन के अध्यक्ष देवेंद्र ठाकुर, जिला परिषद सदस्य शीला, भाजपा मंडल सोलन के महासचिव नरेंद्र ठाकुर, सचिव सुनील ठाकुर, प्रवक्ता चन्द्र मोहन, कोषाध्यक्ष लक्ष्मी ठाकुर, ग्राम पंचायत नौणी के प्रधान बलदेव ठाकुर, ग्राम पंचायत शामती के प्रधान संजीव सूद, ग्राम पंचायत सन्होल के प्रधान राकेश शर्मा, ग्राम पंचायत कोठों के उप प्रधान विकास ठाकुर, व्यापार मंडल सोलन के अध्यक्ष मुकेश गुप्ता, भाजयुमो के मुकेश शर्मा, उपायुक्त केसी चमन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मधुसूदन शर्मा, आईजीएमसी शिमला के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज, डॉ. उमेश भारती सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, आईएएमडी के महासचिव विपुल गोयल, सरंक्षक उमा बाल्दी, अन्य पदाधिकारी एवं मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी के रोगी तथा अभिभावक उपस्थित थे।