सिरमौर में मंडियों में खराब प्रबंधन से किसानों को भारी नुकसान , किसान एमएसपी से कम कीमत पर धान हरियाणा में बेचने को मजबूर

अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप , किसानों ने की विजिलेंस जांच की मांग

 

 

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वर्तमान खरीफ विपणन सत्र 2024-25 में धान की बंपर फसल और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब और धौलाकुआं में धान खरीद केंद्रों (पीपीसी) में उचित बुनियादी ढांचे की कमी ने क्षेत्र के किसानों को परेशान कर दिया है। सिरमौर जिले में दो पीपीसी होने के बावजूद किसान मजबूरी में अपनी फसल पड़ोसी राज्य हरियाणा में बेचने को मजबूर हैं। इन मंडियों में आढ़ती 2000 से 2100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान की फसल खरीद रहे हैं, जबकि एमएसपी 2320 रुपये प्रति क्विंटल है।

मजबूरी में बेचने में दो बड़ी बाधाएं हैं पीपीसी में बुनियादी ढांचे की कमी और जिला नियंत्रक खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले एन के धीमान की ओर से फसल बिक्री पोर्टल पर कम टोकन खोले जाना। फसल की कटाई चरम पर है, लेकिन एक मंडी में केवल 25 किसानों को ही अपनी फसल लाने की अनुमति है, जबकि पिछले साल 45 किसानों को अनुमति थी। आज की स्थिति में एपीएमसी पांवटा में दो लाइनों में लगभग 80 ट्रॉलियां धान की फंसी हुई हैं, जबकि धौलाकुआं में लगभग 50 ट्रॉलियां फंसी हुई हैं। 20 तारीख का टोकन आगामी 29 और 30 तारीख को तोला जाएगा। कटाई के बाद किसानों के लिए फसल को घर पर रखना और 25-30 दिन बाद अपनी बारी का इंतजार करना मुश्किल है, जिससे उन्हें मजबूरी में बेचना पड़ रहा है। इसके अलावा किसानों को आगामी दिवाली के त्योहार के लिए भी पैसे की जरूरत है।

एन के धीमान जो की जिला नियंत्रक खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले सोलन है को सिरमौर जिले का अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है परंतु सिरमौर जिले में किसने की बदहाली के लिए इसी अधिकारी को सबसे अधिक जिम्मेदार बताया जा रहा है और कई किसानों ने शिकायत की है कि अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त है तथा उन्होंने शिमला सोलन चंडीगढ़ में अवैध संपत्तियां अर्जित की हुई है तथा बेनामी संपत्तियां भी इकट्ठी की है

किशनपुरा के राजेंद्र प्रकाश ने बताया कि वह 24 अक्टूबर को अपना टोकन नंबर 20248101038 लेकर पांवटा मंडी आए थे। उन्हें 6-7 दिन इंतजार करने को कहा गया। आक्रामक और तीखी नोकझोंक के बाद भी राजेंद्र प्रकाश का धान नहीं तोला गया। उन्होंने अपना धान पड़ोसी राज्य हरियाणा में खिदराबाद के निजी आढ़ती को 2100 क्विंटल के रेट को बचा है

टोकन कम होने से खरीद भी कम हो रही है । चालू सीजन में खरीद की उम्मीद 60-70 हजार क्विंटल है, जबकि पिछले साल 103 हजार क्विंटल खरीद हुई थी। इससे सरकारी खजाने को भी नुकसान हो रहा है। यहां यह बताना जरूरी है कि राज्य सरकार द्वारा की जाने वाली खरीद एपीएमसी, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग और हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम तथा कृषि विभाग का संयुक्त प्रयास है। अधिकांश कर्मचारी शाम पांच बजे तक मंडियों से चले जाते हैं। केवल नागरिक आपूर्ति के मंडी प्रभारी अंकुश और राकेश ही सुबह 10 बजे से लेकर रात आठ बजे तक मंडी में रहते हैं। किसानों की समस्याओं को हल करने में अनिच्छा धान खरीद के लिए राज्य सरकार की कम इच्छा को दर्शाती है, जो राज्य की एकमात्र खरीद एजेंसी नागरिक आपूर्ति निगम के पास धन की कमी से संबंधित हो सकती है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि नागरिक आपूर्ति निगम गंभीर वित्तीय संकट में है और तेल, नमक, दाल, परिवहन आदि की खरीद के लिए समय पर भुगतान नहीं कर रहा है।

( धौलाकुआं रिपोर्ट ) जिले की पांवटा व धौलाकुआं अनाज मंडियों में धान की फसल की खरीद जोरों पर है। कुछ दिनों में यहां धान की आमद काफी बढ़ गई है, जिसके चलते यहां व्यवस्थाएं छोटी पड़ने लगी हैं। दोनों मंडियों में 14 दिन के भीतर 23 हजार क्विंटल धान की खरीद हो चुकी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 अक्तूबर से धान की खरीद शुरू हुई थी। इसके बाद से दोनों मंडियों में लगातार धान खरीद का काम जोरों पर है। किसान अपने साधनों से धान लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं। खास कर पांवटा मंडी में 13,000 क्विंटल धान खरीदा जा चुका है जबकि धौलाकुआं मंडी में 10,000 क्विंटल धान की खरीद हुई है। धान खरीद के लिए 9 झरनों पर तोल काटों पर एक समय में नौ ट्रैक्टर लगा कर पूरे दिन में 35 से 40 ट्रैक्टर खाली हो रहे हैं। जबकि गत वर्ष रोजाना 90  ट्रैक्टर खाली हो रहे थे

मडी में धान की ज्यादा आमद व जगह की कमी के चलते किसानों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। तीन जगह में संचालित मंडी में किसानों को अपनी बारी का इंतजार दो से तीन दिन तक करना पड़ रहा है।

किसान श्याम लाल, बुध राम, देवेन्द्र, साहब सिंह ने बताया कि तीन दिन से लगातार अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं पर अभी तक उनका नंबर नहीं आया है। तुलाई के बाद धान का स्टाॅक इतना जमा हो जाता है कि यहां पर दिन भर जाम लगने की स्थिति बनी रहती है।

किसानों दर्शन, गोरख नाथ, बलबीर ने बताया कि यहां पर इस साल पहले से धान खरीद के लिए अच्छी व्यवस्था है तथा बीते साल से ज्यादा मजदूर और तोल कांटे हैं लेकिन तंग जगह में तुलाई और स्टॉक जमा होने से व्यवस्था डगमगा रही है। किसानों ने बताया कि विभाग की 18 बीघा जमीन खाली पड़ी है उस जमीन को मंडी के लिए उपयोग किया जा सकता है। जिससे समस्या का समाधान होगा।

नाहन क्षेत्र प्रबंधक कार्यालय और डीएफएससी कार्यालय से किसी भी व्यक्ति का बयान नहीं मिल सका।

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