शहर में धड़ल्ले से कबाड़ी का व्यापार फल फूल रहा है। असल में इस अवैध कारोबार के खुलेआम होने का स्पष्ट उदाहरण गत दिवस एक को बड़ी के गोदाम में बच्ची के मौत के बाद सामने आया है । बाकुआ गांव में कबाड़ी के गोदाम आमें आग लगने के बाद पुलिस प्रशासन के भी होश उड़ गए थे इस भयंकर आग में चार वर्षीय बच्ची की मौत हो गई थी खुलेआम इन दिनों कई जगहों पर आज भी प्रशासन के नीति-नियम और आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है। कई कबाड़ी चोरी का माल खरीदने के चक्कर में जेल की सलाखों के पीछे भी जा चुके हैं परंतु अभी भी चोरी का माल खरीद कर अवैध कार्य में लिप्त है यही नहीं रोजाना दर्जनों ट्रैक्टर कबाड़ के भरकर सहारनपुर भेजे जा रहे हैं यह सब ट्रैफिक पुलिस को महीने की रिश्वत देकर अवैध रूप से भेजे जा रहे है
वहीं प्रशासन जान-बूझकर अनजान बनते हुए खामोश बने बैठा हुआ है। जबकि प्रशासन को चाहिए कि तत्काल इस पर संज्ञान लेकर अपनी जिम्मेदारी का परिचय नगरवासियों व क्षेत्रवासियों को अवगत कराएं। क्योंकि जिले में कुछ वर्ष पूर्व लगातार हो रही चोरी व अन्य आपराधिक गतिविधियों को ध्यान में रखकर ही यह प्रतिबंध प्रशासन की ओर से जारी किया गया था कि बाहरी सभी लोगों की वेरिफिकेशन की जाएगी । लेकिन आज जिस तरह पांवटा साहिब में धड़ल्ले से कबाड़ी का व्यापार-कारोबार व व्यवसाय फल फूल रहा है, जिसे लेकर शुभचिंतक व जिम्मेदार वर्ग के नागरिक काफी चिंतित होने लगे हैं। इसके अलावा नगर सहित ब्लाक में अन्य कई प्रतिबंधित, गैरकानूनी कारोबार चल रहे हैं, जिस पर स्थानीय सहित अन्य प्रशासन व विभागीय अफसरों की भूमिका संदेह के दायरे में है।
आसपास के लोगों का रहना हुआ मुहाल
सूत्र बताते हैं कि नगर के नारी वाला रामपुर घाट भूपूर गोंदपुर बद्री नगर में स्थित कबाड़ी दुकान द्वारा खुलेआम कटर से चोरी के सामानों की कटिंग की जाती हैं, तो वहीं शासकीय कार्यों में उपयोग होने वाले चोरी के केबल को खुलेआम आग के हवाले केबल के अंदर से तांबे के वायर निकाले जाते हैं और नगर को प्रदूषित लगातार कर रहे हैं। यहां के आस-पास के लोगो का रहना मुहाल हो गया हैं। इस सम्बंध में आस- पास के लोगों ने कई दफा थाने में शिकायत दर्ज कराने की भी जानकारी है किन्तु कबाड़ माफिया के हाथ इतने लंबे है कि इनको पुलिस भी कुछ नही कर सकती हैं।
प्रशासन का नहीं है खौफ
गौरतलब है की इस गोरख व्यापार के पीछे छोटे से लेकर बड़े अधिकारी-कर्मचारी की मिली भगत का आश लगता है। जानकारों की मानें तो तीन-चार कबाड़ी वाले ज्यादा सक्रिय हैं, जिन्हें प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। यही कारण है कि यह कबाड़ी दिन भर शासन-प्रशासन और जनता को चूना लगा रहे हैं। इस बात से जनता काफी परेशान हैं। क्योंकि सार्वजनिक जगहों से जरूरत की चीजों को क्षति तो पहुंचाया ही जाता है। साथ ही लोगों की निजी सम्पत्तियों की भी चोरी हो जाती है, जो चोरों द्वारा कबाडिय़ों को ही बेचा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि नगर में कबाड़ व्यवसाय पर अंकुश नहीं लग पा रही है, जिससे लोगों के नवनिर्मित भवनों, सार्वजनिक स्थलों में लोग अपनी जरूरत की चीजों पर हाथ-साफ करने में इन दिनों चोर और कबाड़ी दोनों सक्रिय हैं, जिसके कारण चोर लोहे, तांबे और प्लास्टिक के सामानों को चुरा कर कबाडिय़ों को आसानी से बेच देते हैं। नगर में सार्वजनिक जगहों में लगे लोहे की चीजों को काटकर क्षति पहुंचाया जा रहा है। उनके इस कार्य में अंकुश न लगने पर ऐसा प्रतित होता है कि शायद पुलिस प्रशासन की अंदरूनी मौन सहमति मिली हुई है। यही कारण है कि पुलिस के नाक के नीचे कबाड़ी धड़ल्ले से काम को अंजाम देते हैं। एक अनुमान के मुताबिक तांबे के तार की कीमत लगभग 800 रूपए किलो होती है, चोर और स्मैक, शराबी प्रवृति के लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कोई क्षेत्रों से तांबे के तारों को उखाड़कर लाते हैं और आधी कीमत पर कबाडिय़ों को बेंच देते हैं।
कई स्थानों पर खुलेआम अवैध कबाड़ का गोरखधंधा कई बड़े नाम से फेमस कबाड़ माफियां द्वारा बड़े पैमाने पर वर्षों से संचालित हो रहा हैं और वहीं लाखों के कबाड़ी सामान कबाड़ी के नाम से फेसम कबाड़ माफियां द्वारा जिले सहित अन्य जिलों के आसपास में चोरी के कल पुर्जो को इन कबाड़ माफियाओं द्वारा बाहर सप्लाई किया जा रहा हैं और नगर के पुलिस कबाड़ माफियाओं के साथ बने हुए हैं।