शहर के चिड़ावाली के रहने वाले मोहसीन खान व अमजद खान को सांभर के शिकार के मामले में अदालत से जमानत मिल गई है। यानि, बेजुबान वन्यप्राणियों को मौत के घाट उतारने वाले 24 घंटे से भी कम समय में सलाखों के पीछे से बाहर आ गए हैं। मिल रही जानकारी के मुताबिक इस मामले में वन्यप्राणी सांभर के अवशेषों के सैंपल की रिपोर्ट करीब एक सप्ताह में पुलिस को मिलेगी। इसी के बाद केस में मजबूती आ सकती है। बशर्ते वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट देहरादून से आने वाली रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक हो जाए कि बरामद अवशेष सांभर के ही हैं।
दीगर है कि खुफिया जानकारी के बूते वन विभाग व पुलिस की ज्वाइंट टीम ने चिड़ावाली स्थित एक घर में दबिश देकर एक सांभर का ताजा मीट बरामद किया था, जबकि मौके से दो सांभरों के सींग व अन्य अवशेष भी बरामद हुए थे।
बताया जा रहा है कि हिरण प्रजाति के सांभर के शिकार में एक अन्य व्यक्ति भी संलिप्त है, जिसकी बंदूक का इस्तेमाल हुआ है। ऐसी आशंका जाहिर की जा रही है कि एक सांभर का शिकार काफी पहले किया गया था, जबकि दूसरे को हाल ही में मारा गया। गौरतलब है कि कुछ अरसा पहले एसआईयू की टीम ने संगड़ाह उपमंडल में तेंदुए की खालों को भी बरामद किया था। उस मामले में भी आरोपियों को 24 घंटे के भीतर जमानत मिल गई थी। थाना प्रभारी ने जमानत मिलने की पुष्टि की है।
वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इससे पहले रेणुका में भी तेंदुआ की खालों समेत गिरफ्तार किए गए आरोपियों को जमानत मिलने के बाद पुलिस अधिकारी सकते में आ गए थे वही दोनों मामलों में तस्करों को जल्द जमानत मिल जाने के बाद पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों का मनोबल टूटा है तथा सवाल उठाया कि क्या लचर कानून के कारण आरोपियों को इतनी जल्दी जमानत मिल गई है
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक रिवीजन को लेकर भी कदम उठाया जा सकता है। दीगर है कि सांभरों के अवशेष मिलने की घटना में मामला दर्ज करने को लेकर भी खासा कन्फ्यूजन पैदा हुआ था। पहले पुलिस चाहती थी कि वन महकमा ही मामला दर्ज करे, लेकिन देर रात पुलिस ने ही वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया था।