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हिमाचल प्रदेश का डॉ. YS परमार राजकीय मेडिकल कॉलेज, नाहन एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। इस बार मामला है एक गर्भस्थ शिशु की डिलीवरी के दौरान मौत। मामले में परिजनों ने डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।पांवटा साहिब की रहने वाली लक्ष्मी शर्मा द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किया गया वीडियो इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है।
वीडियो में लक्ष्मी ने बताया कि उनकी बहन चंद्रकला को 25 जुलाई को डिलीवरी के लिए मेडिकल कॉलेज के गायनी वार्ड में भर्ती किया गया था।डॉक्टरों की सलाह पर उसे आर्टिफिशियल पेन की दवाइयां दी गईं। पहला डोज रात 2 बजे, दूसरा सुबह 6 बजे और तीसरा 10 बजे दिया गया, लेकिन उसके बाद भी डिलीवरी नहीं हो पाई।लक्ष्मी का आरोप है कि उनकी बहन को लगातार असहनीय दर्द होता रहा, मगर डॉक्टरों ने सीजेरियन या वैकल्पिक उपाय करने की बजाय इंतजार करना ही उचित समझा।
18 घंटे की पीड़ा के बाद परिवार को सूचना दी गई कि गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो चुकी है, क्योंकि उसकी गर्दन में नाल लिपटी हुई थी।उन्होंने कहा कि उस रात गायनी वार्ड में व्यवस्थाएं बेहद बदहाल थीं। न तो शिशु की हार्टबीट मॉनिटरिंग के लिए उपकरण कार्यशील थे, न लेबर टेबल की स्थिति ठीक थी। डॉक्टर रात को ड्यूटी छोड़कर चले गए थे, और सबसे गंभीर बात यह थी कि 3डी अल्ट्रासाउंड मशीन भी उपलब्ध नहीं थी, जिससे भ्रूण की स्थिति का समय रहते पता लगाया जा सकता।लक्ष्मी ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन से मामले की निष्पक्ष जांच और ड्यूटी में कोताही बरतने वाले स्टाफ पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि 25 और 26 जुलाई को गायनी वार्ड में और कितने नवजातों की मौत हुई, इसकी जांच होनी चाहिए।इस घटना से आहत परिवार ने शुरू में मानसिक आघात के कारण कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई थी, लेकिन अब वे सभी सबूतों और वीडियो के साथ प्रशासन को ईमेल के माध्यम से शिकायत भेजने की प्रक्रिया में हैं।इस पूरे मामले पर जब मीडिया ने मेडिकल कॉलेज की अधीक्षक डॉ. संगीता ढिल्लो से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि अभी तक उन्हें कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जैसे ही शिकायत प्राप्त होगी, नियमों के अनुसार जांच कर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, इस घटना ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।