पाकिस्तान से सिखों की यात्रा बीती रात पंजाब के नङा साहिब पहुंच चुकी है बताया जा रहा है कि आज रात तक हरियाणा के बिलासपुर में पहुंचेगी जहां से कल सुबह रवाना होकर गुरु की नगरी पावटा साहिब में प्रवेश किया जाएगा जहां पर इस यात्रा का भव्य स्वागत किया जाएगा
बता दें कि पाकिस्तान के ननकाना साहिब से शुरू की गई गई अंतरराष्ट्रीय नगर कीर्तन अटारी वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत में प्रवेश किया गया है भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद ऐसा मौका है जब ननकाना साहब से अमृतसर तक इतनी बड़ी धार्मिक यात्रा पहुंची है नगर कीर्तन साहब से रवाना हुए दोपहर में भारत पहुंचे
पौण्टा गुरुद्वारा प्रबंधक ने बताया कि 72 साल में पहली बार पाकिस्तान के गुरुद्वारा ननकाना साहिब से पहला अंंतरराष्ट्रीय नगर कीर्तन नगाड़ाें की थाप पर सुबह 10:30 बजे शुरू हाेने के बाद लाहाैर से हाेते हुए बाद दाेपहर 3:25 बजे पर वाघा-अटारी सरहद पार कर भारत पहुंचा था ।
गुरुद्वारा ननकाना साहिब का इतिहास
ननकाना साहिब, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक शहर और ननकाना साहिब जिले की राजधानी है. यह सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक के नाम पर है.
गुरु नानक देव जी का जन्म
गुरु नानक जी का जन्म इसी शहर में हुआ था और पहली बार उन्होंने यहाँ पर उपदेश देना शुरू किया था. आज ननकाना साहिब सिखों के लिए उच्च ऐतिहासिक और धार्मिक मूल्य का एक शहर है और दुनिया भर से सिखों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है.
यहां है गुरुद्वारा ननकाना साहिब
ननकाना साहिब पाकिस्तान में लाहौर के दक्षिण पश्चिम से लगभग 80 किलोमीटर और फैसलाबाद के पूर्व से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस शहर में लगभग 70,000 की आबादी है. मूल रूप से ये रायपुर के रूप में जाना जाता है परन्तु बाद में यह गुरु नानक के जन्म के समय पर राय भोई दी तलवंडी के नाम से माना गया.
चमत्कारी घटनाएं और ननकाना साहिब गुरुद्वारा
ननकाना साहिब गुरुद्वारा गुरु नानक के जीवन के दौरान कई चमत्कारी घटनाओं और कई ऐतिहासिक गुरुद्वारों की जगह है. यहाँ पर लगभग 18,750 एकड़ जमीन पर गुरूद्वारे है. ये जमीन तलवंडी गांव के एक मुस्लिम मुखिया राय बुलार भट्टी द्वारा गुरु नानक को दी गयी थी. उसके वंश सदियों से गुरु नानक का श्रद्धेय है.
पाकिस्तान में गुरु नानक जी का जन्मदिन
गुरुद्वारा ननकाना साहिब, पाकिस्तान में गुरु नानक जी का जन्मदिन हर वर्ष उत्तरार्द्ध में पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस उपलक्ष्य में वार्षिक उत्सव मनाकर बहुत बड़ा झुलुस निकाला जाता है और उत्सव किया जाता है.
अकाली आंदोलन – गुरुद्वारा ननकाना साहिब
अकाली आंदोलन के दौरान 20 फरवरी 1921 को नारायण दास जो ननकाना साहिब में गुरुद्वारा के महंत थे, उन्होंयने अपने आदमियों को अकाली प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया और बहुत नरसंहार हुआ.
गुरुद्वारा ननकाना साहिब का इतिहास
इस गोलीबारी की व्यापक रूप से निंदा की गयी थी और जब तक इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे का नियंत्रण सिखों को नहीं दिया गया ये आंदोलन इसी प्रकार चलता रहा. अंत में जीत हुई. 1930 के दशक और 40 के दशक में सिखों ने कई इमारतों और नयी वास्तुशिल्प के डिजाइन को इस जगह से जोड़ा.
ननकाना साहिब क्षेत्र को मिला बढ़ावा
ननकाना साहिब क्षेत्र शुरुआत में शेखपुरा जिले का एक तहसील था. मई 2005 में प्रांतीय सरकार ने इस जिले के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देते हुए ननकाना साहिब की स्थिति को बढ़ावा देने का फैसला किया.
गुरुद्वारा ननकाना साहिब अस्पताल का निर्माण
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यहाँ 100 एकड़ में एक विश्वविद्यालय का निर्माण करने की योजना के साथ ही स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा के लिए एक अस्पताल का निर्माण करने की योजना थी.
गुरु नानक विश्वविद्यालय ननकाना साहिब
2007 में पाकिस्तान सरकार ने ननकाना साहिब, गुरु नानक के जन्मस्थान पर सिख धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए एक योजना की घोषणा की. “अंतरराष्ट्रीय गुरु नानक विश्वविद्यालय ननकाना साहिब” एक योजना बनाई गयी. सिख धर्म और संस्कृति पर बना ये सबसे अच्छा वास्तुकला, पाठ्यक्रम और अनुसंधान केंद्र है.