(जसवीर सिंह हंस) देर रात जुलीफिकार पुत्र मुमताज निवासी पुरुवाला ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या की कोशिश की है | देर रात व्यक्ति को सिविल हॉस्पिटल पांवटा साहिब लाया गया जहा उसको प्राथमिक उपचार दिया गया | डॉक्टर कमाल पाशा ने बताया कि व्यक्ति करीब सोलह प्रतिशत झुलसा हुआ था जिसको प्राथमिक उपचार दिया गया है |
वही माजरा पुलिस ने मोके पर पहुच मामले की जाँच शुरू कर दी है शुरूआती जाँच में सामने आया है की व्यक्ति नशे का आदि है तथा देर रात उसने अपनी पत्नी से नशा खरीदने के लिए पैसे मांगे पत्नी द्वारा इंकार करने पर नशे के आदि व्यक्ति ने लाइटर से अपनी जेकेट में आग लगा ली पड़ोसियों व परिजनों ने किसी तरह आग बुझाई व व्यक्ति को 108 एम्बुलेंस की सहायता से सिविल हॉस्पिटल पहुचाया गया पुलिस जाँच में सामने आया है की व्यक्ति पहले भी एक बार अधिक नशा लेने के कारण बेहोश हो गया था उस समय व्यक्ति हॉस्पिटल में इलाज हेतु भर्ती रह चूका है | मामले की पुष्टि करते हुए डी एस पी बबीता राणा ने बताया कि मामले की जाँच की जा रही है
पांवटा साहिब में नशे के आदि युवको की हो रही बढ़ोतरी के बाद नशे पर लगाम के सरकार और पुलिस प्रशासन के दावे हुए फ़ैल साबित हो रहे है | जहा एक और नशा निवारण के लिए अधिकारी केवल मीटिंगों तक सिमित रह गये है तथा जमीनी स्तर पर नशे को रोकने के नहीं कुछ ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे है | बड़े नशा तस्करों को पुलिस असफल साबित हो रही है | नशे के कैप्सूल , स्मेक , गोलिया ,इंजेक्शन , आदि शहर में बिक रहे है | कई महंगे नशे होने के कारण युवा पीढ़ी इस नशे कि दलदल में फस तो जाती है परन्तु निकल नहीं पाती कुछ युवा नशा न मिलने के कारण मौत का रास्ता चुन लेते है कुछ कुछ नशा छोड नहीं सकने के कारण तो कुछ ओवर डोस के कारण |
लेकिन इन मामलो से पांवटा साहिब पुलिस के उन दावो की पोल खुल गयी है जिसमे नशा कारोबारियों पर लगाम लगाने के दावे किये जा रहे थे | परन्तु नशे से मौतों के बाद पांवटा साहिब पुलिस पर भी सवाल उठ रहे है की शहर में इतना नशा बेचा जा रह है तो पुलिस कड़ी कारेवाही क्यों नहीं कर रही | वही प्रशासन के अधिकारी दफ्तरों में बैठकर नशे पर लगाम लगाने कि बाते कर रहे है जभी जमीनी स्तर पर नशे को रोकने के नहीं कुछ ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे है |सवाल ये उठता है कि नशे के लिए आखिरकार जिम्मेवार कौन पुलिस प्रशासन सरकार या समाज जा परिवार | वही पुलिस द्वारा नशे को रोकने के दावे भी फ़ैल हो गये है |
वही यह भी सवाल उठता है कि जहा सरकार व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर प्रदेश में नशा मुक्ति की बड़ी बड़ी बाते कर रहे है परन्तु धरातल पर सब धराशायी है | वही सवाल यह भी उठता है कि क्या नशे की लत लगा चुके युवको को सही राह पर लाने का कोई कारागार उपाय क्यों नहीं किये जाते | निजी नशा मुक्ति केंद्र 3 महीने के ही 40000 रुपए मांग लेते है व गरीब परिवार इतनी फीस देने में असमर्थ होता है | ऐसे में सरकार को नशा मुक्ति केंद्र खोलने की और सोचना होगा |पांवटा साहिब में पिछले समय से नशे से मौते भी हो चुकी है