पांवटा साहिब मे यमुना में प्रदूषण कम करने को एनएमसीजी ने 11.57 करोड़ की योजना की पास

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति ने 1573.28 करोड़ रुपये की दस परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा नौवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में कल हुई एक बैठक में, यह फैसला किया गया है कि आगरा में यमुना में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक विस्तृत समाधान ढूंढने की आवश्यकता है। ओऔरएम व्यय सहित 857.26 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ 15 वर्ष की अवधि में आगरा सीवरेज योजना (रोकना और पंथातरण कार्यों) की पुनर्सुधार/नवीनीकरण परियोजना की कल्पना की गई।

परियोजना के प्रमुख घटकों में 61 नालों की निकासी, 166 एमएलडी की कुल क्षमता वाले 3 सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी), 9.38 एमएलडी के 10 विकेन्द्रीकृत एसटीपी का निर्माण और 2 वर्तमान एसटीपी का आधुनिकीकरण, रोकने के कार्य में सुधार, एसटीपी का उन्नयन (क्लोरीन डालने के लिए) और 15 वर्ष के लिए संचालन और रख-रखाव शामिल हैं। उम्मीद है कि इन परियोजनाओं से आगरा शहर से यमुना नदी में होने वाले प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकेगा, ताजमहल को बचाने में मदद मिलेगी और नदी के जल की गुणवत्ता और क्षेत्र के कुल सौंदर्य में सुधार होगा।

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कार्यकारी समिति ने 73.73 करोड़ रुपये की लागत से रोकना और पंथातरण कार्यों (आईऔरडी) तथा कासगंज में सीवेज शोधन संयंत्र को भी मंजूरी दे दी। इस परियोजना में 2 आईऔरडी ढांचों, 2.8 किलोमीटर की लम्बाई तक नेटवर्क बिछाने और 15 एमएलडी क्षमता की एसटीपी का निर्माण शामिल हैं। परियोजना की लागत में 15 वर्ष के लिए ओऔरएम शामिल है। इस समय कासगंज में सीवरेज की कोई व्यवस्था नहीं है, बेकार पानी खुले नालों में चला जाता है जो अंत में काली नदी में गिरकर नदी में प्रदूषण फैलाता है। इस परियोजना के अंतर्गत काली नदी में गिरने वाले सभी नालों की निकासी की व्यवस्था की जाएगी और बेकार पानी को पम्पपिंग/गुरुत्वाकर्षण प्रवाह के जरिए शोधन के लिए प्रस्तावित एसटीपी में डाल दिया जाएगा।

कार्यकारी समिति ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में कुल 64.76 करोड़ रुपये और 15 वर्ष के लिए ओऔरएम व्यय वाली परियोजना को भी मंजूरी दी। इसमें 7 एमएलडी के नए एसटीपी का निर्माण, वर्तमान 5 एमएलडी डब्ल्यूएसपी का उन्नयन करके 10 एमएलडी करना है। सुल्तानपुर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है और शहर का कचरा 6 नालों के जरिए निकलता है। ये नाले गोमती नदी में गिरते हैं जिसके परिणामस्वरूप नदी में प्रदूषण होता है। अतः यह आवश्यक है कि नालों को रोका जाए/उनका रास्ता बदला जाए, सीवेज/कीचड़ का शोधन हो और गोमती नदी में स्वीकार्य स्तर तक धार छोड़ी जाए।

समिति ने बिहार में छपरा, फतूहा, बख्तियारपुर और खगड़िया में 328.52 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की मंजूरी दी। फतूहा में 35.49 करोड़ रुपये, बख्तियारपुर में 35.88 करोड़ रुपये और खगड़िया में 21 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इससे गंगा नदी में प्रदूषण को कम किया जा सकेगा। खगड़िया में यह परिकल्पना की गई है कि एसटीपी से शोधित जल का इस्तेमाल शहर में एक जलाशय विकसित करने के लिए किया जाएगा।

वर्द्धमान नगर निगम के अंतर्गत पम्पपिंग स्टेशन और एसटीपी सहित पश्चिम बंगाल में 234.31 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है। वर्द्धमान जिला गंगा नदीं के किनारे स्थित नहीं है फिर भी इस शहर का अशोधित खराब पानी बांका नदी के रास्ते गंगा नदी में प्रदूषण फैलाने में योगदान देता है। शहर में कोई केन्द्रीय सीवरेज प्रणाली नहीं है और उसे वर्तमान में स्वच्छता संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब शहर के मंडल-II और III के लिए 11.57 करोड़ रुपये की सीवरेज योजना को मंजूरी दी गई। पांवटा साहिब शहर यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह नदी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के बीच सीमा है। पांवटा साहिब शहर 13 वार्डों में विभाजित है। इस योजना की तीन मंडलों में परिकल्पना की गई है।

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