ऑनलाइन बुकिंग के साथ-साथ कमरा नम्बर भी मोबाइल या ई-मेल पर उपलब्ध
Khabron wala
प्रदेश की जनता की सुविधा के लिए सरकार ने सराहनीय कदम उठाते हुए लोक निर्माण विभाग के सभी विश्राम गृहों की बुकिंग को न केवल ऑनलाइन माध्यम द्वारा सुनिश्चित किया है बल्कि यह भी तय किया है कि कमरों की बुकिंग के साथ-साथ कमरा नम्बर भी तुरन्त लोगों को उनके मोबाइल या ई-मेल पर उपलब्ध हो।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने बताया कि पहले आम जनता के लिए लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृहों की बुकिंग आसानी से नहीं प्राप्त होती थी। वर्तमान सरकार ने यह निर्णय लिया कि सभी विश्राम गृहों की बुकिंग ऑनलाइन माध्यम से की जाएगी, ताकि आम जनता इस सुविधा से लाभान्वित हो सके।
पूर्व में विश्राम गृहों की बुकिंग केवल ऑफलाइन होती थी, लेकिन जून 2025 से सभी विश्राम गृहों की बुकिंग ऑनलाइन कर दी गई। इससे न केवल पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है, बल्कि राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम ‘‘व्यवस्था परिवर्तन’’ की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में सभी छोटे और बड़े कार्यालय डिजिटल हों ताकि लोगों को घर-द्वार पर ही सभी सुविधाएं मिल सकें।
लोक निर्माण विभाग के सचिव अभिषेक जैन ने बताया कि जून, 2025 से 10 अक्टूबर तक विश्राम गृहों की ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से दो करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, जबकि इसी दौरान प्रदेश प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा था।
उन्होंने कहा कि अब बुकिंग ‘‘पहले आओ, पहले पाओ’’ के आधार पर हो रही है और तुरंत इसकी पुष्टि की जाती है। इस वर्ष जून माह से अब तक प्रतिदिन 276 विश्राम गृहों और 1000 से अधिक कमरों की बुकिंग ऑनलाइन माध्यम से हुई है। बुकिंग के लिए 50 प्रतिशत अग्रिम राशि ली जाती है, जिसके तहत हिमाचली नागरिकों के लिए 250 रुपये तथा गैर-हिमाचली के लिए 500 रुपये अग्रिम भुगतान का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि इस पहल से विश्राम गृहों की बुकिंग में इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि हमीरपुर विश्राम गृह के कमरे पहले औसतन 62 प्रतिशत तक भरे रहते थे और यह प्रतिशतता अब ऑनलाइन सुविधा शुरू होने से 85 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। इसी प्रकार, तारा देवी विश्राम गृह की बुकिंग औसतन 30 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत, धर्मशाला विश्राम गृह की बुकिंग औसतन 50 प्रतिशत से बढ़कर 75 प्रतिशत तथा घुमारवीं विश्राम गृह की बुकिंग औसतन 30 प्रतिशत से बढ़कर 66 प्रतिशत हो गई है।
अभिषेक जैन ने बताया कि वे स्वयं विश्राम गृहों का दौरा कर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इनका सही तरीके से रख-रखाव हो और आने वाले लोगों को बेहतर सुविधाओं के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण भोजन भी नियमित रूप से उपलब्ध हो।