कांग्रेस के अभेद दुर्ग रहे पच्छाद को बचाना अब कांग्रेस की प्रतिष्ठा का प्रशन बन गया है। इनदिनों वैसे तो भाजपा व कांग्रेस के नेता मतदाताओं के समक्ष हाजरी भरकर समर्थन मांग रहे हैं लेकिन कांग्रेस को समर्थन जुटाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए नेता तो नेता कार्यकर्ता भी खासा पसीना बढ़ा रहे हैं। यहां कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता गंगूराम मुसाफ़िर जबकि भाजपा के वर्तमान विधायक सुरेश कश्यप प्रत्याशी हैं। कांग्रेस से बागी होकर रत्न कश्यप आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं।
सिरमौर जिला की हॉट सीट मानी जा रही पच्छाद में इस बार काफी कुछ बदला बदला सा प्रतीत हो रहा है। यहां जो हालत कभी भाजपा की हुआ करती थी वह आज कांग्रेस की हो गई है। दशकों तक जीत के लिए जूझती रही बीजेपी ने 2012 के चुनाव में आखिर जीत का स्वाद चख लिया जब कांग्रेस के जीआर मुसाफ़िर को हराकर युवा सुरेश कश्यप विधायक निर्वाचित हुए। लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने पर पूर्व विधायक जीआर मुसाफ़िर को योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया। इस पर पूरा समय पूर्व व वर्तमान विधायक के बीच रस्साकस्सी चली रही। विधायक लोगों के बीच जाकर अपना कुनबा बढ़ाते रहे जबकि पूर्व विधायक को लेकर बिल्कुल विपरीत चला रहा। सत्ता के रहते पहले से नाराज लोगों की घरवापसी के विपरीत बहुत से कद्दावर नेता उनसे अलग होकर भाजपा में चले गए। लेकिन चुनाव की तिथि की घोषणा के बाद इसमें काफी तेजी देखी जा रही है। नतीजतन पच्छाद क्षेत्र भी अब भगवामयी होता जा रहा है। पच्छाद की जनता गंगूराम मुसाफ़िर से कुछ इस कदर नाराज व परेशान दिखाई दे रही है कि बड़ी संख्या में लोग उनका साथ छोड़कर जा रहे हैं। इससे न केवल नेता बल्कि कार्यकर्ता भी सकते में आ गए हैं।
पच्छाद में लोगों का कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल होने का सिलसिला लगातार जारी है। हाल ही में बनी बखौली पंचायत के पांच दर्जन लोग भाजपा में शामिल हुए। इससे पहले सरसूए छोगटालीए नैनाटिककरए पझौता सहित अन्य स्थानों पर कई लोग भाजपा में जा चूके हैं। मुसाफ़िर के खासमखास बागपशोग पंचायत के प्रधान प्रकाश भाटिया के अलावा सराहां के उप प्रधान सुशील शर्माए एडवोकेट भूपेंद्र सिंहए पूर्व बीडीसी अध्यक्ष बालमुकंदए पंडित राम किशनए सूबेदार होशियार दत पार्टी छोड़ चूके हैं। यही नहीं वरिष्ठ नेता नित्यानंद सेवल भी भाजपा प्रत्याशी के समर्थन का ऐलान कर चूके हैं। हालत यह है कि लोग स्वयं विधायक व भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को गांव में बुलाकर अपनी आस्था जता रहे हैं। अबतक करीबन चार सौ से अधिक परिवार भाजपा में शरण ले चूके हैं। उधर कांग्रेस के नेता एक विशेष रणनीति के तहत कार्य कर रहे हैं इसके तहत जहां जहां भी उन्हें लोगों के पार्टी छोड़ने वालों का पता चलता है अगले ही दिन टीम वहां पहुंचकर उसे मनाने में लग जाती है। हालांकि इसमें उन्हें कुछ हद तक कामयाबी तो मिल रही है लेकिन यहां हर कोई यही प्रश्न कर रहा है कि आखिर इतनी संख्या में लोग कांग्रेस पार्टी को क्यों छोड़ रहे हैं जबकि मुसाफ़िर पिछले 35 सालों से पच्छाद का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।