पांवटा साहिब : आशा वर्करों को पिछले 5 महीने से वेतन, भत्ते सहित कोई इंसेंटिव नहीं मिले

 

हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में जमीनी स्तर पर काम करने वाली आशाओं को पिछले 5 महीने से वेतन और इंसेंटिव नहीं मिला है जिसके कारण त्योहारों के सीजन में वो आर्थिक परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं।

स्वास्थ्य विभाग की दर्जन भर से अधिक जिम्मेदारियां संभाल रही आशा वर्करों को पिछले 5 महीने से वेतन, भत्ते सहित कोई इंसेंटिव नहीं मिले हैं। जिसकी वजह से हजारों आशा वर्कर त्योहारों के सीजन में आर्थिक तंगी से गुजर रही है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग से नाराज आशा वर्करों ने पांवटा साहिब में बैठक का आयोजन किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि 15 अक्टूबर तक उनका रुका पैसा एक मुफ्त प्रदान नहीं किया गया तो सभी आशा वर्कर कार्य बंद कर देंगी।

प्रदेश भर में कार्यरत आशा वर्कर्स को पिछले 5 महीने से वेतन नहीं मिला है। ऐसे में आशा वर्कर के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।सामान्य पारिवारिक खर्चों के अलावा त्योहारों का सीजन चल रहा है। त्योहारों के सीजन में स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही आशा वर्कर बिना वेतन के कार्य कर रहे हैं। आशा वर्कर्स का कहना है कि वह स्वास्थ्य विभाग के तहत लगभग एक दर्शन कार्यों की जिम्मेदारियां निभा रही हैं और पूरा कर रही हैं। मगर, स्वास्थ्य विभाग और सरकार उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहा है। पिछले 5 महीना से किसी भी आशा वर्कर को एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। आशा वर्कर्स का कहना है कि यदि वह कार्य के संबंध में किसी दूसरे स्थान पर जाती हैं किराए का पैसा भी अपनी जेब से खर्च कर रही है। उनके परिवारों में आर्थिक संकट जैसे हालात पैदा हो गए हैं। लिहाजा सरकार और व्यवस्था से नाराज आशा वर्कर्स ने बगावत का रास्ता अपना लिया है। पांवटा साहिब में आयोजित बैठक में आशा वर्कर संघ ने निर्णय लिया है कि यदि 15 अक्टूबर तक उनका रुका पैसा एक मुश्त प्रदान नहीं किया गया तो वह हर प्रकार के कार्य बंद कर देंगी और अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चली जाएंगी।

पहले भी होती रही है वेतन में देरी…

आशाओं को आज की परिस्थितियों में स्वास्थ्य विभाग के दर्जनों काम संभालने होते हैं। उसके बावजूद उन्हें वेतन में हमेशा देर होती रही है। अगर 2024 की बात करें तो आशाओं को एक वर्ष में कई बार अपने इंसेंटिव को लेकर आना दर्जन बार प्रदर्शन करना पड़ा था वही इस वर्ष भी वही हाल है।

वही इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात नहीं हो पाई है उनका जो भी पक्ष होगा वह भी प्रकाशित किया जाएगा।

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