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सरकार के एक प्रवक्ता ने आज स्पष्ट किया कि नई ट्रेनी पॉलिसी का उद्देश्य संबंधित विभागों के कामकाज को अधिक सहज, दक्ष और कार्यकुशल बनाना है। उन्होंने कहा कि पहले, अनुबन्ध कर्मचारियों को नियमित करने की अवधि एड-हॉक और उस समय की सरकार के निर्णय पर निर्भर करती थी। नियमितीकरण की यह अवधि कभी 8 वर्ष तो कभी 2 वर्ष के बीच रही है। इस नई नीति का उद्देश्य एड-हॉक प्रणाली को खत्म करना और नियुक्त किए गए कर्मचारियों को दो वर्ष के बाद नियमित करना है। यही इस नीति का सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि नई पॉलिसी में दो वर्ष के बाद किसी भी प्रशिक्षु की सेवा समाप्ति का कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस नीति के बारे में कुछ नेता भ्रम फैला रहे हैं। उनसे ये पूछा जाना चाहिए कि हिमाचल के युवाओं की नियमित भर्ती का जो स्रोत अग्निवीर योजना में था, वह पूरी तरह से बंद कैसे हो गया है? साथ ही वे यह भी बताएं कि उन युवाओं के भविष्य को लेकर क्या योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिन्हें 23 वर्ष की उम्र में सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।
प्रवक्ता ने कहा कि यह नीति युवाओं के हित में तैयार की गई है और इसके अधिकतर प्रावधान पुरानी अनुबंध नीति के अनुरूप ही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूर्व की कॉन्ट्रेक्ट पॉलिसी में भी कर्मचारियों को दो वर्षों तक अनुबंध पर रखा जाता था और नई पॉलिसी में भी प्रशिक्षु दो वर्षों की ट्रेनिंग पर रहेंगे। उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत दो वर्ष की ट्रेनिंग अवधि के बाद एक सामान्य विभागीय परीक्षा लेने का प्रावधान है, जिसके बारे में जल्द ही कार्मिक विभाग स्थिति स्पष्ट करेगा। उन्होंने कहा कि जो भी अभ्यर्थी हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग एवं राज्य चयन आयोग के माध्यम से चयनित होंगे, उन्हें दो वर्ष के बाद नियमित किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि पुरानी कॉन्ट्रेक्ट पॉलिसी में कई व्यावहारिक खामियां थीं, जिनके चलते कर्मचारियों को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता था और कई मामले न्यायालयों में लंबित हो जाते थे। उन्होंने कहा कि इन्हीं खामियों को दूर करने के उद्देश्य से सरकार ने 19 जुलाई, 2025 को नई ट्रेनी पॉलिसी जारी की है। नई पॉलिसी के तहत नियुक्त प्रशिक्षु दो वर्ष की प्रशिक्षण अवधि के दौरान विभागीय कार्यों को सीखेंगे और प्रशिक्षण के उपरांत वे विभागीय कामकाज को अधिक दक्षता और प्रभावशाली ढंग से निभा सकेंगे।