पांवटा साहिब में उपमंडल के विभिन्न हिस्सों में रह रहे पूर्वांचल के लोगों ने छठ पूजा के दिन आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। पूर्वांचल के लोग यमुना घाट पर एकत्रित हुए और सूर्य पूजा की। पांवटा साहिब के यमुना घाट पर देर शाम को सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के लिए पूर्वांचल के लोगों का तांता लग गया था। इस दौरान उन्होंने केले, चकोतरा, ईख और कई प्रकार के पकवान का भोग लगाकर पारंपरिक गीत गाए। महिलाओं ने यमुना घाट की सफाई करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाया। उल्लेखनीय है कि पूर्वी यू.पी., बिहार व झारखंड राज्य में इन दिनों छठ पर्व की धूम है। यह पर्व छठी माता के नाम पर मनाया जाता है।
छठी माता को सूर्य भगवान की बहन माना जाता है। पूर्वांचल के लोग अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए 36 घंटे तक छठी माता के नाम का निर्जल व्रत रखते हैं। महिलाएं घर की साफ -सफाई करने के बाद छठी माता की मूर्ति स्थापित कर आराधना करती हैं। बुधवार सुबह महिलाओं ने पांवटा साहिब के यमुना घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और विभिन्न प्रकार के फलों का भोग लगाया। वीरवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर में पूजा के साथ ही व्रत खोल दिया जाएगा।
4 दिन तक चलने वाली इस पूजा की शुरुआत के दौरान पांवटा सहिब की महिलाओं ने दिन भर अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया। छठी मैय्या की आराधना के साथ पूरे परिवार रोटी, खीर, केला आदि का प्रसाद ग्रहण किया गया।इस दौरान साथ ही गेहूं के आटे में गुड़ अथवा चीनी व घी और सूखे मेवे मिलाक र प्रसाद भी बनाया गया है।पांवटा साहिब में में पिछले 7 सालों से रहने वाले लोगो ने बताया कि मूलत वे बिहार निवासी है परंतु व पांवटा बसे है यहां की यमुना नदी से एक लगाव बन गया है जिसमें वे हर साल अपने एतिहासिक छट पूजा पर्व को यहां मनाते है। । गौर हो की छठ पूजा मे भगवान सूर्य में गहरी आस्था व समर्पण का भाव ही इस महान पर्व की विशेषता है।