औद्योगिक नगरी कालाअंब की एक धागा कंपनी से श्रम और पुलिस विभाग के साथ चाइल्ड लाइन व जिला बाल श्रम इकाई की संयुक्त कार्रवाई में 11 बाल श्रमिकों को रेस्क्यू किया गया है। पूछताछ के दौरान चोंकाने वाले तथ्य सामने आए। नाबालिकों से न केवल कम्पनी में 11 से 14 घंटे काम लिया जाता है, बल्कि नाबालिगों को खतरनाक मशीनों पर भी काम करते पाया गया। फेक्ट्री प्रबंधन द्वारा सरेआम बाल श्रम का उल्लंघन किया गया है।
रेस्क्यू किये किए गए सभी नाबालिग हरियाणा और उत्तरप्रदेश के रहने वाले है। बहरहाल, संयुक्त कार्रवाई में रेस्क्यू किये बच्चों को सैनिक विश्राम गृह में रखा गया है। अब मामले की रिपोर्ट उपमंडल दंड अधिकारी को सौंपी जाएगी। जानकारी का अनुसार मामले की जानकारी चाइल्ड लाइन सिरमौर को 1098 के माध्यम से प्राप्त हुई थी। चाइल्ड लाइन की काउंसलर विनीता ठाकुर ने बताया कि शिकायत पर मामले की छानबीन की गई।
इस दौरान टीम ने कुछ बाल श्रमिकों को कम्पनी में खतरनाक मशीनों पर कम करते हुए पाया। बाल श्रमिकों से जब मामले के बारे में बात की गई तो पता चला कि बच्चे 11 से 14 घंटे काम करते हैं जिन्हें मानदेय के तौर पर 8000 रुपए दिए जाते है। काम के समय चोट का खर्च भी बच्चे अपनी जेब से वहन करते है। पुलिस की सहायता से 11 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है, जिसमें 6 लड़कियां और 5 लडके शामिल है ।