पांवटा साहिब : यमुना नदी में डूबने से अब तक 60 से अधिक मौतें , जिम्मेदार कौन ?

 

पांवटा साहिब का यमुना घाट पर डूबने वालों का आंकड़ा दो दशकों में लगभग 60 को पार कर चुका है पिछले दो दशक में सगे भाईयों सहित चाचा-भतीजा कहीं इकलौते चिराग इस नदी में समाएं है।

बता दे की पांवटा साहिब का यमुना घाट जिसे गुरुद्वारा घाट भी कहते हैं अब 60 के करीब लोगों की बली लेकर रिकॉर्ड बना चुका है। कितने ही मां बाप ने अपने इकलौते जिगर के टुकड़ों को नदी में डूबने से खो चुके हैं। लेकिन गजब की बात यह है कि आज तक करीब 60 युवाओं की मौत का दायित्व किसी के सिर नहीं बांधा गया है। आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि खुद की ग़लती के अलावा, आखिर किसकी लापरवाही से दर्जनों परिवारों के इकलौते चिराग इस नदी में बुझ गए।

अगर हम दो दशकों की बात करें हर बार हादसे के बाद विधायक, डीसी, एसडीएम, गंभीरता से यहां घाट बनाने के बड़े-बड़े दावे करते नजर आते हैं लेकिन पांवटा साहिब की सोई हुई जनता के भूलते ही विधायक एसडीएम डीसी सभी मरने वालों को आत्मिक शांति देकर भूल जाते हैं। आपको बता दें कि 2010 में शिमला के एक परिवार ने अपने नए-नए फौज में भर्ती हुए अपने इकलौते बेटे को यहां खाया था उस परिवार ने उच्च न्यायालय में यहां पर बर्ती जा रही लापरवाही को लेकर एक पिटीशन दायर की थी गजब की बात यह है कि आज तक उस पिटीशन का कोई अता पता नहीं है।

वर्ष 2002 और 3 में यहां पर एक बोर्ड लगा होता था जिस पर वर्ष अनुसार 26 से अधिक लोगों के डूबने का आंकड़ा लिखा होता था। लेकिन आज घाट से वह बोर्ड भी गायब है जिस पर डूबने वालों का आंकड़ा और चेतावनी लिखी होती थी। केवल एक बोर्ड चेतावनी का लिखकर छोड़ दिया गया है।

पिछले हादसों से भी नहीं सीखे पांवटा साहिब के प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी…

बता दें कि 2012 में वीरभद्र सिंह जब मुख्यमंत्री हुआ करते थे और यहां पर विधायक किरनेश जंग हुआ करते थे उस वक्त भी यहां पर कई हादसे हुए थे उस दौरान मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने 10 लाख रुपए देने का आश्वासन दिया था लेकिन कमजोर राजनीतिक प्रतिनिधित्व के कारण यहां पर घाट नही बन पाया।

उसके बाद विधायक चौधरी सुखराम जब विधायक बने उस दौरान भी यहां पर कई युवा नदी में समा गए जय राम ठाकुर मुख्यमंत्री हुआ करते थे उन्होंने भी यहां पर घाट बनाने के लिए आश्वासन दिया था। उस वक्त भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 10 लाख रुपए की घोषणा की थी लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व कमजोर होने के कारण यहां पर घाट नहीं बन पाया।

अब अगर लेटेस्ट बात करें तो 2 साल पहले 30 करोड रुपए की लागत से हरिद्वार की तर्ज पर घाट बनाने की कार्रवाई शुरू हुई थी लेकिन अब तक घाट पर शिलान्यास भी नहीं हो पाया है।

पिछले दो दशकों में एक बार चौधरी किरनेश जंग विधायक रहे और तीन बार चौधरी सुखराम विधायक रहे लोगों के बच्चे पिछले दो दशकों में लगातार अपनी जान गवा रहे हैं लेकिन किसी विधायक ने यहां पर घाट बनाने की अपनी कमजोर सोच को अमली जामा नहीं पहनाया। जिसका नतीजा है कि 23 सितंबर 2025 को दो सगे भाइयों सहित कुल 3 युवा फिर से उपरोक्त लोगों की अनदेखी का शिकार हो गए।

24 सितंबर 2025 को डीसी सिरमौर प्रियंका वर्मा एसडीएम गुजींत चीमा, तहसीलदार ऋषभ शर्मा, एसपी सिरमौर निश्चित सिंह, डीएसपी मानवेंद्र ठाकुर और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची हैं और डेड बॉडी ढूंढने के लिए रेस्क्यू मिशन का अंजाम दे रहे हैं।

और कितने होंगे रेस्क्यू ऑपरेशन…

वहीं अब तक पांवटा साहिब की जनता भी सवाल पूछ रही है कि आखिर और कितने मां-बाप के इकलौते चरोगों को नदी में अपनी बली देनी होगी और उसके बाद विधायक और स्थानीय प्रशासन की आंखें पूरी तरह से खुल पाएंगी। पांवटा साहिब की जनता के सवाल हम उठा रहे हैं आखिर कब तक इस तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहेंगे।

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