पांवटा साहिब के साईं हॉस्पिटल में फर्जी डॉक्टर फर्जी डिग्री से इलाज करता रहा ओर सैकड़ों लोगों की जान खतरे में डाली गई बताया जा रहा है कि इस पर जी डॉक्टर ने लगभग डेढ़ साल तक साईं हॉस्पिटल में कार्य किया है इस दौरान दर्जनों लोगों को पीजीआई भी रेफर किया गया संदेह है कि फर्जी डॉक्टर ने इलाज के दौरान आए मरीजों का गलत इलाज किया गया इसके बाद मरीज को पीजीआई रेफर किया गया इसकी जांच की मांग भी की जा रही है
बताया जा रहा है कि फर्जी डॉक्टर ने साईं हॉस्पिटल में फर्जी एंजियोग्राफी और एंजोप्लास्टि व सर्जरी भी की है इसके बाद कुछ मरीजों की मौत की भी जानकारी सामने आ रही है अब देखना यह है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस और स्वास्थ्य विभाग आरोपी डॉक्टर और साईं हॉस्पिटल के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई करेगा या नहीं अस्पताल पर आरोप है कि फर्जी डिग्री वाले डॉक्टर को उन्होंने नौकरी पर क्यों रखा और इतने लंबे समय तक आरोपी साइन हॉस्पिटल में कार्य करता रहा
दमोह में दिल का ऑपरेशन करने वाले नकली कार्डियोलॉजिस्ट एन जॉन कैम आदतन अपराधी है, मगर वह अभी तक चालाकी से पुलिस के शिकंज से बचता रहा। दमोह में सात लोगों की जान लेने वाले विक्रमादित्य यादव पहले भी बड़े हॉस्पिटल में ऑपरेशन कर चुका है और इस कारण छत्तीसगढ़ में भी मौतें हो चुकी हैं। इसकी असली पहचान उजागर होना बाकी है।
कई मरीज तो भाग गए, वरना और मौतें होतीं
बताया जाता है कि नकली डॉक्टर जॉन कैम ने मिशन हॉस्पिटल में 15 लोगों के दिल का ऑपरेशन किया। गनीमत यह रही कि अन्य लोग दिक्कत आने पर दूसरे अस्पताल में सही समय पर पहुंच गए। नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ. एन जॉन कैम बड़ा शातिर है। वह किसी शहर में ज्यादा दिन टिकता नहीं था। वह शहर के सबसे लग्जरी हॉस्पिटल में रहता था। वह दवाई लिखने के लिए कोई प्रिस्क्रिप्शन भी नहीं देता था। सादे कागज पर ही उसने दवा लिखकर अपना धंधा चमकाता रहा। हद तो यह है कि मेडिकल स्टोर वाले भी सादे कागज पर लिखी दवाई मरीजों को देते रहे। उसकी इस हरकत से कई बीमारों को शक हुआ और सभी ने फर्जी डॉक्टर से ऑपरेशन कराने से इनकार कर दिया। अगर लोग नहीं जाते तो मौतों की तादाद सात से ज्यादा होती।
कई जान ले चुका है नकली डॉक्टर, डिग्रियां भी नकली
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, विक्रमादित्य यादव पिछले 18 साल से मौत का खेल खेलता रहा और किसी को इसकी करतूतों का भनक नहीं लगी। अगस्त 2006 में विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शु्क्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने किया था। तब इसके ऑपरेशन से 8 लोगों की जान गई थी। तब मौतों की जांच हुई तो यह नतीजा निकला कि विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम के पास एमबीबीएस की डिग्री है। रिपोर्टस के मुताबिक, दिल का फर्जी डॉक्टर मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। उसकी आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज से जारी कथित एमबीबीएस की डिग्री भी फर्जी है। विक्रमादित्य का एमबीबीएस रजिस्ट्रेशन नंबर एक महिला डॉक्टर का निकला है। एमडी और कॉर्डियोलॉजिस्ट की डिग्री में कोई रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है।
मानवाधिकार आयोग ने डाला दमोह में डेरा
जबलपुर नाका के रहने वाले दीपक तिवारी को जब लगातार हो रही मौतों का पता चला तो उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई। मामला दर्ज होते ही यह नकली डॉक्टर दमोह से चंपत हो गया। मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) तक पहुंचा। अब आयोग की टीम 7 अप्रैल से 9 अप्रैल तक दमोह में डेरा डालेगी, तब पता चलेगा कि उसने सच में कितने लोगों की जान से खिलवाड़ किया है। दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने कहा है कि जांच के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पांवटा साहिब साईं हॉस्पिटल के डायरेक्टर दिनेश बेदी का कहना है कि आरोपी डॉक्टर ने दो महीने के करीब उनके अस्पताल में कार्य किया था जिसके बाद उनको नौकरी से निकाल दिया गया था