पांवटा साहिब के अन्तर्गत पडने वाली सड़क अम्बोया से रामनगर तक करीब 2.5 किलो मीटर लम्बी है। जो सड़क अनुसूचित जनजाती के अन्तर्गत आती है। रामनगर की इस सड़क पर पिछले हफते से मलबे का काफी बड़ा ढेर गिरा हुआ है। जिसे लोनिवि उठाने में नाकाम हो रहा है। ग्रामीणों ने कई बार विभाग को इस मलब के ढेर को उठाने के लिए कहा परन्तु उनके कान पर जूं तक नही रैंग रही है।
बता दे कि यह सड़क अम्बोया, चिलोई, चौहानडाण्डी और रामनगर के गांवों को जोडती है। जिसके कारण इन लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोनिवि की सुस्त कार्य प्रणाली के चलते 2.5 किमी की इस सडक पर कालिख तो फेर दी थी। उसके बाद विभाग ने इस सडक की ओर कभी मुडकर भी नही देखा। जाने विभागिय अधिकारियों को इस सड़क से कोई वास्ता नही है। सड़क को दुरूस्त करने के लिए सड़क पक्की तो कर दी थी परन्तु कुछ ही महिनों के बाद सड़क कई जगहों से टुट चुकी है। वहीं विभागिय अधिकारियों ने ठेकेदारों को लाभ पहुचानें के लिए कार्य उन्हें सौंप दिया। सड़क पर कई जगह पैराफिट लगाए गए थे जो कि एक ही बरसात आ जाने से ढह गए है। इसे विभागीय लापरवाही न कहे तो क्या कहे। उधर लोनिवि के जेई शुरवीर ने पिछले हफते से सड़क को साफ करने को कहा था परन्तु तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
लोनिवि के द्वारा सडक के कार्य पूरे न होने पर ग्रामीणों में विभाग के प्रति काफी रोष है। विभाग को कई बार चेताया गया कि सड़क में दो तीन करवटे लगनी है जहां पर रास्ता बहुत तंग है उसे पूरा किया जाए परन्तु विभाग के जेई सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते है कि काम जल्दी से जल्दी पूरा किया जाएगा। परन्तु कार्य सिर्फ कागजों पर ही पूरा किया जा रहा है। धरातल पर लेश मात्र कुछ भी करने को लोनिवि तैयार नही है।
गौरतलब हो कि लोनिवि विभाग द्वारा इसी सडक पर रामगनर गांव को जोडने के पुल का निर्माण भी किया था। विभाग द्वारा 17 लाख रूपये की राशि खर्च इस पुल का निर्माण किया गया था। जो कि सिर्फ नदी में शो पिस बना हुआ है। लोगों को उस पुल के नीचे से होकर गुजरना पडता है। बरसात के समय लोगों काफी परेशानी का सामना करना पडता है। इससे सीधा सीधा विभागिय कार्य प्रणाली की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान खडे होते है। कि आखिर विभाग कब हरकत में आयेगा और रामनगर सडक के आधे अधूरे कार्य को पूरा करेगा।