पीच वैली के नाम से देश में विख्यात है राजगढ़ , क्षेत्र में होता है छः हजार मिट्रिक टन आड़ू का उत्पादन

राजगढ़ क्षेत्र में  इन दिनों बागवानों द्वारा आड़ू और सेब की पू्रनिग और तौलिया बनाने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है । राजगढ़ क्षेत्र का आड़ू उत्तम क्वालिटी, स्वाद, और साईज के लिए बहुत प्रसिद्ध माना जाता है जिस कारण राजगढ़़ पीच वैली के नाम से देश में जाना जाता  है । अतीत में राजगढ़ क्षेत्र में आड़ू के काफी बागीचे हुआ करते थे परंतु फाईटोपलाजमा नामक बिमारी के कारण काफी आड़ू के बागीचे खत्म हो गए थे । इसके बावजूद भी राजगढ़ क्षेत्र में हर वर्ष औसतन छः हजार मिट्रिक टन आड़ू का उत्पादन होता है जिसकी पुष्टि उद्यान विकास अधिकारी राजगढ़ डॉ0 प्रतिभा चौहान ने  की है ।


उन्होने बताया कि राजगढ़ क्षेत्र में करीब तीन हजार हैक्टेयर भूमि पर आड़ू के बागीचे लगें है जिसमें आड़ू की जुलाई अलवर्टा  किस्म सर्वाधिक उत्पादित की जाती है । समुद्र तल से करीब 500 से 1400 मीटर की ऊंचाई तक आड़ू का उत्पादन होता है और आड़ू का पौधा तीसरे वर्ष फल देने लग जाता है ।

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डॉ0 प्रतिभा ने बताया कि आड़ू के अतिरिक्त  राजगढ़ के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हाब्बन, ठंडीधार, रासूमांदर, बथाऊदार, नौहराधार इत्यादि क्षेत्रों  सेब का उत्पादन भी  किया जाता है । उन्होने  बताया कि बागवानी कार्यालय राजगढ़ के अंतर्गत तीन विकास खण्ड राजगढ़, संगड़ाह और सरांह आते हैं और  वर्ष 2018-19 के दौरान बागवानों की मांग पर इटली के 15 हजार सेब के उन्नत किस्म के रूट स्टॉक मंगवाए गए थे जिसे  50 प्रतिशत अनुदान अर्थात दो सौ रूपये प्रति पौधा के हिसाब से किसानों पर उपलब्ध करवाए गए थे। उन्होने बताया कि सर्दी के मौसम में सेब के पौधे रोपित करने के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है तथा इस वर्ष भी बागवानों की मांग पर इटली के चार हजार रूट स्टॉक विभागीय नर्सरियों में आए है जिनमें से दो हजार सेब के पौधे किसानो को अनुदान पर  240 रूपये प्रति पौधा वितरित किए जा चुके है और दो हजार अभी स्टॉक में पड़े है ।


उन्होने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा राजगढ़ व संगड़ाह क्षेत्र के किसानों के लिए यूएसए से करीब साढ़े चार लाख सेब के रूट स्टॉक आयात करने की योजना बनाई  गई हैं ताकि किसानों को उन्नत किस्म के सेब के रूट स्टॉक उपलब्ध हो सके । उन्होने बताया कि राजगढ़, नौहराधार, हरिपुरधार और संगड़ाह के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की बागवानी के लिए जलवायु अनुकूल है। उन्होेने बताया कि इससे पहले विभाग द्वारा इटली से सेब से रूट स्टॉक आयात किए जाते थे परंतु इटली की फर्म के साथ  सरकार का  अनुबंध खत्म  हो गया है । उन्होने बताया कि यूएस से आने वाला सेब समुद्र तल से  2000 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर कामयाब होता है


उन्होने जानकारी दी कि राजगढ़, संगड़ाह और  पच्छाद ब्लॉक के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में  पिछली  बरसात के दौरान किसानों को तीस हजार नीबूं प्रजाति के पौधे अनुदान पर  उपलब्ध करवाए गए जिसमें  बारामासी नींबू, संतरा, माल्टा, कीन्नू, अमरूद्ध, अनार, आम और लीची इत्यादि शामिल है।  इसी प्रकार  प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत इस वर्ष के दौरान 24 लाख की राशि 38 किसानों को अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाई गई ।  इसके अतिरिक्त चार सौ किसानों को पावर टिल्लर खरीदने पर दो करोड़, किवी विकास योजना के तहत 50 किसानों को 70 लाख तथा 14 किसानों को तालाब निर्मित करने के लिए दस लाख की राशि अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाई गई ।

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