भाषा एवं संस्कृति विभाग सिरमौर द्वारा राजगढ़ मेें जिला स्तरीय लोक नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन करने पर शिलाई एवं रेणुका क्षेत्र के अनेक सांस्कृतिक दलों द्वारा आपति जताई गई है । लोक कलाकारों का कहना है कि राजगढ़ सिरमौर के एक छोर पर बसा है और शिलाई व रेणुका तहसील के दूरदराज के सांस्कृतिक दलों को राजगढ़ पहूंचने में बसों द्वारा पूरा दिन लगता है । इसके अतिरिक्त यदि शाम को राजगढ़ पहूंचते है तो भाषा विभाग द्वारा ठहरने व खाना इत्यादि की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है जिससे कलाकारों को बहुत परेशानी होती है । दूसरी ओर भारी बर्फवारी से सड़के भी खराब है बहुत कम बसें चल रही है और राजगढ़ के लिए कोई सीधी बस सेवा भी नहीें है ।
शिलाई के कलाकार दलीप, बलवीर सिंह ,रामलाल इत्यादि का कहना है कि सिरमौर जिला में 50 से अधिक लोक नर्तकदल है परन्तु जानकारी एवं व्यवस्था के अभाव में कुछ दल विशेषकर राजगढ़ क्षेत्र के ही भाग लेते है जबकि सिरमौर का असली कलचर की झलक शिलाई व रेणुका क्षेत्र के दूरदराज क्षेत्र में देखने को मिलती है । उन्होेने कहा कि पिछले चार वर्षों का रिकार्ड का आकलन किया जाए तो हर वर्ष जिला स्तरीय लोक नृत्य प्रतियोगिता मेें अधिकतम 6-7 दल भाग लेते है जिनमें से अधिकांश दल राजगढ़ क्षेत्र के हैं । इसक अतिरिक्त प्रतियोगिता में विभाग द्वारा ऐसे व्यक्तियों को जज बनाया जाता है जिनको सिरमौर की संस्कृति बारे एबीसी ज्ञान भी नहीं हैं ।
कलाकारों का कहना है कि भाषा विभाग सिरमौर वर्ष में केवल एक बार सांस्कृतिक प्रतियोगिता करवाता है उसमें भी भाई भतीजावाद और अपने लोगों को कोपरेट करने को तवज्जो दी जाती है इसके अतिरिक्त पूरे साल भर कोई भी आयोजन नहीं किया जाता है तथा विभाग के अधिकारी व कर्मचारी पूरा साल कार्यालयों में बेकार बैठे होते है चूंकि इस विभाग की जवाबदेही कहीं भी नहीं हैं ।
लोक नर्तक दलों का यह भी कहना है कि भाषा विभाग की कलाकारों को दी जाने वाली मानदेय दरें बाबा आदम जमाने की है जबकि पब्लिक रिलेशन विभाग कलाकारों को तीन किराए के अतिरिक्त तीन सौ रूपये दैनिक भत्ता तथा न्यूनतम सात सौ रूपये प्रस्तुतिकरण भत्ता भी दिया जाता है जबकि भाषा विभाग केवल दो किराए और थोड़ा बहुत मानदेय देकर अपना पल्ला झाड़ देता है । कहना न होगा कि वर्तमान में पब्लिक रिलेशन मेें प्रदेश के 74 दलों को पंजीकृत किया गया है और पब्लिक रिलेशन विभाग द्वारा कलाकारों को वर्ष में अनेक प्रचार कार्यक्रम देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है अर्थात जो कार्य भाषा विभाग को करना चाहिए उसे पब्लिक रिलेशन विभाग बखूबी निभा रहा है ।
जिला के कुछ साहित्यकारों ने पूछने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाषा विभाग का कार्य संस्कृति का सरंक्षण एवं सवंर्धन करना होता है परन्तु सिरमौर जिला में भाषा विभाग केवल कवि गोष्ठी करवाने तक सीमित हो चुका है । जिला भाषा अधिकारी नाहन द्वारा शहर के पांच -छः स्थानीय कवियों को बुलाकर कवि गोष्ठी की औपचारिकताऐं निभाई जाती है जबकि जिला में अनेक उच्च कोटी के कलाकार एवं साहित्यकार है परन्तु भाषा विभाग उन्हें बुलाने का सदैव परहेज करता है केवल कुछ कवियों को विभाग द्वारा ओबलाईज किया जाता है जिससे जिला के साहित्यकारों में इस बारे काफी चर्चा बनी हुई है ।
भाषा विभाग के निदेशक केके शर्मा से जब दूरभाष पर सम्पर्क किया गया तो उन्होने कहा कि ऐसे कार्यक्रम जिला के कंेंद्र बिंदू पर होने चाहिए ताकि अधिक से अधिक सांस्कृतिक दल भाग ले सके । उन्होने राजगढ़ मे होने वाली सांस्कृतिक प्रतियोगिता बारे अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि उन्हें इस बारे मालूम नहीं है कि जिला भाषा अधिकारी द्वारा किस आधार पर जिला के एक कोने पर इसका आयोजन किया गया है ।