राणा की डिन्नर डिप्लोमेसी में लगा राजनीतिक तड़का ,शाही भोज के बहाने स्माइली रिजॉर्ट में लगे राजनीतिक चटकारे

(धनेश गौतम ) भाजपा के शासन में डिन्नर की परंपरा को लोग जहां भूल से गए हैं वहीं कांग्रेस के दिग्गजों में डिन्नर डिप्लोमेसी का क्रेज आज भी कायम है। इस बार कांग्रेस के दिग्गज एवं हिमबुनकर के पूर्व चेयरमैन
टहल सिंह राणा ने रात्री भोज का शाही तड़का लगाया। इस भोज में खास बात यह रही कि कांग्रेस के लोग तो आमंत्रित थे ही साथ में भाजपा के लोगों के अलावा आम लोगों को भी इस तड़के का स्वाद चखने को बुलाया गया था। जहां शाही भोज हो और राजनीति न हो तो मजा ही किरकिरा हो जाएगा। लिहाजा इस शाही भोज में राजनीति के खूब चटकारे लगे और बनते बिगड़ते समीकरणों पर भी खूब चर्चा हुई।

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खुशी थी राणा के बेटे की शादी की। हालांकि शादी समारोह दो दिनपहले उनके निवास स्थान पर समाप्त हो चुका था लेकिन डिन्नर डिप्लोमेसी का तड़का मौहल के एक नामी रिजॉर्ट स्माइली में लगा। शाही डिन्नर के साथ जब कॉकटेल व मॉकटेल हो तो राजनीतिक चटकारे लगना स्वभाविक है। हम यूं कहें कि इस शाही भोज के आयोजन से कांग्रेस दिग्गज टहल सिंह राणा ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। शाही भोज में जहां राणा के रिश्तेदार,सगे संबंधी मौजूद रहे वहीं राजनीतिक पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गज व कुछ अधिकारी कर्मचारी भी उंगलियां चाटते रहे।

हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह शक्ति प्रदर्शन किस लिहाज से किया गया और उनकी आगामी योजना क्या है लेकिन भोज में बैठे लोगों ने राजनीतिक चर्चा में कई सरकारें गिराई और कई बनाई यह देखने को बखूबी मिला।खासकर बंजारविस क्षेत्र की राजनीति पर खूब चर्चा रही। अभी कांग्रेस पूरी तरह से भंग है और इस पर भी सबकी नजर है। गौर रहे कि कांग्रेस कल्चर में डिन्नर डिप्लोमेसी का रिवाज आम है। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद यह परंपरा लगभग खत्म हो चुकी थी और लोग इस तरह के शाही भोज के चटकारे लेना लगभग भूल ही गए थे। किंतु यह भोज इसलिए भी स्पेशल बना कि लंबे समय के बाद कुछ इस तरह का आयोजन हुआ और इसे छोडऩा भी किसी ने उचित नहीं समझा। लंबे समय के बाद किसी राजनीतिज्ञ द्वारा इस तरह का आयोजन होने से भी इस भोज ही अहमियत बढ़ गई नजर आई। कांग्रेस के शासन के दौरान इस तरह के भोज आम बात रही है और खासकर कर उस समय के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कुल्लू आते थे तो कांग्रेस नेताओं में शाही रात्री भोज देने की प्रतिस्पर्धा रहती थी।

बहरहाल राणा ने शाही भोज देकर कुल्लू वासियों को कांग्रेस कल्चर की याद दिलवाई और इस भोज के चर्चे भी राजनीतिक गलियारों में आम है। बंजार में इस
बक्त सराजवाद व रूपीवाद आम चला हुआ है और भाजपा की स्थिति भी ठीक नहीं है। कांग्रेस की नजर भाजपा की कमजोरी पर टिकी है। सबसे पहले कांग्रेस पंचायती राज चुनाव में अपना अच्छा प्रदर्शन चाह रही है और उसके बाद विस चुनाव के लिए भी समीकरणों पर कांग्रेस नेता नजर दौड़ाए हुए हैं। इस भोज में महेश्वर सिंह के अलावा बंजार प्रतिपक्ष के नेता आदित्य विक्रम सिंह सहित निर्वतमान अध्यक्ष दुष्यंत ठाकुर भी उपस्थित रहे।

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