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जिला शिमला के रोहड़ू उपमंडल में जातिगत भेदभाव के कारण एक बच्चे की मौत के मामले में पुलिस ने आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है. हाईकोर्ट ने भी आरोपी महिला की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. बुधवार, 15 अक्टूबर को अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष कुलदीप धीमान ने रोहड़ू का दौरा कर प्रशासन से मामले की जानकारी ली थी. आयोग ने आरोपी महिला को गिरफ्तार न करने पर नाराजगी जताई थी.
महिला को स्थानीय अदालत में पेश करने की तैयारी
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने और आयोग की तरफ से जांच अधिकारी को निलंबित करने के बाद अब पुलिस ने आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है. डीएसपी रोहड़ू प्रणव चौहान ने इसकी पुष्टि की है. अब महिला को स्थानीय अदालत में पेश कर रिमांड पर लेने की तैयारी की जा रही है.
इससे पहले बुधवार को अनुसूचित जाति आयोग की टीम चेयरमैन कुलदीप कुमार धीमान की अगुवाई में पीड़ित परिवार से मिलने के लिए रोहड़ू पहुंची थी. इस दौरान आयोग के चेयरमैन जांच से संतुष्ट नहीं नजर आए. जांच में ढिलाई की बात कहते हुए अनुसूचित जाति आयोग ने आईओ यानी जांच अधिकारी मंजीत सिंह के निलंबन के आदेश दिए. साथ ही डीएसपी रोहड़ू से भी जांच में ढिलाई को लेकर जवाब तलब की है. इसके अलावा आयोग ने पीड़ित परिवार को तय नियमों के अनुसार सहायता दी और परिवार को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए.
क्या है पूरा मामला?
रोहड़ू के चिड़गांव के तहत लिंबड़ा गांव का 12 साल का बच्चा खेलते हुए इलाके के ही एक घर में चला गया था. ये घर ऊंची जाति की महिला का था. आरोप है कि मकान मालिक महिला ने बच्चे के साथ अमानवीय व्यवहार किया. पीड़ित परिवार का आरोप है कि बच्चे को गोशाला में बांध कर रखा गया. 16 सितंबर को तथाकथित इस अमानवीय व्यवहार से आहत बच्चा किसी तरह गौशाला से निकला और उसने खुदकुशी की कोशिश की. बच्चे को गंभीर हालत में इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, जहां 17 सितंबर को रात डेढ़ बजे के करीब उसने दम तोड़ दिया. 19 सितंबर को बच्चे का अंतिम संस्कार कर दिया गया. बच्चे के अंतिम संस्कार के बाद परिजनों ने डीएसपी रोहड़ू के समक्ष आवेदन दिया और न्याय की मांग की. इसी बीच, आरोपी महिला ने हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल कर दी.