हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में तिरुपति ग्रुप मालिकों पर इस्लामिक एजुकेशन सोसाइटी की करोड़ों रुपए की संपत्ति खरीदी है। फार्मा मालिकों ने यह संपत्ति बेनामी तौर पर खरीदी है। सिर्फ इतना ही नहीं संपत्ति को खरीदने के लिए सभी नियम कानून सूली पर टांग दिए गए।
हिमाचल प्रदेश की जमीनों को किस तरह शिक्षा प्राप्त करने वाले गरीब बच्चों की हथेली से छीन कर उद्योगपतियों को सौंप दिया गया और किस तरह जमीन खरीद फरोख्त नियमों को ताक पर रख दिया गया इसका एक बड़ा मामला सामने आया है। पांवटा साहिब में सूरजपुर स्थित तिरुपति फार्मा कंपनी द्वारा इस्लामिक एजुकेशन सोसाइटी की करोड़ों रुपए की जमीन कौड़ियों के भाव खरीदी है। यह जमीन बच्चों की शिक्षा के लिए इस्तेमाल की जानी थी। लेकिन अधिकारियों के साथ मिलकर इस्लामिक एजुकेशन की जमीन को खरीद लिया गया। बता दें कि 5 बीघा 7 बिस्वा खसरा नंबर 175/219 भूमि पर तिरुपति फार्मा कंपनी द्वारा कब्जा कर इस पर फार्मा यूनिट भी बनाई गई है जो की साफ-साफ हिमाचल प्रदेश सरकार अधिनियम 118 का उल्लंघन है।
सूत्रों की माने तो इस जमीन को फार्मा उद्योग के मालिक द्वारा एक व्यक्ती के नाम पर खरीदा गया है और इस पर बिना 118 की परमिशन औद्योगिक इकाई भी खड़ी कर दी गई है जो कि सीधे-सीधे नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है.सूत्रों की माने तो इस जमीन का सौदा कागजों के बाहर 5 करोड रुपए के करीब हुआ है लेकिन रजिस्ट्री सिर्फ एक करोड़ 7 लाख रुपए की दर्शाई गई है।इस एजुकेशन समिति के अध्यक्ष सहित करीब 16 मेंबरों ने एजुकेशन सोसाइटी की जमीन की करोड़ों रुपए की बंदरबांट आपस में कर ली। जबकि इस जमीन पर बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल बनाया जाना था। सिर्फ इतना ही नहीं कथित फार्मा कंपनी के माध्यम से एजुकेशन सोसाइटी को इस जमीन का 1 रूपया भी नहीं दिया गया है बल्कि अध्यक्ष सहित सभी मेंबरों ने आपस में मिल कर अपने खातों में करोड़ों रुपए का लेनदेन किया। बताया जा रहा है कि मौके पर किसी और जमीन पर कब्जा कर लिया गया है जबकि खरीदी गई जमीन मौके से एक किलोमीटर दूर है
उधर इस पूरे मामले को उजागर करने वाले सूत्रों ने कहा कि वह उद्योगपति और समिति के लोगों के नाम जाहिर नहीं कर सकते हालांकि जितनी जानकारी और दस्तावेज उन्होंने मीडिया को दिए हैं उसके आधार पर यह समाचार प्रकाशित किया जा रहा है। वही इस पूरे मामले को लेकर कई विभागों को शिकायत की गई है जिसमें पांवटा साहिब तहसील अधिकारी, स्टेट विजिलेंस, डीसी सिरमौर और हिमाचल प्रदेश सरकार सहित ईडी भी शामिल है।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि करोड़ों रुपए की जमीन जिस पर बच्चों के लिए स्कूल बनाया जाना था इस बैनामी संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में ले और नियमों का उल्लंघन करने वाले फार्मा उद्योग मलिक, बेनामी संपत्ति के मालिक और एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष और मेंबरों पर FIR दर्ज की जाए। वही इस बारे में तहसीलदार पांवटा साहिब ऋषभ शर्मा को शिकायत मिलने के कई दिन बाद भी कारेवाही नही हुई है क्युकी राजनीतिक दबाव बनाया गया है और एक स्थानीय नेता की इसमें मिलीभगत है