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हिमाचल प्रदेश सरकार ने मादक पदार्थ चिट्टा के विरुद्ध बहुआयामी, सख्त और परिणामपरक मुहिम की शुरुआत की है। यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि नशा माफिया के खिलाफ निर्णायक युद्ध है, जिसे प्रदेश सरकार ने नशा माफिया की जड़ों तक पहुंचने और इसे पूरी तरह उखाड़ फेंकने के ध्येय के साथ नई दिशा दी है।
15 नवम्बर, 2025 को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने ऐतिहासिक रिज, शिमला से चौड़ा मैदान तक आयोजित महा वॉकथॉन का नेतृत्व करते हुए इस मुहिम को एक व्यापक जन आन्दोलन में बदलने की घोषणा की। यह मुहिम अब राज्य स्तर से होते हुए पंचायतों, गांवों और घरदृघर तक पहुंच रही है। इसमें समाज के हर वर्ग की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
बीते दिन धर्मशाला के दाड़ी मैदान से पुलिस ग्राउंड तक आयोजित वॉकथॉन में भी मुख्यमंत्री ने दोहराया कि चिट्टा माफिया का विनाश सरकार का दृढ़ संकल्प है।
धर्मशाला में मुख्यमंत्री ने प्रहारक शब्दों में स्पष्ट कहाः
‘‘जो लोग चिट्टा बेचकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं, परिवार नष्ट करते हैं, उनके लिए देवभूमि हिमाचल में अब कोई जगह नहीं बची है। नशे के कारोबार में शामिल किसी भी अपराधी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।’’
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के सशक्त नेतृत्व में सरकार इस सजग सामाजिक आन्दोलन को प्रभावी बनाने देने के लिए कानूनी मोर्चे पर भी कठोर कदम उठा रही है। नशा विरोधी कानूनों को और अधिक कड़ा किया जा रहा है। चिट्टे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है। चाहे इस काले कारोबार में शामिल व्यक्ति कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे सलाखों के पीछे भेजा जा रहा है।
हाल ही में प्रदेश मंत्रिमंडल ने एंटी नार्काेटिक्स टास्क फोर्स को स्पेशल टास्क फोर्स में विलय कर गृह विभाग के अधीन एक एकीकृत स्पेशल टास्क फोर्स गठित करने का महत्त्वपूर्ण फैसला लिया है। इसका साफ संदेश है कि चिट्टा माफिया को जड़ से खत्म करना ही सरकार का उद्देश्य है।
सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है, प्रदेश को चिट्टे से पूर्णतः मुक्त करना और युवा पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित करना।
धर्मशाला में मुख्यमंत्री ने अपनी बहुआयामी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए लोगों से चिट्टा संबंधी सूचनाएं संबंधित एजेंसियों से साझा करने की अपील की तथा सूचना देने वालों को पुरस्कृत करने की घोषणा भी की। इससे साबित होता है कि यह अभियान केवल सरकारी नहीं, बल्कि लोगों की सहभागिता वाला सशक्त जन आन्दोलन बन चुका है।
सरकार ने चिट्टा माफिया को समाप्त करने के लिए पुलिस, शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा आम जनमानस की सक्रिय भागीदारी के साथ एकीकृत बहुस्तरीय कार्य योजना लागू की है। प्रदेश के स्कूलों, महाविद्यालयों, पंचायतों, शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान को व्यापक गति दी जा रही है ताकि युवाओं को नशे के दुष्परिणामों से प्रभावी रूप से बचाया जा सके।
मुख्यमंत्री के शब्दों मेंः
‘‘यह केवल अभियान नहीं, नशा माफिया के खिलाफ युद्ध है। इसमें ढिलाई या समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। चिट्टा सौदागरों और गिरोहों का समूल नाश निश्चित है। कानून के शिकंजे से कोई भी नहीं बचेगा।’’
सरकार ने नशे के आदी व्यक्तियों के उपचार, पुनर्वास और नशा सहित संगठित अपराध पर रोक लगाने के लिए नए विधेयक पारित किए हैं, जिनमें नशा तस्करों के लिए मृत्युदंड, आजीवन कारावास, 10 लाख रुपये तक जुर्माना और नशा माफिया की संपत्ति जब्त करने जैसे कठोर प्रावधान शामिल हैं।
पिछले तीन वर्षों में नशीले पदार्थों के विरुद्ध हिमाचल पुलिस की कार्रवाई ऐतिहासिक रही है। इस दौरान एनडीपीएस के 5642 मामले दर्ज किए गए हैं। 8216 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और 36.657 किलोग्राम चिट्टा सहित भारी मात्रा में अन्य ड्रग्स बरामद की हैं।
सरकार, पुलिस, जन प्रतिनिधियों और आम जनता के समन्वय से पंचायत स्तर तक चिट्टा सेवन करने वालों और चिट्टा माफिया की मैपिंग पूरी कर ली गई है। हर गांव और पंचायत में ‘नशा निवारण समितियां’ गठित करने का निर्णय लिया गया है। बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूली पाठयक्रम में नया अध्याय भी शुरू किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री का स्पष्ट मत है कि चिट्टे के दलदल में फंसे युवा अपराधी नहीं, बल्कि पीड़ित हैं। उन्हें दंड नहीं, इलाज, प्रेम और पुनर्वास की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से नशामुक्ति रोकथाम एवं पुनर्वास बोर्ड का गठन किया गया है और कई नई पहलें लागू की गई हैं।
हिमाचल की सभ्यता, संस्कृति और भविष्य को चोट पहुंचाने वाले मादक पदार्थ चिट्टा के खिलाफ यह चेतना और संकल्प निस्संदेह एक निर्णायक मोड़ पर है।












