Khabron wala
पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि शिमला में रोहड़ू के एक गांव में दलित परिवार का 12 वर्ष का बच्चा पड़ोस में ऊंची जाति के घर में चला गया। महिला ने पकड़ लिया और कहा कि घर अब अपवित्र हो गया और उसे गऊशाला में बंद कर दिया। दूसरे दिन बच्चा गऊशाला से निकल कर अपने घर आ गया। वह इस अपमान और प्रताड़ना को सहन नहीं कर सका और जहर खाकर आत्महत्या कर ली। उसने अपनी मां को बता दिया था कि इतना बड़ा अपमान उससे सहन नहीं हो रहा।
शांता कुमार ने कहा कि जिन छुआछूत जैसी कुरीतियों के कारण महान भारत गुलाम हुआ और सदियों की गुलामी को सहना पड़ा, वे कुरीतियां अभी भी कहीं-कहीं जीवित हैं। छुआछूत के कारण भारत में अपने ही समाज के लोगों को दलित कहा गया। समाज ने उन्हें दुतकारा। विदेशी आक्रमणकारियों ने उन्हें स्वीकार कर लिया। आज के भारत के लाखों-करोड़ों मुसलमान उस समय के हिन्दू समाज द्वारा दुतकारे गए हिन्दू भाई ही हैं।
शांता कुमार ने कहा छुआछूत सबसे बड़ा अपराध भी है और पाप भी है। यह भगवान का अपमान है, क्योंकि भगवान ने सबको बराबर बनाया है। यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस पागलपन के कारण भारत को सैंकड़ों साल की गुलामी सहनी पड़ी, वह पागलपन आज भी कहीं-कहीं जीवित हैं। 20वीं सदी के भारत में 12 वर्ष के एक मासूम बच्चे को इसलिए आत्महत्या करनी पड़ी क्योंकि उसे अछूत कह कर अपमानित किया गया। यह अत्यन्त शर्मनाक और निन्दनीय है। उन्होंने कहा कि मुझे हैरानी है कि यह शर्मनाक व निन्दनीय घटना एक साधारण समाचार के रूप में छपी, सबने पढ़ी और भूला दी। सरकार व समाज ने न तो कुछ विशेष किया और न ही सोचा। उन्होंने आग्रह किया है कि सरकार और समाज को इस पर गंभीरता से चिन्तन करना चाहिए।