( जसवीर सिंह हंस ) हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनावों के दौरान शराब विक्रेताओं द्वारा धड़ल्ले से मनमाने रेट पर शराब की बिक्री जारी है। प्रदेश आबकारी नीति के चलते पहले से ही पड़ोसी राज्यों की अपेक्षा शराब महंगी है। वहीं जिला सिरमौर में शराब के ठेकेदार प्रिंट मैक्सिमम रीटेल प्राइस (एम.आर.पी.) के ऊपर धडल्ले से शराब बेच कर खूब चांदी कूट रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में आबकारी नीति के तहत प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर शराब बेचे जाने पर ठेकेदार का लाइसैंस रद्द करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश आबकारी नीति के अनुसार ठेका संचालक को दुकान के बाहर सभी ब्रांड और उनकी रेट लिस्ट जारी करना अनिवार्य है लेकिन ठेकेदारों द्वारा शहर के बीचोंबीच लोगों से मनमाने रेट पर शराब बेचकर विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। .विभाग या शराब के ठेकेदार द्वारा कोई भी बोर्ड या लिस्ट ठेकों पर नहीं लगायी गयी है |
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आलम यह है कि जिला सिरमौर में बिकने वाली किंगफिशर स्ट्रांग प्रीमियम बीयर की एक बोतल पर एम.आर.पी. रेट 119 रुपए लिखा होता है लेकिन इसे सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 150 रुपए में बेचा जाता है। यही हाल अंग्रेजी शराब की बिक्री को लेकर भी है। विभिन्न शराब ब्रांड की बोतल की कीमत शहर में अधिक व कुछ किलोमीटर के बाद ही कम हो जाती है और रॉयल स्टेग 518 की जगह 550 की बेची जा रही है। इस प्रकार से शराब विक्रेताओं द्वारा नियमों को ताक पर रखने से अधिकारियों की साफतौर पर मिलीभगत होने के कारण शिकायतों के बाद भी इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती है। डिप्टी कमिश्नर स्टेट एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमैंट को इस विषय में पूछा गया उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया | वही शराब ठेकेदार ने इस विषय में रेट बढ़ने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया |