जिला सिरमौर के शिलाई विधानसभा क्षेत्र में आज भी गुलाम व्यवस्था कायम है। हमने यहां गुलाम व्यवस्था शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया है कि जब भारत अंग्रेजों का गुलाम होता था उस समय आम लोंगों के लिए इतनी सुविधाएँ नही होती थी कि उनका जीवन सरल हो सके। सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए लोग तरसते थे। आज देश को आजाद हुए लगभग 77 वर्ष होने वाले हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाक़ों में आज भी वही जमी जमाई व्यवस्था कायम है। सरकारें आती जाती रही लेकिन व्यवस्था नही बदली। तभी तो आज के दौर में भी सड़क से वंचित गावों में लोगों के कठिन जीवन के दृष्य नजर आते हैं तो सवाल लाजिमी उठता है कि कहां है तथाकथित विकास।
हम बात कर रहे हैं जिला सिरमौर के शिलाई विधानसभा क्षेत्र की जहां गत दिनों जो मामला सामने आया है, उसने सरकारों के दावों की पोल खोलकर रख दी है। इसलिए क्षेत्र के लोग अब व्यवस्था परिवर्तन की सुक्खू सरकार से व्यवस्था बदलने की आस लगाए बैठे हैं।
दरअसल, शिलाई विधानसभा क्षेत्र के बड़वास पंचायत के हरिजन बस्ती टिक्कर कुनैर में 75 वर्षीय बीमार महिला को ग्रामीणों ने डंडे में बांधकर कंधे पर उठाकर 7 किलोमीटर पैदल सतौन सड़क तक पहुंचाया गया। क्योंकि बस्ती आज भी सड़क से नही जुड़ पाई है।
जानकारी के मुताबिक बड़वास पंचायत के हरिजन बस्ती कुनैर की गुमानो देवी (75) पत्नी संतराम काफी समय से बीमार है। महिला के बेटे सुरेश कुमार व ग्रामीण धनवीर सिंह, चानन सिंह, संदीप कुमार आदि ने बताया कि महिला के रीढ़ की हड्डी में दर्द होता था जिस कारण डॉक्टरों ने रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के बाद महिला को घर लाएं लेकिन महिला को घर पर अचानक तेज दर्द उठा। जिसके बाद ग्रामीणों ने इकठ्ठा होकर महिला को डंडे में कंबल में बांधकर कंधे पर उठाकर 7 किलोमीटर पैदल सतौन सड़क तक पहुंचाया। ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव के समय नेता गांव में आते है और सड़क बनाने का आश्वासन देकर चले जाते है। लेकिन आज भी गांव में सड़क की सुविधा नहीं है।
शिलाई विधानसभा क्षेत्र के विधायक हर्षवर्धन चौहान मुख्यमंत्री के करीब है व उद्योग मंत्री के पद पर आसीन है। साथ ही उद्योग मंत्री शिलाई विधानसभा क्षेत्र में एक वर्ष में 100 करोड़ रुपए के विकास कार्य प्रगति पर होने की बात कह रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत में यदि विकास में इस बस्ती की सड़क को भी शामिल कर लेते तो जनता का कुछ भला हो जाता।
उधर, इस बारे में लोक निर्माण विभाग शिलाई के अधिशासी अभियंता वीके अग्रवाल ने बताया की बड़वास पंचायत के टिक्कर कुनैर के लिए चिलौन से चौकी मृग्वाल के लिए सड़क का सर्वे कर दो साल पहले करके फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए फाइल वन विभाग को भेजी गई है। लेकिन अभी तक वन विभाग से अप्रूवल नहीं मिल पाई है जिस कारण सड़क की डीपीआर तैयार नहीं की गई है। जैसे ही वन विभाग से फॉरेस्ट की क्लीयरेंस मिलेगी वैसे ही डीपीआर तैयार कर सड़क का टेंडर लगा दिया जाएगा।