मानसून के दौरान पीने के पानी को लेकर लोगों को दिए उपयोगी सुझाव
शिमला/रामनगर।
Khabron wala
शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड (SJPNL) और SUEZ इंडिया ने बृहस्पतिवार को रामनगर स्थित ऐतिहासिक बावड़ी परिसर में संयुक्त रूप से स्वच्छता अभियान चलाया। इस अभियान के तहत बावड़ी के आसपास जमा प्लास्टिक कचरे और जलीय खरपतवार को साफ किया गया, जिससे यह पारंपरिक जलस्रोत पहले से कहीं अधिक स्वच्छ और व्यवस्थित नजर आया। यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक रही, बल्कि स्थानीय समुदाय को यह संदेश देने की एक ईमानदार कोशिश भी रही कि जल स्रोतों की रक्षा हम सबकी साझा जिम्मेदारी है।
अभियान के दौरान टीमों ने आस-पास के लोगों को भी जागरूक किया कि स्वच्छ जलस्रोत केवल सरकारी प्रयासों से सुरक्षित नहीं रह सकते, इसके लिए समाज को भी आगे आना होगा। SUEZ और SJPNL की यह मुहिम ‘प्लास्टिक मुक्त पृथ्वी’ के वैश्विक लक्ष्य से भी जुड़ी हुई है, जिससे स्थानीय स्तर पर सकारात्मक और स्थायी बदलाव लाया जा सके।
इस अवसर पर टीम के प्रवक्ता ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य केवल साफ-सफाई करना नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि यदि समाज एकजुट होकर प्रयास करे, तो पारंपरिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि जुलाई का महीना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणीय जागरूकता और जल संरक्षण जैसे अभियानों से जुड़ा रहता है, ऐसे में यह पहल और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
इस मौके पर मानसून सीजन को ध्यान में रखते हुए SJPNL और SUEZ की ओर से लोगों को पीने के पानी की सुरक्षा को लेकर आवश्यक सुझाव भी दिए गए। प्रवक्ता ने कहा कि बरसात के मौसम में जलस्रोतों में गंदगी और कीटाणु मिल जाने का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में नागरिकों को पानी उबालकर पीने की सलाह दी गई है। साथ ही घरों की पानी की टंकियों की नियमित सफाई, पाइपलाइन में लीकेज होने पर तुरंत सूचना देना और सार्वजनिक जल स्रोतों का दुरुपयोग न करने जैसे सुझाव भी लोगों को दिए गए।
SUEZ और SJPNL ने इस अभियान के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि पर्यावरण की रक्षा और स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, जब तक आमजन इस प्रयास में भागीदार न बनें।
गौरतलब है कि रामनगर बावड़ी न केवल जलापूर्ति का पारंपरिक स्रोत है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी यह स्थल अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे स्थलों का संरक्षण हम सभी का नैतिक और सामाजिक दायित्व बनता है।