राजधानी के अंतर्राज्यीय बस अड्डे के पास भीषण सर्दी में नंगे बदन आग के पास बैठ कर रात गुजारने वाले एक मनोरोगी दिखने वाले नेपाली व्यक्ति को उमंग फाऊंडेशन ने टूटीकंडी के युवकों और पुलिस की मदद से शुक्रवार की रात को रेस्क्यू कराया। वह बीमार भी है। शनिवार को जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने उसे मनोचिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती कराने के आदेश दिए।फाऊंडेशन अब तक प्रदेश भर से 100 से अधिक बेसहारा मनोरोगियों को आम लोगों की मदद से पुलिस के जरिए रेस्क्यू करवा चुका है।
उमंग फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि गुरुवार रात को स्थानीय शिव शक्ति युवा क्लब के आशीष तनवर ने उन्हें फोन कर इस असहाय नेपाली की जानकारी दी। जब वे उसी रात वहां पहुंचे तो यह व्यक्ति आग जला कर बैठा था और ठंड से बचने के लिए शरीर पर गर्म राख मल रहा था। पूछने पर वह ठीक से बात नहीं कर पा रहा था। पिछ्ले कुछ दिनों से आशीष व उसके साथी उसे भोजन दे रहे थे। वह किसी सुरक्षित जगह जाने को तैयार नहीं था।
प्रो.श्रीवास्तव ने शिमला के पुलिस अधीक्षक ओमापति जामवाल को उसका फोटो व विवरण भेज कर उनसे मेन्टल हेल्थ केयर ऐक्ट 2017 के अन्तर्गत कार्रवाई करने और उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से मनोचिकित्सक तक पहुंचाने का अनुरोध किया। उन्होंने बालूगंज थाने से जब अगली सुबह पुलिस दल उसे संरक्षण में लेने के लिए भेजा तो वह नहीं मिला। शुक्रवार देर रात को उसे पुलिस ने संरक्षण में ले कर थाने में रखा और उसका मेडिकल कराया।
पुलिस ने शनिवार को उसको प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया। मजिस्ट्रेट ने उसे मनोचिकित्सक से इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने के आदेश दिए। वह अब अपना नाम नर बहादुर और गांव धौलाकोट ,नेपाल बता रहा है जिसकी पुष्टि की जाएगी।