मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को सोलन में साफ कर दिया है कि शिमला का नाम नहीं बदला जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला का नाम श्यामला किए जाने के बारे में महज एक सुझाव आया था। अंग्रेजी हुकूमत में मां श्यामला नाम का उच्चारण करने में अंग्रेजों को दिक्कत आती थी तो संभवतः पुराने नाम श्यामला को अंग्रेजों ने शिमला कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की फिलहाल शिमला का नाम बदलने की कोई मंशा नहीं है। फिर भी यदि जनता-जनार्दन बहुमत व पुरजोर ढंग से इस विषय पर अपना पक्ष रखती है तो कुछ भी विचार किया जा सकता है।
गौर हो कि शिमला का नाम बदलने के प्रस्तावित सरकारी निर्णय पर सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह की टिप्पणियां हो रही थीं। सरकार पर परोक्ष रूप से कई व्यंग्य कसे जा रहे थे। अब सरकार ने इस मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है। उधर, सोलन को नगर निगम बनाने की प्रस्तावित अधिसूचना में यह शहर अब टॉप पर आ गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को सोलन के अपने एक दिवसीय दौरे में इस बात के स्पष्ट संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि सोलन व आसपास के क्षेत्रों की जनसंख्या धर्मशाला से भी अधिक है।
उन्हें भाजपा नेताओं व पार्टी संगठन से भी कई बार इस आशय के प्रस्ताव आए हैं। प्रदेश में जब भी नगर निगम बनाने की बात आएगी तो सोलन इस सूची में सबसे ऊपर होगा। मुख्यमंत्री के इस संकेत को नगर निगम बनाने की धुंधली तस्वीर पर से परदा उठ गया है। उल्लेखनीय है कि सोलन शहर को मिलकार आसपास के क्षेत्रों की जनसंख्या 60 हजार से अधिक है। मशरूम सिटी ऑफ इंडिया व सिटी ऑफ रेड गोल्ड के नाम से पूरे विश्व में विख्यात सोलन में विश्व धरोहरें हैं, जो कि पांडवों के काल की हैं। इसके अलावा अंग्रेजों द्वारा बसाई गई छावनी, मोहन शक्ति हेरिटेज पार्क, सन् 1855 में स्थापित देश के सबसे पुरानी ब्रूरी में शामिल सोलन ब्रूरी, जटोली मंदिर, दौलांजी बोन मोनेस्ट्री, बघाट रियासत का पैलेस भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
सरकारी आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो सोलन की साक्षरता दर 85.02 प्रतिशत है और 33.43 वर्ग किलोमीटर में फैला सोलन एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र है। सोलन में कई नामी निजी विवि स्थापित हैं, जिसमें प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से आने वाले हजारों छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पिछले दस वर्षों में सोलन का तेजी से विकास हुआ है, लेकिन विकास व तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए आधारभूत ढांचा उपयुक्त नहीं है। नगर परिषद सोलन करीब 2 करोड़ रुपए का राजस्व इकट्ठा करता है और वर्ष 2013-14 में तो यह आंकड़ा 7.35 करोड़ तक पहुंच गया था। इसको देखते हुए सोलन को नगर निगम का दर्जा दिलाए जाने के लिए वर्ष 2017 में नगर निगम संघर्ष समिति का गठन किया गया था।